युवा बच्चो का व्यवहार तथा ज्योतिषीय उपाय-
हर अभिभावक की दिली तमन्ना होती है कि उनके बच्चो को कभी किसी चीज की कमी ना हों, जो उन्हें नहीं हासिल हुआ, उसका अभाव उनके बच्चे को कभी भी ना हों। इसी चाहत में वे मांग करने के पहले से ही अपने बच्चे की सभी ख्वाहिशे पूरी करने का प्रयास करते हैं। बच्चों को जरूरत से ज्यादा साधन संपन्न करने के कारण बच्चो में संघर्ष का भाव नहीं रह जाता, जिससे उन्हें अच्छा करने या बड़ा बनने की उत्सुकता नहीं पनप पाती और वे जीवन में सफल होने के लिए कोई प्रयास नहीं करते। अगर आपका भी बच्चा सभी सुख सुविधा में जी रहा है और मेहनत करने से जी चुरा रहा हो तो देखें कि क्या उसके व्यवहार में एक अच्छा नागरिक या समाज तथा परिवार के प्रति कर्तव्यबोध है यदि नहीं तो सबसे पहले उसके जीवन से सुखसाधन कम कर संर्घष का माहौल प्रदान करें। किसी भी बच्चे की कुंडली में अगर लग्न, तीसरे, एकादश अथवा द्वादश स्थान में राहु या शुक्र हो तथा युवा उम्र में इन ग्रह दशा चल जाये तो सुख सुविधा का दुरूपयोग होता है। इसी प्रकार यदि लग्न, तीसरे, पंचम, सप्तम, दशम स्थान में शनि हो तथा शनि की दशा चल जाए तो सुविधासंपन्न करना घातक हो सकता है। अतः अपने बच्चे की कुंडली दिखाने के उपरांत ही उसके जीवन में आवश्यक सुविधा का समावेश करें तथा इस प्रकार की ग्रह दशाओं में ग्रह की शांति के साथ अपने बच्चे की काउंसिलिंग कराना तथा भृगुराशांति कराना चाहिए। मंगल के मंत्रों का जाप करना भी आवश्यक उपाय है।
हर अभिभावक की दिली तमन्ना होती है कि उनके बच्चो को कभी किसी चीज की कमी ना हों, जो उन्हें नहीं हासिल हुआ, उसका अभाव उनके बच्चे को कभी भी ना हों। इसी चाहत में वे मांग करने के पहले से ही अपने बच्चे की सभी ख्वाहिशे पूरी करने का प्रयास करते हैं। बच्चों को जरूरत से ज्यादा साधन संपन्न करने के कारण बच्चो में संघर्ष का भाव नहीं रह जाता, जिससे उन्हें अच्छा करने या बड़ा बनने की उत्सुकता नहीं पनप पाती और वे जीवन में सफल होने के लिए कोई प्रयास नहीं करते। अगर आपका भी बच्चा सभी सुख सुविधा में जी रहा है और मेहनत करने से जी चुरा रहा हो तो देखें कि क्या उसके व्यवहार में एक अच्छा नागरिक या समाज तथा परिवार के प्रति कर्तव्यबोध है यदि नहीं तो सबसे पहले उसके जीवन से सुखसाधन कम कर संर्घष का माहौल प्रदान करें। किसी भी बच्चे की कुंडली में अगर लग्न, तीसरे, एकादश अथवा द्वादश स्थान में राहु या शुक्र हो तथा युवा उम्र में इन ग्रह दशा चल जाये तो सुख सुविधा का दुरूपयोग होता है। इसी प्रकार यदि लग्न, तीसरे, पंचम, सप्तम, दशम स्थान में शनि हो तथा शनि की दशा चल जाए तो सुविधासंपन्न करना घातक हो सकता है। अतः अपने बच्चे की कुंडली दिखाने के उपरांत ही उसके जीवन में आवश्यक सुविधा का समावेश करें तथा इस प्रकार की ग्रह दशाओं में ग्रह की शांति के साथ अपने बच्चे की काउंसिलिंग कराना तथा भृगुराशांति कराना चाहिए। मंगल के मंत्रों का जाप करना भी आवश्यक उपाय है।
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