जब जीवन की कठिन परिस्थितियां हमें लम्बे समय तक पीड़ा पहुंचाती है तो हम असहाय महसूस करने लगते हैं और जीवन में एक निराशावादी दृष्टिकोण अपना लेते हैं. हमारा दिमाग हमें यह विश्वास दिला देता है कि हमारी समस्याएं काफी गम्भीर है और इसे कभी भी खत्म नहीं किया जा सकता है कठिनाई एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत व्यक्ति सुदृढ़, प्रबुद्ध एवं अनुभवी बनता है। कठिनाइयाँ जीवन की कसौटी हैं, जिनमें हमारे आदर्श, नैतिकता एवं शक्तियों का मूल्यांकन होता है। मनुष्य जब तक जीवित है, उसे परिवर्तनशील उतार -चढ़ाव और बनने-बिगड़ने वाली अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना ही होगा। विपत्तियाँ संसार का स्वाभाविक धर्म है। वे आती हैं और सदा आती रहेंगी। इन कठिनाईयों के आने से निराषावादी बन रहे हों तो अपनी कुंडली के तृतीय भाव का विष्लेशण कराकर उस स्थान पर उपस्थित ग्रह और उसके स्वामी ग्रह की स्थिति का आकलन कर उन ग्रहों को अनुकूल बनाकर निराषावादी दृश्टिकोण से निकलकर आषापूर्ण प्रक्रिया को अपनाते हुए परिस्थितियों को अपनी क्षमता के अनुसार उपाय लेने से जीवन में उपस्थित कठिनाईयों से दूर रहा जा सकता है।
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