Friday 4 November 2016

कार्य क्षेत्र में बाधा का ज्योतिषीय कारण

आज के व्यवसायिक क्षेत्र की स्पर्धाओं के चलते किसी जातक के व्यवसाय का महत्व घट सकता है, क्योंकि नित्य कई संस्थाएॅ इस क्षेत्र में पदार्पण करती जा रही है, जिससे समान क्षेत्र में कार्य के साथ महत्व एवं पहचान बनाये रखना पहले की तुलना में कठिन होता जा रहा है। किसी भी क्षेत्र में बहुत अच्छी स्थिति से अचानक उतार दिखाई दे तो सबसे पहले कुंडली की गणना करानी चाहिए क्योंकि कार्य हेतु ज्योतिष विष्लेषण के अनुसार वाणिज्यकारक ग्रह बुध, ज्ञानकारक ग्रह गुरू, वैभवकारक ग्रह शुक्र तथा जनताकारक ग्रह शनि का महत्वपूर्ण योगदान कुंडली में होना आवष्यक है। इसके साथ ही कुंडली का लग्न, दूसरा, तीसरा, भाग्य, कर्मभाव व लाभभाव उत्तम होना भी जरूरी होता है। इसके साथ ही अष्टमभाव में राहु या राहु से पापाक्रांत उपयुक्त केाई ग्रह होने से भविष्य में कार्य में बाधा दिखाई देती है जोकि वित्तीय अनियिमितता के कारण संभव है चूॅकि कई बार व्यवसाय का धन व्यवसाय स इतर लगाने से व्यवसायिक हानि होती है। अतः उपयुक्त योग के साथ यदि कोई विपरीत स्थिति निर्मित हो रही हो तो ऐसे में अपनी कुंडली के अनुसार बाधा निवारण का उपाय करना लाभकारी होता है। जिसमें विषेषकर पितृषांति, दीपदान एवं सूक्ष्मजीवों की सेवा करना चाहिए।

स्वीकार करें अपनी आलोचना और करें गुणवत्ता में विकास -

मनुष्य को बुरा कहलाने से नहीं डरना चाहिए, किन्तु बुरा होने या बुरे काम करने से डरना चाहिए, जबकि होता इसके ठीक विपरीत है। लोग-बुरे कर्म करने से उतना नहीं डरते जितना इस बात से डरते हैं कि कोई बुरा न कह दे। मनुष्य का यह स्वभाव हो गया है कि वह स्वयं भले दूसरों की निंदा-आलोचना करता रहे, किन्तु स्वयं अपनी निंदा-आलोचना उसे पसंद नहीं है। कोई थोडी सी उसकी आलोचना करे तो वह दुखी ही नहीं क्रुद्ध भी हो जाता है। यहाॅ तक कि आलोचना करने वाले को अपना विरोधी तक मान लेता है, भले ही वह आलोचना कितनी ही सही क्यों न हो और उसकी भलाई के लिए ही क्यों न की गई हो। जबकि यह मानना चाहिए कि निंदक व्यक्ति हमारी निदा करके हमें सावधान कर रहा है तथा हमारे दोषो को निकालने की हमें प्रेरणा दे रहा है।
इस संबंध में यदि कुंडली का विष्लेषण किया जाए तो यदि किसी व्यक्ति के तीसरे स्थान का स्वामी अनुकूल, उच्च तथा सौम्य ग्रहों से संरक्षित हो तो ऐसे व्यक्ति बुराई को भी भलाई में बदलने में सक्षम होते हैं वहीं यदि किसी जातक का तीसरा स्थान विपरीत कारक हो अथवा राहु जैसे ग्रहों से पापक्रांत हो तो ऐसे लोग किसी की छोटी सी बात या आलोचना सहन नहीं कर पाते और क्रोधित हो जाते हैं अतः आपको अपने हित में या किसी की कहीं कोई छोटी बात भी बुरी लगती है तो अपनी कुंडली का विष्लेषण करा लें तथा कुंडली में इस प्रकार की कोई ग्रह स्थिति बन रही हो तो तीसरे स्थान के स्वामी अथवा कालपुरूष की कुंडली में तीसरे स्थान के स्वामी ग्रह बुध अर्थात् गणेषजी की उपासना, गणपति अर्थव का पाठ का हरी मूंग का दान करने से आलोचना को साकारात्मक लेकर अपनी बुराई को धीरे-धीरे दूर करने का प्रयास करने से आप निरंतर बुराई से बचते हुए सफलता प्राप्त करेंगे तथा लोगों के बीच लोकप्रिय भी होंगे।

असफल होने का मूल कारण जाने ज्योतिषीय गणना

हर व्यक्ति का व्यवहार तय होता है और वह अपने व्यवहार के अनुसार ही हर कार्य तथा निर्णय करता और लेता है और व्यक्ति की संकल्प शक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता में सामंजस्य होता है। संकल्प शक्ति की कमी के कारण व्यक्ति अपनी इच्छाओं एवं आकांक्षओं की पूर्ति में कमी पाता है। संकल्प शक्ति की कमी के कारण सही निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है एवं व्यक्ति अपनी इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है। व्यक्ति की तार्किक क्षमता एवं बौद्धिक क्षमता प्रबल होने पर भी उस की संकल्प शक्ति एवं कार्य के प्रति एकाग्रता मे कमी के कारण सफलता मिलने मे देरी हो सकती है। परंतु इसका प्रमुख कारण यह है कि उन की संकल्प शक्ति एवं इच्छा शक्ति मे कमी है और इसे केवल मेहनत एवं कठिन परिश्रम से ही जीता जा सकता है। किंतु इसका ज्योतिषीय कारण भी है अगर किसी व्यक्ति का तृतीयेश, पंचमेश एवं एकादशेश विपरीत कारक हो अथवा क्रूर ग्रहों से पापाक्रंात हो तो ऐसे व्यक्ति में संकल्पशक्ति तथा एकाग्रता की कमी के कारण विफलता आती है अतः इन ग्रहों की शांति, संबंधित ग्रह का दान एवं मंत्रजाप कर संकल्पशक्ति को दृढ तथा एकाग्रता में वृद्धि का असफलता को सफलता में बदला जा सकता है। साथ ही व्यक्ति की सफलता उसके सामाजिक उन्नति का भी कारक होता है। अतः संतुष्टि तथा उन्नति से ही सामाजिक सौहाद्र्य बनाये रखा जा सकता है अतः सामाजिक तौर पर शांति एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए भी ग्रह शांति जरूरी है।

अपने अंदर सकारात्मकता लायें

मनुष्य की वास्तविकता वह क्या बोलता, सोचता या करता है, में नहीं बल्कि वह सब करते वक्त उसके भाव क्या हैं, उसमें छिपी होती है, और उसके भावों के अनुसार ही उसका अपना एक ऑरा बनता चला जाता है। यदि उसके भाव नकारात्मक होंगे तो उसका ऑरा नकारात्मक होगा। फिर वह कितना ही अच्छा बोल-सोच या कर रहा हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ठीक वैसे ही बाहर आदमी कड़क भाषा या डांटता-पीटता भी नजर आए परंतु यदि उस डांट-डपट या कड़क भाषा के पीछे भी उसका भाव सकारात्मक होगा तो उसका ऑरा भी सकारात्मक ही होगा। जन्म से न कोई मनुष्य अच्छा होता है न बुरा, किन्तु उसका व्यवहार एवं कर्म ही उसे अच्छा-बुरा बनाते हैं। किसी की विशिष्टता तथा उसके सरल-विनम्र व्यवहार ही उस व्यक्ति को समाज या लोगो के बीच अच्छा या बुरा बनाती है। हम अपने कर्मों को एवं व्यवहार को सुधार कर अपना औरा साकारात्मक बना सकते हैं और अपनापन तथा प्रतिष्ठा पा सकते हैं। समाज में आपको लोगों के बीच आपकी छवि जैसी बनेगी उसका कारण आपकी कुंडली में देखा जा सकता है। यदि किसी की कुंडली में लग्न में राहु या लग्नेष राहु से आक्रांत होकर कहीं भी बैठा हो तो लोग आपको लापरवाह तथा झूठा समझ सकते हैं उसी प्रकार यदि लग्नेष या तृतीयेष सूर्य मंगल जैसे ग्रह हों और छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए तो गुस्सैल की छवि बनती है और लोग आपके बचना चाहते हैं। यदि द्वितीय या तृतीय भाव में गुरू हो या इस भाव का कारक गुरू होकर पंचम या भाग्य स्थान में हो तो लोगो का आपके प्रति आदर होता है। इसी प्रकार यदि आपको अपने व्यवहार के किसी पक्ष को उभारना हो तो अपने ग्रहो की स्थिति का पता लगाकर उन ग्रहों की शांति, मंत्रजाप तथा ग्रहदान कर अपने व्यवहार को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं, और अपने औरा को साकारात्मक बनाकर लोगों का प्यार तथा मान पा सकते हैं।

