Tuesday 14 June 2016

समाज पर बढ़ता व्यसन का असर.....

समाज पर बढ़ता व्यसन का असर और उसके ज्योतिषीय कारण और निवारण
किसी भी जातक के जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अलावा उसके ग्रह दषाओं के अनुरूप उसका व्यवहार तथा कर्म निर्धारित होता है... चूॅकि इंसान के जीवन में ग्रहो का प्रभाव होता है अतः ग्रहो की स्थिति एवं उनकी दशाएॅ अंतरदशाएॅ तथा उसकी ग्रह दषाओं का पूरा असर उसके जीवन पर दिखाई देता है...किसी भी व्यक्ति की मनःस्थिति के साथ उसके जीवन में परिस्थिति का बहुत महत्व होता है। अतः यदि किसी का तृतीयेश अथवा पंचमेश विपरीत कारक हो या सप्तमेश अथवा द्वितीयेश की स्थिति भी अथवा अनुकूल ना हो अथवा क्रूर ग्रहों से पापाक्रांत होकर छठवे आठवे या बारहवे स्थान पर हो जाए तो व्यक्ति कमजोर मानसिकता का होता है अतः ऐसी स्थिति में परेशानी या कष्ट की स्थिति में मानसिक संबल या परेशानी को दूर रखने के लिए व्यसन करने लगते हैं। कई बार शौक में भी व्यसन की आदत लत बन जाती है। इस प्रकार यदि व्यसन जीवन में परेशानी का सबब बन रहा हो तो ग्रह दशाओं का विश्लेषण कराया जाना चाहिए। उन ग्रह की शांति विशेषकर बुध की शांति, मंत्रजाप तथा दान करने से व्यसन से मुक्ति पाई जा सकती है।

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