Thursday 4 August 2016

कुम्भ अगस्त 2016 मासिक राशिफल

माह के पूर्वार्ध दौरान जीवनसाथी के सुख में वृद्धि होगी। संतान से संबंधित मामलों में चिंता रहेगी। धार्मिक विषयों में मन तल्लीन रहेगा। प्रेम संबंधों के लिए समय काफी अनुकूल है एवं आप अपने संबंधों को नए पड़ाव पर लेकर जा सकते हैं। भागीदारों के साथ संबंध भी मजबूत होते दिखाई देंगे। आपके ससुराल पक्ष में शुभ या मांगलिक प्रसंग आएंगे। आप कहीं घूमने जाएंगे। आपके पिता से आपको खूब लाभ होगा। आपके व्यवसाय में प्रगति होगी। परंतु स्वभाव में विनम्रता रखना जरूरी है। वाणी में रूखापन न लाएं। महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए किसी योग्य व्यक्ति की सलाह-परामर्श लेकर काम करें। माह के उत्तरार्ध में सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करेगा, साथ ही, बुध कन्या राशि में प्रवेश करेगा। दोनों ग्रह अपनी-अपनी राशि में स्वग्रही होंगे। मित्रों का सहयोग अपेक्षा से थोड़ा कम प्राप्त होगा। बड़े भाई-बहन भी विशेष मदद नहीं करेंगे, इसलिए उनके प्रति थोड़ी नफरत की भावना पैदा होगी। धार्मिक यात्रा का योग बन रहा है, इसलिए खर्च में वृद्धि होगी। पूजा-पाठ और जनसेवा के कार्यों में भी खर्च की संभावना दिखाई दे रही है। मानसिक ताजगी अधिक रहेगी। परिजनों की ओर से आमदनी होती दिखाई देगी। गुप्त विद्या सीखने का शौक पैदा होगा। जो इस क्षेत्र से पहले से जुड़े है, उन्हें लाभ होगा।टिप्सः आेम राम रहुवे नमः मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर हरा नारियल चढ़ाएं।
आर्थिक स्तिथि- हाल में आपकी भागीदारी के भाव में चार ग्रहों गुरू, बुध, राहु और शुक्र के युति में होने से भागीदारी, नए करार वगैरह में लाभ होगा, परंतु साथ-साथ सावधानी रखनी जरूरी होगी। महीने के उत्तरार्ध में आप धार्मिक व जनसेवा के कार्य में रुचि लेंगे। इसका असर आपके काम पर पड़ने की संभावना है। नौकरीकर्ता शुरू के पखवाड़े में अपने कौशल व वरिष्ठ लोगों के सहरकार से आगे बढ़ सकेंगे।
शिक्षा- विद्यार्थी वर्ग इस समय शिक्षा को लेकर परेशान रहेगा। शुरूआत के पखवाड़े में स्पर्धात्मक परीक्षाओं में अनुकूलता रहेगी। परंतु जो लोग टेक्निकल शिक्षा में है उनको अपेक्षा की तुलना में कम फल मिल सकता है। 14 तारीख के बाद आपको सामान्य सी पढ़ाई में भी एकाग्रता की कमी रहेगी। हालांकि, इस समय में ज्योतिष विद्या, धार्मिक ज्ञान, गूढ़ विद्या इत्यादि में रुचि रहेगी और आप आगे बढ़ सकते हैं।
स्वास्थ्य- इस महीने आपको स्वास्थ्य की देखभाल करनी होगी। प्रथम पखवाड़े में आपके रोग स्थान में सूर्य का भ्रमण होगा और उत्तरार्ध में बुध व गुरू का अष्टम भाव में आना होगा। अंतिम दिनों में शुक्र भी अष्टम स्थान में आएगा। विशेषकर ब्लडप्रेशर, हृदय से जुड़ी बीमारी, रीढ़ की हड्डी में पीड़ा, पीठ दर्द, मोटापें, गुप्त भागों में विकार इत्यादि से अपनी रक्षा करनी होगी।

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