सौभाग्य को बढ़ाने हेतु करें महालक्ष्मी व्रत

अनुकूल परिस्थितियाँ सौभाग्य हैं और प्रतिकूल परिस्थितियाँ दुर्भाग्य हैं। यही सुख और दुःख के रूप में फल देते हैं। कुण्डली से अपने भाग्य का पता लगाकर मनुष्य अपने सदाचारी, पापरहित, निस्वार्थ, पवित्र जीवन से अपने भाग्य को संवारकर सुख प्राप्त कर सकता हैं। सौभाग्य में वृद्धि तथा दुर्भाग्य में कमी का यही एक उपाय है। पुरुषार्थ से भाग्य का निर्माण आवश्य हो जाता है तथा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये भी पुरुषार्थ का सहारा लेना पड़ता हैं, किन्तु भाग्य को पलटा नहीं जा सकता  उसमे केवल सुधार किया जा सकता हैं और पुरूषार्थ करने के लिए व्यक्ति की कुंडली में तीसरे, पंचम, दसम एवं एकादश स्थान को देखकर उन स्थानों के ग्रह एवं उन स्थानों से संबंधित ग्रहों के अनुकूल या प्रतिकूल का ज्ञान प्राप्त कर उस ग्रह से संबंधित प्रयास करने से व्यक्ति अपने पुरूषार्थ को बेहतर कर सकता है। जैसे यदि तीसरे स्थान का ग्रह यदि छठवे, आठवे या बारहवे हो जाए तो उस ग्रह से संबंधित मंत्रजाप, दान एवं ग्रह शांति कर उस ग्रह को अनुकूल कर पुरूषार्थ करने से मनोबल को बढ़ाया जा सकता है। इसी प्रकार पंचम के ग्रह को अनुकूल एकाग्रता को बढ़ाया जाता है। दसम के ग्रह को अनुकूल कर प्रयास को पुरूषार्थ द्वारा बढ़ाकर जीवन में सौभाग्य में बढ़ोतरी की जा सकती है और इसके लिए आज महालक्ष्मी व्रत करने से सौभाग्य को बढ़ाया जा सकता है।

Thursday 3 November 2016

नैतिक मूल्य की कमी और ज्योतिषीय उपाय

‘जो मुझे चाहिए वह मुझे मिलना ही चाहिए” आजकल हर एक की यहीं धारणा बन गई है। हम ऐसा व्यवहार इसलिए करते हैं क्योंकि हम स्वार्थ के वशीभूत होते हैं ─ हम केवल अपने बारे में ही सोच रहे होते हैं ─ उस स्थिति में हम दूसरों की अनदेखी करते हैं और, न चाहते हुए भी दूसरों को बहुत दुख पहुँचाते हैं। ‘‘मुझे जिस कार्य को करने से आनन्द मिलता है और मैं तो यहीं करूॅगा, और जब हम इस दृष्टि से विचार करते हैं कि मुझे क्या करना अच्छा लगता है, तो जाहिर है कि जब मैं की भावना हो तो इसमें नैतिकता का अभाव होगा ही। हमारी भारतीय संस्कृति में सदैव ही नैतिक मूल्यों की अवधारणा पर विशेष बल दिया गया है। मनुष्य के जीवन में अच्छे चरित्र का विशेष महत्व है, वह सभी के भले और कल्याण के बारें में सोचे। दूसरे शब्दों में अच्छे चरित्र से ही मनुष्य की अस्मिता कायम है। अच्छे चरित्र के महत्व को उजागर करते हुए संस्कृत की एक सूक्ति है -
”वृन्तं यत्नेन सरंक्षंद् विन्तयादाति याति च। अक्षीणो विन्ततः क्षीणो, वृन्ततस्तु हतो हतः ।।”
उक्त सूक्ति में चरित्रविहीन व्यक्ति को मृत के समान बताया गया है। अतः चरित्र का बल प्राणि जगत के लिए अनिवार्य है। इस चरित्र-बल की प्राप्ति हेतु नैतिक शिक्षा अनिवार्य है क्योंकि नैतिक मूल्यों की अवधारणा ही चरित्र-बल है। यदि हम प्रारंभ से ही अपने बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा प्रदान करेंगे तभी भविष्य में हम अच्छे, चरित्रवान, कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार व्यक्ति की कल्पना कर सकते हैं, जो लोकहित और सर्वविकास पर चलें। भावी पीढ़ी को नैतिक रूप से सुदृढ़ बनाना हम सभी का उत्तरदायित्व है।
नैतिकता को ज्योतिषीय गणना से देखा जा सकता है, जिस व्यक्ति की कुंडली में उसका तृतीयेश प्रतिकूल तथा क्रूर ग्रहों से पापाक्रांत हो, ऐसा व्यक्ति नैतिक आचरण को दरकिनार कर अपने स्व-हित में सोचना है और अपनी खुशी तथा लाभ के लिए किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्य कर सकता है। अतः अगर बचपन से किसी बच्चे में जिद् या मुझे यहीं चाहिए या ऐसा ही करना है, दिखाई दें तो ऐसे में कुंडली के ग्रहों का आकलन कराया जाकर तीसरे स्थान के स्वामी ग्रह और उक्त स्थान में मौजूद ग्रह की अनुकूल प्रतिकूल स्थिति के अनुसार उपाय लेकर शुरूआत से ही जातक में नैतिकता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

रखें आभार का भाव और करें अहंकार को दूर

भारतीय संस्कृति में व्यक्ति को हिन्दू धर्म में प्रकृति को हर तरह से पूजा गया है, चाहे वह वायू, जल, पृथ्वी, अग्नि या आकाश हो. चाहे वह पहाड़ हो या कोई जीव जन्तु या हमारी वन्य सम्प्रदा, इस प्रकार से हम प्रकृति के हर रूप की पूजा करते है, अर्थात् हमारी संस्कृति में ही आभार का भाव है, जो भी हमें कुछ देता है हम उसकी पूजा करते हैं। देवता अर्थात् जो देता है वहीं देवता है। इसलिए प्रकृति के वे तत्व जो हमें जीवित रखने में सहयोग देते हैं हम उसे देवता मानकर उसके प्रति कृतज्ञ होते हैं। साथ ही उपकारी के प्रति आभार का भाव रखना ही कृतज्ञ होना है। किंतु अंहकार के कारण किसी के प्रति कृतज्ञता का भाव नहीं आता और हम जो मिला उसके लिए थैंक्सफुल होने की अपेक्षा जो प्राप्त नहीं है उसके लिए दूसरो अथवा ईष्वर को दोष देते रहते हैं। अथवा जो मिला उसमें अपना ही कर्म मानकर किसी के प्रति कृतज्ञ ना होना भी अहंकार का प्रतीक है। अतः यदि इसे कुंडली से देखा जाए तो लग्न, तीसरा अथवा भाग्य भाव का कारक ग्रह यदि प्रतिकूल हो तो ऐसे लोग किसी के भी प्रति कृतज्ञ नहीं होते। वहीं अगर लग्न, तीसरे स्थान में सूर्य अथवा शनि जैसे ग्रह होकर विपरीत कारक हों तो ऐसे लोग अहंकार के कारण कृतध्न होते हैं। अतः यदि आपके जीवन में थैंक्स की कमी हो अथवा आपके लिए धन्यवाद शब्द महत्वपूर्ण ना हो तो कई यह आपके जीवन में सफलता में कमी का कारण भी हो सकता है क्येांकि लग्न, तीसरे अथवा भाग्यभाव यदि विपरीत हो तो सफलता प्राप्ति में कमी या देरी होती है। अतः सफलता प्राप्ति हेतु अपने जीवन में कृतज्ञता का समावेष कर जीवन में सुख-समृद्धि तथा शांति प्राप्त की जा सकती है।

