ज्योतिषीय गुणाभाग द्वारा बचें असफल होने से -
जब भी असफलता या खराब रिजल्ट का सामना करना पड़ता है तब लगभग सभी इसका दोष दूसरो को या परिस्थिति या अपने भाग्य को दे तो देते हैं किंतु कभी भी आत्मविश्लेषण करने का प्रयास नहीं करते। जब भी किसी की कुंडली का परीक्षण किया जाए तो दिखाई देता है कि वह व्यक्ति यदि असफल है तो इसके पीछे का वास्तविक कारण क्या हो सकता है। जैसे कि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु की दशा चल रही हो और उसकी कुंडली में राहु लग्न, तीसरे, अष्टम, भाग्य स्थान में हो तो उसके जीवन में निरंतर प्रयास की कमी तथा अपनी क्षमता का वास्तविक ज्ञान का अंदाजा लगाये बिना कम प्रयास तथा कम क्षमता के साथ बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के प्रयास में असफलता को दर्शाता है इसी प्रकार यदि शुक्र की दशा चल रही हो तो भौतिक संसाधन के प्रति झुकाव के कारण अपने लक्ष्य में निरंतर ना रहना भी असफलता का कारण हो सकता है। यदि शनि की दशा चले और शनि तीसरे, सातवे या दसम स्थान में हो तो मानसिक भटकाव के कारण सफलता में थोड़ी कमी रह जाती है। अतः यदि सफलता प्राप्त करनी है तो कुंडली का विश्लेषण कराया जाकर उक्त ग्रहो की शांति कराना चाहिए। चलित दशाओं के मंत्रों का जाप, दान एवं रत्न धारण करने से असफलता से बचा जाकर सफलता पायी जा सकती है।
जब भी असफलता या खराब रिजल्ट का सामना करना पड़ता है तब लगभग सभी इसका दोष दूसरो को या परिस्थिति या अपने भाग्य को दे तो देते हैं किंतु कभी भी आत्मविश्लेषण करने का प्रयास नहीं करते। जब भी किसी की कुंडली का परीक्षण किया जाए तो दिखाई देता है कि वह व्यक्ति यदि असफल है तो इसके पीछे का वास्तविक कारण क्या हो सकता है। जैसे कि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु की दशा चल रही हो और उसकी कुंडली में राहु लग्न, तीसरे, अष्टम, भाग्य स्थान में हो तो उसके जीवन में निरंतर प्रयास की कमी तथा अपनी क्षमता का वास्तविक ज्ञान का अंदाजा लगाये बिना कम प्रयास तथा कम क्षमता के साथ बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के प्रयास में असफलता को दर्शाता है इसी प्रकार यदि शुक्र की दशा चल रही हो तो भौतिक संसाधन के प्रति झुकाव के कारण अपने लक्ष्य में निरंतर ना रहना भी असफलता का कारण हो सकता है। यदि शनि की दशा चले और शनि तीसरे, सातवे या दसम स्थान में हो तो मानसिक भटकाव के कारण सफलता में थोड़ी कमी रह जाती है। अतः यदि सफलता प्राप्त करनी है तो कुंडली का विश्लेषण कराया जाकर उक्त ग्रहो की शांति कराना चाहिए। चलित दशाओं के मंत्रों का जाप, दान एवं रत्न धारण करने से असफलता से बचा जाकर सफलता पायी जा सकती है।
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