तंत्रयुक्ति......तंत्रयुक्ति (६०० ईसा पूर्व) रचित एक भारतीय ग्रन्थ है जिसमें परिषदों एवं सभाओं में शास्त्रार्थ (debate) करने की विधि वर्णित है। वस्तुतः तंत्रयुक्ति हेतुविद्या (logic) का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। इसका उल्लेख चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता, अर्थशास्त्र ग्रन्थ आदि में भी मिलता है। किन्तु इसका सर्वाधिक उपयोग न्यायसूत्र एवं उसके भाष्यों में हुआ है। सुश्रुतसंहिता के उत्तरतंत्र में कहा गया है कि युक्तितंत्र की सहायता से कोई अपनी बात मनवा सकता है और विरोधी के तर्क को गलत सिद्ध कर सकता है।
३२ युक्तियाँ
(१) अधिकरण (२) विधान (३) योग (४) पदार्थ
(५) हेत्वार्थ (६) उद्देश (७) निर्देश (८) उपदेश
(९) अपदेश (१०) अतिदेश (११) प्रदेश (१२) उपमान
(१३) अर्थापत्ति (१४) संशय (१५) प्रसंग (१६) विपर्यय
(१७) वाक्य-शेष (१८) अनुमत (१९) व्याख्यान (२०) निर्वचन
(२१) निदर्शन (२२) अपवर्ग (२३) स्वसंज्ञा (२४) पूर्वपक्ष
(२५) उत्तरपक्ष (२६) एकान्त (२७) अनागतावेक्षण (२८) अतिक्रान्तावेक्षण
(२९) नियोग (३०) विकल्प (३१) समुच्चय (३२) ऊह्य
चरकसंहिता में ३४ तंत्रयुक्तियों की गणना है।
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in
३२ युक्तियाँ
(१) अधिकरण (२) विधान (३) योग (४) पदार्थ
(५) हेत्वार्थ (६) उद्देश (७) निर्देश (८) उपदेश
(९) अपदेश (१०) अतिदेश (११) प्रदेश (१२) उपमान
(१३) अर्थापत्ति (१४) संशय (१५) प्रसंग (१६) विपर्यय
(१७) वाक्य-शेष (१८) अनुमत (१९) व्याख्यान (२०) निर्वचन
(२१) निदर्शन (२२) अपवर्ग (२३) स्वसंज्ञा (२४) पूर्वपक्ष
(२५) उत्तरपक्ष (२६) एकान्त (२७) अनागतावेक्षण (२८) अतिक्रान्तावेक्षण
(२९) नियोग (३०) विकल्प (३१) समुच्चय (३२) ऊह्य
चरकसंहिता में ३४ तंत्रयुक्तियों की गणना है।
Pt.P.S Tripathi
Mobile no-9893363928,9424225005
Landline no-0771-4035992,4050500
Feel Free to ask any questions in
No comments:
Post a Comment