रचनात्मकता और ज्योतिष

रचनात्मकता का अर्थ है किसी भी कार्य को चिंतन के रूप में करना अथवा किसी भी कार्य को अत्यधिक प्रेम से करना। रचनात्मकता हर पल कुछ नया सीखने एंव प्रत्येक कार्य को उत्साह के साथ बेहतर तरीके से करने की आदत है। कार्य चाहे छोटा हो या बड़ा, रचनात्मकता उसमें नए रंग भर देती है। किसी व्यक्ति में पेंटिंग तो किसी में संगीत, किसी को अच्छी कहानी या कविता का हुनर तो कोई बहुत अच्छा खाना बना सकता है। यह सारी कला रचनाशीलता द्वारा आती है। राहु के कारण व्यक्ति में रचनात्मकता का हुनर आता है। यदि राहु लग्न, तीसरे, पंचम, एकादश अथवा द्वादश स्थान में हो तो ऐसा व्यक्ति कल्पनाशील होता है और उसके जीवन में कुछ रचनात्मकता जरूर होती है, किंतु वहीं पर ऐसा व्यक्ति तार्किक क्षमता में कमजोर होता है अतः यदि आपके बच्चे को रचनात्मक कार्य में रूचि हो तो उसे जबरदस्ती गणित या फिजिक्स लेकर पढ़ने के लिए ही कोशिश ना करें, इसकी अपेक्षा उसके लिए उसकी रूचि के क्षेत्र में रचनात्मकता का विकास करें, इसके लिए देखें कि उसके राहु की स्थिति क्या है और उसके अनुसार उस राहु का साकारात्मक उपयोग कर उसकी रचनात्मकता का उपयोग उसके कैरियर के क्षेत्र के लिए किया जा सकता है।

Wednesday 2 November 2016

Taurus monthly horoscope for November 2016

At the beginning of November, businessmen and entrepreneurs could explore new territory to increase earnings. They will need to think out-of-the-box to succeed. The influence of Mars might keep you active and energized. On the flip side, you may get over assertive. Do not ignore constructive suggestions from people around you. Later, the ruler of your Sign Venus enters Capricorn. This might provide you with clarity about the right direction to follow. You could also be concerned about some issue in a meaningful relationship. By the second week, Full Moon may bring to the surface your inner urges and thoughts, one of them being reconsigned. Saturn in the 8th House brews discontent, in general. It is recommended that you turn these negative thoughts into positive feelings, while making changes to improve your working methods. Encouraging vibes from Jupiter may work well for those in business. This shall help in strengthening your financial position. On the other hand, influence of Saturn could pollute harmony at home. You may be required to do something special to restore peace and a sense of belonging among family members. Maybe, you could plan an outing over the weekend to build family bond. As the third week opens, you could get irritable under the combined influence of the trinity of Rahu, Mars and Moon. Thankfully, soon you will be back to your usual self – joyful and compassionate. Clash of titans, Sun and Saturn, in the 8th House, though, does not look good for your financial or physical health. Meanwhile, you may be keen to give a contemporary makeover to your home. In the last week, New Moon emerging in Sagittarius shall make you enthusiastic. Now, you will feel like breaking free and taking solace in spirituality. Some unexpected health issue could cause concern, though.
Career- You might want to enter new arenas if you are in business. Take good help from a consultant if you want to set up a new venture for financial growth. Your level of confidence and determination is noteworthy and it will help you in y our endeavors. All your negative forces working to demean you will be destroyed by the benevolent Jupiter. So you can keep moving ahead without worries. Those in employment can expect some good news from their boss as you might get a promotion. Continue to work with motivation.
Education- Student from IT should be attentive and consistent in their academics. Those studying in school are going to be distracted by some negative forces. Your mind will keep wandering from time to time. It will advisable to meditate before studying. This will help you to remember the learnt matter for long. Those in higher education will do well provided you continue the hard work Take tips from a scholar on how to study effectively. Though there will be some tension, you are advised to keep your head cool as this will enable you to achieve the desired results.
Finance- You will have your lady fortune smiling as you are going to hit a jack pot. This monetary gain will be from the sale of ancestral property. The wise investments made earlier are going to add to your purse. Save the extra funds in safe avenues. Don’t fall into some cheap investments wherein you may end up in a trap. Be careful while investing. Some negative forces may cause you to lose some money. Generous Jupiter will be there to help you come out of the debt. You will bounce back to a good financial condition.
Health- Remain watchful of your sugar level if you are a diabetic. There is nothing better than to keep a cool head and have a strict diet devoid of sugary foods. Avoid all kinds of stress if you are prone to rising blood pressure. Be wary of any physical injury to the upper part of your torso. Those with tooth ache should take care. Visit a dentist without delay. Though you planet is on your side, you are advised to be attentive to even minor ailments affecting you.

Aries monthly horoscope for November 2016

At the beginning of November, you could be in an upbeat mood. There are some monetary gains in store for you. You are likely to park these extra funds for domestic matters. Around the same time, your emotions might get hurt by the inconsiderate behaviour of someone close. With Mars now coming out of the influence of Jupiter and Saturn, you might be disinclined to come out of your comfort zone and toil. Thanks to full Moon in the coming week, you could be consumed by the desire to get rich quick. This may make you restless about achieving a sound financial position to enjoy pleasures of life. Venus in the tenth House could guide you to get organised and increase your rate of success. With Mars travelling through the eleventh House, stay away from bad company. Married folks may find it difficult to spend quality time with their better half, while young singles could be under pressure to tie the knot. The coming together of four planets mid-month could help stabilise your emotions that had been ruffled in the first week. But, work may be bumpy and challenging. Businessmen could face setback here. There might be difficulties in firming up a deal with a valuable customer. For singles, it looks like only career and future, not love and romance for the moment. Financially, there is no cause for worry. But, as you move to the month end, you could be blamed for some goof up at home. To avoid such embarrassing situations, you need to spend time regularly to attend to domestic matters. This might make you aware about the needs of the house and give you enough time to make arrangements for the same. New moon starts emerging around midweek. You may now become optimistic about future prospects. The right direction may also become evident. Good time now to act on long conceivable plans for achieving growth.
Education- Students are going to rejoice since the Sun is no more in the eight house and your stars are in your favour and are giving signals to enhance your memory power. Though you remain focused, you may face difficulties in remembering effectively. Try meditating in order to boost your memory and concentration. Those in higher education need to be more focused and in charge of their work. Graduates need to be more attentive since they could be easily distracted. Post graduates are going to get a lot of help and support from their seniors. Taking reference will help.
Financial Condition- It is going to be a smooth phase as profits and monetary gains are in store for you. Listing down priorities and spending lavishly won’t harm you. Go ahead since there won’t be any major expenses coming your way. It’s a good time to update your portfolio to receive higher returns. Although you may spend lavishly, You must start saving up for a rainy day as well. Venus is positioned well enough to bring you some monitory gains. Plan smartly and you will gain more.
Health issues- Those who have been prone to sickness need to be more careful since the strong influence of Saturn may prolong the sickness. Taking preventive measure like eating healthy fiber rich food like vegetables and fruits along with plenty of water and exercising enough to stay fit will help a lot. Keep away from midnight snacks and staying up late at night will not help since all this may lead to exhaustion and even a viral attack. Better to be safe than sorry. Keeping the digestive system in order is more important.

मंगलवार व्रत कथा पाठ.....

सुख-सम्पत्ति, यश और संतान प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत रखना शुभ माना जाता है. हनुमान जी से जुड़ी मंगलवार व्रत कथा का पाठ करके इस उपवास को पूरी श्रद्धा के साथ पूर्ण करें.
मंगलवार व्रत कथा:
प्राचीन समय की बात है किसी नगर में एक ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे उनके कोई संतान न होन कारण वह बेहद दुखी थे. हर मंगलवार ब्राह्मण वन में हनुमान जी की पूजा के करने जाता था. वह पूजा करके बजरंगबली से एक पुत्र की कामना करता था. उसकी पत्नी भी पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी. वह मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करती थी.
एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ने भोजन नहीं बना पाया और न ही हनुमान जी को भोग लगा सकी. तब उसने प्रण किया कि वह अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी. वह भूखी प्यासी छह दिन तक पड़ी रही. मंगलवार के दिन वह बेहोश हो गई. हनुमान जी उसकी श्रद्धा और भक्ति देखकर प्रसन्न हुए. उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप ब्राह्मणी को एक पुत्र दिया और कहा कि यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा.
बालक को पाकर ब्राह्मणी बहुत खुश हुई. उसने बालक का नाम मंगल रखा. कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है? पत्नी बोली कि मंगलवार व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उसे यह बालक दिया है. यह सुनकर ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ. एक दिन मौका पाकर ब्राह्मण ने बालक को कुएं में गिरा दिया.
घर पर लौटने पर ब्राह्मणी ने पूछा कि मंगल कहां है? तभी पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया. उसे वापस देखकर ब्राह्मण चौंक गया. उसी रात को बजरंगबली ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह पुत्र उन्होंने ही उसे दिया है. सच जानकर ब्राह्मण बहुत खुश हुआ. जिसके बाद से ब्राह्मण दंपत्ति नियमित रूप से मंगलवार व्रत रखने लगे. मंगलवार का व्रत रखने वाले मनुष्य पर हनुमान जी की अपार कृपा होती है.

माँ काली के उत्पन्न होने की कथा

मां दुर्गा का विकराल रूप हैं मां काली और यह बात सब जातने हैं कि दुष्‍टों का संहार करने के लिए मां ने यह रूप धरा था. शास्‍त्रों में मां के इस रूप को धारण करने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं और उनका व्‍याखान भी वहां मिलता है.
एक बार दारुक नाम के असुर ने ब्रह्मा को प्रसन्न किया. उनके द्वारा दिए गए वरदान से वह देवों और ब्राह्मणों को प्रलय की अग्नि के समान दुःख देने लगा. उसने सभी धर्मिक अनुष्ठान बंद करा दिए और स्वर्गलोक में अपना राज्य स्थापित कर लिया. सभी देवता, ब्रह्मा और विष्णु के धाम पहुंचे. ब्रह्मा जी ने बताया की यह दुष्ट केवल स्त्री दवारा मारा जायेगा. तब ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देव स्त्री रूप धर दुष्ट दारुक से लड़ने गए. परतु वह दैत्य अत्यंत बलशाली था, उसने उन सभी को परास्त कर भगा दिया.
ब्रह्मा, विष्णु समेत सभी देव भगवान शिव के धाम कैलाश पर्वत पहुंचे तथा उन्हें दैत्य दारुक के विषय में बताया. भगवान शिव ने उनकी बात सुन मां पार्वती की ओर देखा और कहा हे कल्याणी जगत के हित के लिए और दुष्ट दारुक के वध के लिए में तुमसे प्रार्थना करता हुं. यह सुन मां पार्वती मुस्कराई और अपने एक अंश को भगवान शिव में प्रवेश कराया. जिसे मां भगवती के माया से इन्द्र आदि देवता और ब्रह्मा नहीं देख पाए उन्होंने देवी को शिव के पास बैठे देखा.
मां भगवती का वह अंश भगवान शिव के शरीर में प्रवेश कर उनके कंठ में स्थित विष से अपना आकार धारण करने लगा. विष के प्रभाव से वह काले वर्ण में परिवर्तित हुआ. भगवान शिव ने उस अंश को अपने भीतर महसूस कर अपना तीसरा नेत्र खोला. उनके नेत्र द्वारा भयंकर-विकराल रूपी काले वर्ण वाली मां काली उत्तपन हुई. मां काली के लालट में तीसरा नेत्र और चन्द्र रेखा थी. कंठ में कराल विष का चिन्ह था और हाथ में त्रिशूल व नाना प्रकार के आभूषण व वस्त्रों से वह सुशोभित थी. मां काली के भयंकर व विशाल रूप को देख देवता व सिद्ध लोग भागने लगे.
मां काली के केवल हुंकार मात्र से दारुक समेत, सभी असुर सेना जल कर भस्म हो गई. मां के क्रोध की ज्वाला से सम्पूर्ण लोक जलने लगा. उनके क्रोध से संसार को जलते देख भगवान शिव ने एक बालक का रूप धारण किया. शिव श्मशान में पहुंचे और वहां लेट कर रोने लगे. जब मां काली ने शिवरूपी उस बालक को देखा तो वह उनके उस रूप से मोहित हो गई. वातसल्य भाव से उन्होंने शिव को अपने हृदय से लगा लिया तथा अपने स्तनों से उन्हें दूध पिलाने लगी. भगवान शिव ने दूध के साथ ही उनके क्रोध का भी पान कर लिया. उनके उस क्रोध से आठ मूर्ति हुई जो क्षेत्रपाल कहलाई.
शिवजी द्वारा मां काली का क्रोध पी जाने के कारण वह मूर्छित हो गई. देवी को होश में लाने के लिए शिवजी ने शिव तांडव किया. होश में आने पर मां काली ने जब शिव को नृत्य करते देखा तो वे भी नाचने लगी जिस कारण उन्हें योगिनी भी कहा गया.

छठ पर्व कथा

छठ को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है. इसके महत्व का इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें किसी गलती के लिए कोई जगह नहीं होती. इसलिए शुद्धता और सफाई के साथ तन और मन से भी इस पर्व में जबरदस्त शुद्धता का ख्याल रखा जाता है. इस त्योहार को जितने मन से महिलाएं रखती हैं पुरुष भी पूरे जोशो-खरोश से इस त्योहार को मनाते हैं औऱ व्रत रखते हैं.
सूर्य उपासना और छठी मैया की पूजा के लिए चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का इतिहास भी बहुत पुराना है. पुराणों में ऐसी कई कथाएं हैं जिसमें मां षष्ठी संग सूर्यदेव की पूजा की बात कही गयी है, फिर चाहे वो त्रेतायुग में भगवान राम हों या फिर सूर्य के समान पुत्र कर्ण की माता कुंती. छठ पूजा को लेकर परंपरा में कई कहानियां प्रचलित हैं.
राम की सूर्यपूजा
कहते हैं सूर्य और षष्ठी मां की उपासना का ये पर्व त्रेता युग में शुरू हुआ था. भगवान राम जब लंका पर विजय प्राप्त कर रावण का वध करके अयोध्या लौटे तो उन्होंने कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को सूर्यदेव की उपासना की और उनसे आशीर्वाद मांगा. जब खुद भगवान, सूर्यदेव की उपासना करें तो भला उनकी प्रजा कैसे पीछे रह सकती थी. राम को देखकर सबने षष्ठी का व्रत रखना और पूजा करना शुरू कर दिया. कहते हैं उसी दिन से भक्त षष्ठी यानी छठ का पर्व मनाते हैं.
राजा प्रियव्रत की कथा
छठ पूजा से जुड़ी एक और मान्यता है. एक बार एक राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रयेष्टि यज्ञ कराया. लेकिन उनकी संतान पैदा होते ही इस दुनिया को छोड़कर चली गई. संतान की मौत से दुखी प्रियव्रत आत्महत्या करने चले गए तो षष्ठी देवी ने प्रकट होकर उन्हें कहा कि अगर तुम मेरी पूजा करो तो तुम्हें संतान की प्राप्ति होगी. राजा ने षष्ठी देवी की पूजा की जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई. कहते हैं इसके बाद से ही छठ पूजा की जाती है.
कुंती-कर्ण कथा
कहते हैं कि कुंती जब कुंवारी थीं तब उन्होंने ऋषि दुर्वासा के वरदान का सत्य जानने के लिए सूर्य का आह्वान किया और पुत्र की इच्छा जताई. कुंवारी कुंती को सूर्य ने कर्ण जैसा पराक्रमी और दानवीर पुत्र दिया. एक मान्यता ये भी है कि कर्ण की तरह ही पराक्रमी पुत्र के लिए सूर्य की आराधना का नाम है छठ पर्व

जीवन में कष्टों के कारण......



भारतीय विचारधारा के अनुसार मनुष्य के वर्तमान को उसका पूर्व कर्मफल प्रभावित करता है। उसके कष्टों के निम्नलिखित कारण बताए गए हैं: देव कोप, धर्मदेव, रोष, सर्पक्रोध, प्रेत कोप, गुरु- माता-पिता-ब्राह्मण श्राप, शब्द, भंगिमा, विष और अभिचार। यहां कष्टों और बाधाओं के कुछ प्रमुख ज्योतिषीय कारणों और उनके निवारण के उपायों का वर्णन प्रस्तुत है। बाधा एवं कर्मदोष निर्णय: जन्मकुंडली के नौवें भाव से पूर्वजन्म का तथा पांचवें भाव से पुनर्जन्म व जन्मकुंडली के सर्वाधिक दुष्प्रभावित भावों व ग्रहों से पूर्वकर्मों का पता चलने पर उपयुक्त प्रायश्चित्त, पूजा, उपासना, व्रतोपवास आदि बताए जाते हैं। अनुष्ठान पद्धति के अनुसार अति दुष्ट ग्रह या भावेष के देवता के कोप से रोग होता है। अति दुष्ट ग्रहाधिष्ठित राषि में चन्द्र, सूर्य या गुरु के संचरण से रोग या कष्ट का आरंभ होता है और अति सुस्थ ग्रहाधिष्ठित राषि में प्रवेष से व सुस्थ ग्रह के देवता की उपासना से रोग या कष्ट से मुक्ति मिलती है। रोग, कष्ट, विक्षिप्तता, अभिचार का मूल कारण: षारीरिक रोग, कष्ट, मानसिक विक्षिप्तता, अभिचार आदि का मूल कारण ग्रह है या मानव, इस प्रष्न का उत्तर जन्म या प्रश्नकालीन लग्नेश व षष्ठेश के राशि-अंश के योगफल पर निर्भर करता है। परमपुरुष के प्रतिनिधि देवगुरु बृहस्पति हैं। कंुडली में गुरु के षुभ होने से देवता अनुकूल अन्यथा प्रतिकूल फल देंगे। देवता के स्वभाव का निर्णय उनके ग्रहों से संबंधानुसार इस प्रकार करें। दुःस्थान, बाधाराशि व बाधक: कुंडली के छठे, आठवें व 12वें भावों को दुःस्थान कहते हैं। इनमें बैठे ग्रह व भावेश के देवता के कोप से रोग या शोक होता है। मुक्ति हेतु ग्रह से संबंधित देवता की पूजा-अर्चना करें। नौ ग्रहों के देवता इस प्रकार हैंः सूर्य-षिव, चन्द्र-दुर्गा, कुज- कार्तिक, बुध-विष्णु, गुरु-महाविष्णु, शुक्र-लक्ष्मी, षनि-आंजनेय या हनुमान, राहु-चंडी, केतु-गणेष। विविध भावों में ग्रहस्थिति से देवकोप के कारण व षमन विधि की जानकारी मिलती है। बाधक ग्रह दुःस्थान छठे, आठवें, 12वें या तीसरे भाव में हों, तो इष्टदेव के कोप का संकेत देते हैं। व्ययभाव में सूर्य हो या सूर्य से 12वें भाव में पापग्रह हो, तो खंडित देवप्रतिमा के कोप से कष्ट होता है। कुजयुत हो तो प्रबंधकों में मतविरोध के कारण प्रतिमा या मंदिर की देखभाल में कमी के फलस्वरूप दैवकोप होता है। षनियुत हो, तो प्रतिमा, मंदिर या दोनों के दूषित होने से दैवकोप होता है। राहु या गुलिकयुत हो, तो मेढकादि द्वारा प्रतिमा दूषित होने से दैवकोप होता है। लग्न में पापयुत हो तो उचित स्थिति में प्रतिमा नहीं होने से दैवकोप होता है। षनि राहु या केतु युत या छठे, आठवें अथवा 12वें भाव में हो तो गंदगी से मंदिर दूषित होता है। गुलिकयुत हो तो मूर्ति खण्डित होती है। चैथे भाव में पापयुत हो, तो मंदिर के जीर्णाेद्धार की आवष्यकता होती है। बाधक ग्रह की राषि तथा भाव स्थिति व प्रायष्चित्त विधान: यदि बाधक सातवें भाव में हो तो देवता के सम्मुख नृत्य से प्रायष्चित्त होगा। यदि मेष, सिंह या वृष्चिक राषि में हो, तो देवमंदिर को आलोकित करने से प्रायष्चित्त होगा। कर्क, वृष या तुला राषि में हो, तो देवता को दूध, घी, चावल की खीर का भोग लगाने से प्रायष्चित्त होगा। मिथुन या कन्या राषि में हो, तो देवप्रतिमा पर चंदनलेप से षांति होगी। धनु या मीन राषि में हो, तो देवता के फूलों के हार से शंृगार व पवित्र फूलों से पूजा द्वारा प्रायष्चित्त होगा। मकर या कुंभ राषि में हो, तो देवप्रतिमा को वस्त्राभूषण अर्पित करने से प्रायष्चित्त होगा। यदि आठवें या 10वें भाव में हो, तो पूजा या बलिकर्म विधेय है। 12वें भाव में हो तो ढोल, तबला वादन व संगीत के आयोजन से षांति होगी। बाधक के देवता की प्रातः व सायं विधिवत् पूजा-अर्चन करें। यदि बाधक लग्न में हो, तो छाया पात्र दान करें। दूसरे भाव में हो, तो देवता का मंत्रजप करे। तीसरे भाव में हो, तो विधिवत् देवता की पूजा-अर्चना करें। चैथे भाव में हो, तो देवमंदिर का निर्माण कराएं। पांचवें में हो, तो देवता के निमित्त तर्पण और ब्राह्मणों या दीनों को अन्नदान करें। छठे में हो, तो प्रतिकार बलि करें। सातवें में हो, तो प्रतिमा के निकट नृत्य का आयोजन करें। आठवें में हो, तो बलि या विधिपूर्वक व्रतोपवास करें। नौवें में हो, तो देवता के उपासना या आवाहन मंत्र का जप करें। 10वें में हो, तो देवता के निमित्त तर्पण-मार्जन करें। 11वें में हो, तो तर्पण करें। 12व में हो, तो बाधक के देवता से जातक को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं होगी। यदि बाधक ग्रह से 12वें स्थान में सूर्य या सिंह राषि हो, तो देवता की आराधना से कष्टों की तीव्रता कम होगी। चंद्र या कर्क राषि हो, तो षंखाभिषेक और चावल-पानी का निःषुल्क वितरण करें। कुज या कुज की राषि हो तो मंदिर में दीपमाला प्रज्वलित करें तथा हवन कराएं। बुध या बुध की राषि हो, तो नृत्य का आयोजन करें। गुरु या गुरु की राषि हो तो, ब्राह्मण भोजन कराएं तथा आभूषण दान करें। षुक्र या षुक्र की राषि हो, तो मुक्त हस्त से अन्नदान करें। षनि या षनि की राषि हो, तो जनसाधारण व पिछड़ी जाति के लोगों में अन्नदान व भूमिदान करें। लग्न में षुभयुत बाधक या अन्य ग्रह हो तो बाधक या षुभयुत ग्रह के देवता की कृपादृष्टि रहेगी। सर्पदेव का कोप लग्न से छठे, आठवें या 12वें में बाधक या गुरु और केंद्र में राहु हो, तो उच्च श्रेणी के सर्पकोप से कष्ट होता है। गुलिक से केंद्र में गुरु हो, तो निम्न श्रेणी के सर्पकोप से कष्ट होता है। बाधा राषि में राहु हो, तो सर्पकोप से कष्ट होता है। प्रतिकार: यदि लग्न से छठे, आठवें या 12वें भाव या बाधा राषि में राहु हो, तो सर्पबलि विधेय है। लग्न से चैथे भाव में राहु हो, तो चित्रकूट में षिला अर्पित करें। 12वें भाव में राहु हो, तो सर्पदेव के निमित्त संगीत का आयोजन करें। सर्प को दूध-जल मिश्रण अर्पित करें। सातवें भाव में राहु हो, तो भक्तिगीत का आयोजन करें। किसी भी भाव के राहु हेतु सर्पबलि विधेय है। सर्पदेव असंतुष्ट हों, तो रोग व अन्य बाधाओं से कष्ट मिलेगा। सर्पदेव संतुष्ट हों, तो स्वास्थ्य, संतति और समृद्धि देंगे। राहु चर राषि में हो, तो सांप के अंडों के नाष के कारण सर्पदोष से कष्ट होता है। स्थिर राषि में हो, तो यह सर्पनिवास के पास के पेड़ काटने से सर्पडिंबों के क्षतिग्रस्त होने का संकेत है। द्विस्वभाव राषि में हो, तो सर्पहत्याजन्य सर्पश्राप से कष्ट होता है। मांदियुत या उससे पांचवीं, सातवीं या नौवीं राषि में हो तो सर्पश्राप से कष्ट होता है। प्रतिकारः पूजास्थल में सोने या तांबे के सांप या अंडे स्थापित करें, नए वृक्ष लगवाएं। लग्न में चरराषि हो, तो 11 अंडों या छोटे-छोटे सांपों को वंषपरंपरा के अनुसार स्थापित करें। स्थिर राषि हो, तो नौ अंडों या छोटे-छोटे सांपों को वंषपरंपरा के अनुसार स्थापित करें। द्विस्वभाव राषि हो, तो 7 अंडों या छोटे-छोटे सांपों को वंषपरंपरा के अनुसार स्थापित करें। राहु से केंद्र में कुज हो, तो वृक्षों के काटने या मिट्टी हटाते समय अन्य कारण से सांप को मारने, सांपों की बांबी को समतल करने, पेड़ों को आग लगाने या नए पेड़ नहीं लगाने के कारण सर्पकोप द्वारा कष्ट मिलेगा। राहु से केन्द्र में षनि-गुलिक हों, तो सांप की बांबी या पास में मलमूत्रादि की गंदगी इकट्ठी होने, नीचवृत्ति के लोगों को सांप की बांबी के पास भेजने, हाथियों द्वारा सांप की बांबी तहस-नहस करवाने अथवा बांबी पर अबाध रूप से बैलों द्वारा हल चलाकर उसे नष्ट करने के कारण सर्पकोप से कष्ट होता है। राहु से केन्द्र में केवल गुलिक हो, तो थूकने, उनके निवास पर या उसके निकट संभोग या मलत्याग करने के कारण सर्पनिवास अपवित्र होता है। प्रतिकार: राहु से केंद्र में षनि या गुलिक अकेले या एक साथ हों तो सर्पनिवास की सुरक्षा की व्यवस्था करें, साफ रखें, वहां पेड़-पौधे लगाएं, विधिवत् षुद्धिकरण करें। पितृश्राप: बाधाराषि व कुज नवांष में सूर्य या चंद्र हो या छठे, आठवें या 12वें में कर्क-सिंह राषि में पाप हो, तो पूर्वजन्म के मातृ या पितृ श्राप से कष्ट होता है। गुरुयुत या गुरु की बाधा राषि में पाप हो, तो ब्राह्मण व देवता के श्राप से कष्ट मिलेगा। बाधक सूर्य या सिंह राषि हो, तो पिता, पितामह, प्रपितामह या अन्य पूर्वज के श्राप से कष्ट होगा। बाधक मंगल हो, तो अति तीव्र कष्ट होगा। प्रतिकार: माता-पिता की सेवा करें। यदि जीवित नहीं हों, तो श्रद्धापूर्वक उनके वार्षिक कर्म कराएं। निवृत्ति हेतु उपयुक्त उपायों का अवलंबन करें। कुछ लग्नों के हेतु नैसर्गिक पापी सूर्य, मंगल व षनि योगकारक होते हैं। किंतु राहु-केतु सभी लग्नों के लिए पापी होते हैं और अधिष्ठित भाव को प्रभावित करते हैं। नवम, नवमेष या चंद्र राषि से बाधकराषि को राहु-केतु दूषित करें, तो पितृश्राप से जातक की षिक्षा, जीविका, विवाह, दाम्पत्य जीवन, संतान आदि प्रभावित होते हैं। अधिकांषतः षारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति प्रभावित होते हैं। नौवें भाव में षष्ठेष या 12वें भाव में नवमेष हो, तो पिता, गुरु या घर का मुखिया असंतुष्ट होता है। यदि छठे भाव में सूर्य या चंद्र हो, या सूर्य या चंद्र की षष्ठेष से युति हो तो पिता या माता के रुष्ट होने से कष्ट होता है। प्रतिकार: षनिवार को कौओं या मछलियों को गर्म चावल, घी या तिल के लड्डू खिलाने से दोष दूर होता है।

श्री सरस्वती यंत्र

वैदिक ज्योतिष हजारों सालों से भी सरस्वती यंत्र का प्रयोग विद्या प्राप्ति के लिए तथा अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए करता रहा है तथा आज भी श्री सरस्वती यंत्र के विधिवत प्रयोग से अनेक प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण की जा सकती हैं। श्री सरस्वती यंत्र के साथ की जाने वाली मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ श्री सरस्वती यंत्र का प्रयोग करना विशेष लाभकारी रहता है। सरस्वती यंत्र के माध्यम से मां सरस्वती के साथ प्रगाढ़ संबंध स्थापित करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। श्री सरस्वती यंत्र के विधिवत प्रयोग के साथ कुछ अन्य विशेष प्रकार के उपाय करने से अनेक प्रकार के दोषों एवं कष्टों का निवारण हो सकता है तथा उन्हें अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के शुभ फल तथा लाभ प्राप्त हो सकते हैं। श्री सरस्वती यंत्र का नित्य पूजन शिक्षा से संबंधित शुभ फल प्राप्त करने के लिए, ज्ञान, विद्या, कला, संगीत, गायन, वाणी कौशल तथा अन्य बहुत सी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष रूप से किया जाता है तथा इस यंत्र को विधितवत स्थापित कर पूजा करने से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। श्री सरस्वती यंत्र को स्थापित करने से प्राप्त होने वाले लाभ किसी जातक को पूर्ण रूप से तभी प्राप्त हो सकते हैं जब श्री सरस्वती यंत्र शुद्धि करण, प्राण प्रतिष्ठा तथा ऊर्जा संग्रह की प्रक्रियाओं के माध्यम से विधिवत बनाया गया हो, तभी वह अपने पूर्ण फल देने में सक्षम होता है। विधिवत नहीं बनाए गए श्री सरस्वती यंत्र को स्थापित करना कोई विशेष लाभ प्रदान करने में सक्षम नहीं होता। शुद्धिकरण के पश्चात श्री सरस्वती यंत्र को श्री सरस्वती मंत्रांे की सहायता से एक विशेष विधि के माध्यम से ऊर्जा प्रदान की जाती है जो मां सरस्वती की शुभ ऊर्जा के रूप में इस यंत्र में संग्रहित हो जाती है। जितने अधिक मंत्रों की शक्ति के साथ किसी भी सरस्वती यंत्र को ऊर्जा प्रदान की जाती है, उतना ही अधिक शक्तिशाली वह सरस्वती यंत्र हो जाता है। श्री सरस्वती यंत्र की स्थापना के दिन नहाने के पश्चात अपने यंत्र को सामने रखकर 11 या 21 बार श्री सरस्वती मंत्र का जाप करें तथा तत्पश्चात अपने श्री सरस्वती यंत्र पर थोड़े से गंगाजल अथवा कच्चे दूध के छींटे दें, मां सरस्वती से इस यंत्र के माध्यम से अधिक से अधिक शुभ फल प्रदान करने की प्रार्थना करें तथा तत्पश्चात इस यंत्र को इसके लिए निश्चित किये गये स्थान पर स्थापित कर दें। श्री सरस्वती यंत्र स्थापित करने के बाद इस यंत्र से निरंतर शुभ फल प्राप्त करते रहने के लिए, यंत्र की नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। प्रतिदिन स्नान करने के पश्चात श्री सरस्वती यंत्र की स्थापना वाले स्थान पर जाएं तथा इस यंत्र को नमन करके 11 या 21 श्री सरस्वती बीज मंत्रों के उच्चारण के पश्चात अपनी इच्छित मनोकामना का मन में स्मरण करके स्फटिक की माला से किसी भी सरस्वती मंत्र की शांत मन से एक माला फेरें। सरस्वती मंत्र या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ वस्त्रावृता। या वीणा वर दण्ड मंडित करा या श्वेत पद्मासना। या ब्रह्माच्युत्त शंकरः प्रभुतिर्भिदेवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्या पहा। -अर्थात् जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुंद के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दंड शोभायमान हैं, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली ऐसी मां सरस्वती आप हमारी रक्षा करें।

कर्क लग्न में मंगल का प्रभाव

कर्क लग्न में जन्म लेने वाले जातकों को जन्मकुंडली के विभिन्न भावों में मंगल का प्रभाव (फल) लग्न (प्रथम भाव) में बैठे मंगल के प्रभाव से जातक के शारीरिक सौंदर्य में कमी रहती है । विद्या, संतान, राज्य एवं पिता के सुख में भी असंतोष मिलती है, मगर दैनिक जीवन में छोटी-मोटी कठिनाइयां आती रहती हैं ।द्वितीय भाव में अपने मित्र सूर्य की सिह राशि पर मंगल के स्थित होने से जातक को धन और परिवार को पर्याप्त सुख मिलता है । समाज में सम्मान पाता है । संतान एवं विद्या की शक्ति प्राप्त होने पर भी अनेक परेशानियों का अनुभव होता है । आयु तथा धर्म की वृद्धि होती है । तृतीय भाव में मंगल की उपस्थिति से जातक का पराक्रम बढ़ता है तथा भाई-बहनों का सुख प्राप्त होता है । विद्या एवं संतान की शक्ति भी मिलती है । जातक अपने बुद्धि-बल से भाग्यशाली होता है तथा धर्म व यश प्राप्त करता है । पिता से सहयोग मिलता है, इसलिए नौकरी या व्यापार में सफल होता है । चतुर्थ भाव में मंगल के प्रभाव से जातक को माता, भूमि तथा भवन आदि का सुख प्राप्त होता है । साथ ही उसे विद्या, बुद्धि और संतान के पक्ष में भी सफलता मिलती है । स्त्री एवं व्यवसाय के क्षेत्र में उन्नति तथा सुख का योग बनता है । धन- लाभ होता है । जातक सुखी, धनी और सफल जीवन व्यतीत करता है । पंचम भाव में मंगल के होने पर जातक के मान-सम्मान एवं प्रभाव में वृद्धि होती है । लाभ- प्राप्ति के लिए मानसिक परिश्रम अधिक करना पड़ता है । व्यय अधिक रहता है । बाहरी स्थानों के सपर्क से यश, धन तथा सफलता की प्राप्ति होती है । कहीं लग्न के अंतर्गत जन्मकुंडली के षष्ठ भाव में मंगल के होने पर जातक अपने शत्रुओँ पर विजय पाता है । वह विद्या और बुद्धि का धनी होता है । संतान- सुंख प्राप्त करता है । बुद्धियोग द्वारा भाग्य तथा घर्म की उन्नति होती है । शारीरिक सौंदर्य, स्वास्थ्य, सुख एवं शांति में कुछ कमी बनी रहती है । सप्तम भाव में मंगल का प्रभाव होने से जातक को कई सुंदर स्त्रियों का संयोग प्राप्त होता है । साथ ही उनसे कुछ मतभेद भी होता रहता है । व्यावसायिक सफलता मिलती है और सम्मान की प्राप्ति होती है । स्वास्थ्य में कमी तथा घरेलू सुख में असंतोष रहता है । जातक की धन-संचय शक्ति प्रबल रहती है । उसकी वाणी अति प्रभावशाली होती है । अष्टम भाव में मंगल के प्रभाव से जातक को आयु पिता, राज्य, नौकरी या व्यवसाय, विद्या, बुद्धि तथा संतान के पक्ष में कुछ हानि उठानी पड़ती है, किन्तु धन की वृद्धि होती है । परिवार का सहयोग व सुख मिलता है । नवम भाव में मंगल के प्रभाव से जातक की भागयोन्नति होती है । वह धनी, सुखी तथा यशस्वी होता है । दशम भाव में मंगल के रहने से जातक राजनीति एवं कानून का ज्ञाता होता है । स्त्री और पुत्र से सहयोग व सुख मिलता है । यदि मंगल एकादश 'भाव में हो तो जातक को कठिन परिश्रम करना पड़ता है, किन्तु धन का लाभ पर्याप्त मात्रा में होता है । राज्य द्वारा सम्मान की प्राप्ति होती है । धन तथा कुदुम्ब का सुख मिलता है । जातक को बुद्धि एवं संतान की शक्ति प्राप्त होती है । वह धनी, सुखी, योग्य, विद्वान, बुद्धिमान, विजयी तथा सफल होता है। द्वादश भाव में मंगल के होने पर जातक का अनेक अवसरों पर आय से अधिक व्यय होता है । पिता, पुत्र, एवं प्रतिष्ठा के क्षेत्र में कमी होती है । भाई-बहनों से सुख मिलता है तथा पराक्रम में वृद्धि होती है । शत्रुपक्ष से तनाव उत्पन्न होता है जातक मानसिक रूप से कुछ चिंताग्रस्त रहता है ।

Tuesday 1 November 2016

मीन नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह के प्रथम सप्ताह दौरान आपकी राशि से लाभ भाव में मंगल आपको भाग्योदय के साथ लंबी यात्रा कराएगा। परिवार का सहयोग भी प्राप्त होगा। आर्थिक लाभ की भी आशा कर सकते हैं। विशेषकर विदेश संबंधी कार्य, मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले जातक, आयात-निर्यात के कार्यों आदि में आपको विशेष लाभ हो सकता है। विवाह के इच्छुक जातकों के लिए आशाभरा समय कहा जा सकता है। दूसरे सप्ताह दौरान हर कार्य में आपको जीवनसाथी का सहयोग मिलता रहेगा। उसके भाग्योदय से नए अवसर प्राप्त होंगे। बिजनस में भागीदार का सहयोग मिलेगा। नौकरी या व्यवसाय के स्थान पर किसी विपरीत लिंगी जातक की आकर्षण के कारण आपकी प्रतिष्ठा को ठेस न लगे, इसका ध्यान रखें। तीसरे सप्ताह दौरान प्रोफेशनल स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों, उच्च पद पर आसीन, सार्वजनिक जीवन में प्रभावशाली लोगों से आपको तकलीफ रहेगी। पिता के साथ जब-तब व्यर्थ के विषयों पर उग्र कहासुनी हो सकती है। जो लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं अथवा सरकारी काम से जुड़े हुए हैं, उनके लिए वर्तमान समय थोड़ा कठिनाई भरा दिखाई दे रहा है। चौथे सप्ताह दौरान आप के स्वभाव में गुस्से और आवेश की मात्रा अधिक रहेगी। जल्दबाजी में कोई गलत निर्णय न हो जाए, इसका ध्यान रखें। मानसिक दुविधा और वैचारिक उथलपुथल के कारण काम में मन लगाना, आपके लिए काफी मुश्किल हो जाएगा।टिप्सः सूर्य पूजा करें। आेम ह्रीम सूर्याय नमः या गायत्री मंत्र का जाप करें।
व्यवसाय-यह महीना व्यवसायिक प्रगति के लिहाज से शुभ है। परंतु इस समय में किये काम का प्रतिफल तुरंत नहीं मिलने की संभावना लग रही है। बिना हि्म्मत खोए प्रयासरत रहिए। विदेश या मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे जातकों और बौद्धिक कार्यों से जुड़े जातकों को महीने की शुरूआत में बढ़िया लाभ मिलने की आशा है। महीने के उत्तरार्ध में आपको समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की ओर से लाभ मिलने की आशा है। हालांकि, इस समय में आप कानून या रिसर्च जैसे क्षेत्रों में कम सफलता मिलने के आसार हैं।
शिक्षा- छात्रों की शिक्षा हेतु यह महीना ठीकठाक लग रहा है। शुरूआत के समय में आपकी सृजनात्मक शक्ति दुर्बल रहेगी। इस कारण डिजाइनिंग या कला से संबंधित विषयों के लोगों को मनचाही सफलता प्राप्त नहीं हो सकेगी। प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी यह समय फलदायी प्रतीत नहीं होता। 22 तारीख के बाद आध्यात्मिक विषयों में आपका रूझान रहेगा। हालांकि, इस समय में सामान्य पढ़ाई कर रहे लोगों को भी एकाग्रता व याददाश्त शक्ति घटने की शिकायतें रहेंगी।
आर्थिक स्थिति-आर्थिक मोर्चे पर कोई चिंताजनक समाचार मिलने की संभावना नजर नहीं आती। कुंडली के ऊपर फिलहाल किसी शुभ ग्रहों का प्रभाव नहीं पड़ने के कारण किसी विशेष लाभ होने की संभावना नजर नहीं आती। कास्मेटिक्स, मनोरंजन, ग्राफिक्स, आर्किटेक्ट्स, कला, थियेटर, रेस्टोरेंट, स्पा इत्यादि व्यवसाय में आपको अच्छा आर्थिक लाभ हो सकता है। जमीन या कृषि संबंधित उत्पादनों अथवा लाल रंग की वस्तुओं के व्यापार में भी महीने के पूर्वार्ध में लाभ मिलने की उम्मीद हैं। महीने के उत्तरार्ध में आपके खर्च बढ़ेंगे।
स्वास्थ्य- स्वास्थ्य के मामलें में आपको सावधानी रखनी होगी। इसकी वजह आपके रोग स्थान से राहु का प्रसार होना है। पहले पखवाड़े में आपके अष्टम स्थान से शुक्र का भ्रमण होगा। वहीं दूसरे पखवाड़े में सूर्य व अंतिम सप्ताह में सूर्य व बुध ये दोनों ही ग्रह अष्टम स्थान पर रहेंगे। शरीर के गुप्त भागों की समस्या, त्वचा की बीमारी, गर्मी से उत्पन्न होने वाले रोग, शरीर की आंतरिक गर्मी, ब्लड प्रेशर, सरदर्द वगैरह होने की फरियाद रहने की संभावना है

कुंभ नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह पूर्वार्ध दौरान पारिवारिक कार्यों में खर्च बढ़ने की संभावना है। सार्वजनिक जीवन में आपकी सक्रियता बढ़ेगी, जिसमें किसी मांगलिक प्रसंग में जाएंगे अथवा स्नेह मिलन जैसे कार्यक्रमों में व्यस्त रह सकते हैं।महिला मित्रों से लाभ होगा। उनके ज्ञान का उपयोग करेंगे तो अधिक प्रगति कर सकेंगे। आपके काम-धंधे में भी बुद्धि से आगे बढ़ेंगे तो अधिक लाभ होगा। आप जिस स्थान पर व्यापार या नौकरी करते हैं, वहां वाणी के कारण लोगों में आपका प्रभाव पड़ेगा। आप क्लाइंट या ग्राहकों को अपनी बात सरलता समझा सकेंगे। आपके प्रशंसकों में वृद्धि होगी। आर्थिक सुदृढ़ता और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी, जिससे पारिवारिक स्तर पर भी आपके कद में वृद्धि होगी। उत्तरार्ध में आप में साहसिकता की मात्रा बढ़ती जाएगी। आप कोई ऐसा कार्य करेंगे, जिसके कारण बड़ा खर्च आ जाएगा। आप यदि कोई अचल संपत्ति खरीदने का विचार कर रहे हैं तो उसके लिए अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। शीघ्रता और सरलता से कार्य पूरे नहीं होंगे। जो जातक जमीन की दलाली का कार्य करते हैं उन्हें कोई बड़ा सरकारी काम मिलने की संभावना कही जा सकती है। ससुराल पक्ष में घर के मुखिया का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो अब उसमें सुधार आएगा। संतान के विषय में चिंता कम होती जाएगी। टिप्सः पूरे वर्ष दौरान एवं विशेषकर इस महीने के दौरान शिवलिंग पूजा दूध एवं पानी के साथ करें।
व्यवसाय- इस महीने के शुरू में आपके चालू धंधे में कठिनाईयां आने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। 14 तारीख के बाद आपको कुछ राहत मिलेगी। महीने के अंत आते-आते आपको विपत्तियों के बाद सफलता का स्वाद चखने को मिलेगा। सरकारी या कोर्ट-कचहरी के मामले चलते रहेंगे। 17 तारीख के बाद सुधार आता महसूस होगा। उत्तरार्ध के समय में व्यवसायिक मोर्चे पर हानि की संभावना को देखते हुए सावधान रहना जरूरी होगा। यांत्रिक साधनों, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रोनिक्स, साहित्य-प्रकाशन, फाइनेंस, प्रिंटिंग (कपड़े व कामज), धातु, फर्नीचर, डेकोरेशन इत्यादि के धंधों में अच्छा मुनाफा होगा।
शिक्षा- इस माह विद्यार्थी जातकों की दिन प्रतिदिन एकाग्रता में वृद्धि होती दिखाई पड़ेगी। पूर्वार्ध के समय में गूढ़ विद्या, धार्मिक ज्ञान, ज्योतिष विद्या, कर्मकांड वगैरह में अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए अधिक अनुकूल रहेगा। उत्तरार्ध के समय में आप विषयों को फिर से दोहराने पर ध्यान देंगे। संबंधित विषयों के पुराने पेपर्स को हल कर अपने ज्ञान को पुख्ता करने की भी चेष्टा कर सकते हैं। कठिनाई महसूस करने पर विषय के विद्वानों की सलाह लेेंगे। प्रैक्टिकल शिक्षा पर अधिक ध्यान देंगे। विद्याभ्यास के लिए विदेश जाने के इच्छुक लोगों को सफलता के अवसर प्राप्त होंगे। इससे जुड़ी कार्यवाहियों में भी सकारात्मक तेजी देखने को मिलेगी।
आर्थिक स्थिति- धंधे-व्यवसाय में आपको इस महीने बाजार की गलाकाट प्रतियोगिता का सामना करने के लिए कमर कसकर तैयार रहना होगा। अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ने के लिए सेल्स टीम व पब्लिसिटी के पीछे धन लगाएंगे। जीवन में आय व व्यय का पलड़ा संतुलन में रहेगा। अपने कारोबार में किसी नई जगह की खरीद की भी संभावना लग रही है। शेयर बाजार, कमीशन, दलाली, ब्याज, बैंकिग इत्यादि से जुड़े जातकों को उत्तम लाभ मिलने का योग बन रहा है।
स्वास्थ्य- माह के पूर्वार्ध के समय में आपको खूब संभालना होगा। इसका कारण यह है कि अष्टम स्थान पर सूर्य, बुध और गुरू की युति है। आपको विशेषकर ब्लड प्रेशर, हृदय या पेट से संबंधित समस्या होने की संभावना है। पिता या पिता तुल्य व्यक्तियों का स्वास्थ्य आपको किसी चिंता में डाल सकता है। ऊर्जा के स्तर के बढ़े-चढ़े होने से इस शक्ति का प्रयोग लाभदायी जगह करें तो उत्तम रहेगा। महीने के उत्तम चरण मं आपके साहस में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। इस समय के दौरान उतावली के कारण आपको किसी प्रकार की कोई चोट नहीं लगे इसकी सावधानी रखें।

मकर नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह के पहले पखवाड़े दौरान नौकरी करने वाले जातकों को कार्यस्थल के लिए अधिक समय निकालना पड़ेगा।मित्रों और परिचितों से मुलाकात होगी। मंगल मकर राशि में प्रवेश कर रहा है, जिसके कारण स्वभाव में भी थोड़ा परिवर्तन आ सकता है। धार्मिक स्थान की यात्रा का कार्यक्रम बनेगा। व्यवसायिक क्षेत्र में आपकी गतिविधियां धीरे धीरे तेज होती दिखाई देंगी। परिवार पर खर्च की मात्रा में वृद्धि होगी। नया घर अथवा अचल संपत्ति खरीदने का विचार बना रहे हैं तो फिलहाल अनुकूल समय है। संतान पर खर्च बढ़ता जाएगा। इस समय आप के लिए थोड़ा कठिनाई भरा रहेगा क्योंकि आपके स्वभाव में थोड़ी सख्ती बढ़ेगी। माह के दूसरे पखवाड़े दौरान अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री संबंधित काम में तेजी आएगी। ससुराल पक्ष से अच्छा सहयोग मिलेगा। इस समय के दौरान धार्मिक विषयों में रुचि बढ़ेगी। जीवन साथी के साथ थोड़े मतभेद बढ़ने की संभावना है। ससुराल पक्ष के साथ संबंधों में थोड़ा मनमुटाव हो सकता है। पैतृक संपत्ति के विषय में आपको थोड़ी शांति रखनी पड़ेगी। जल्दबाजी में निर्णय लेने से नुकसान होगा। वाहन चलाने में सावधानी रखें क्योंकि हड्डी टूटने का योग दिखाई दे रहा है। आपमें आध्यात्मिक विचारों की वृद्धि होगी। विदेश से संबंधित व्यवसाय करने वाले जातकों के लिए विशेष प्रगति का चरण है।टिप्सः बुधवार को कच्चा नारियल शिवलिंग के आगे अर्पित करें। घर में गुगल का धूप करें।
व्यवसाय-पूर्व के महीने की तुलना में इस महीने में आपकी अच्छी प्रगति होने की उम्मीद है। व्यवसायिक मोर्चे पर आपके प्रोडक्शन व टर्न ओवर में बढ़ोतरी होगी। इसका असर आपके बैलेंस शीट पर भी पड़ेगा। बाजार में प्रोडक्ट या सेवा की गुणवत्ता में वृद्धि करने की मांग उठने से आप इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने का विचार करेंगे।
शिक्षा- इस महीने के शुरू से विद्यार्थी जातकों की अभ्यास में एकाग्रता बढ़ जाएगी। 14 तारीख के बाद आपके पढ़ाई के समय में वृद्धि होग। कठिन विषयों में भी रूझान रखते हुए उसको ठीक से समझने का प्रयास करेंगे। प्रैक्टिकल या मेडिकल साइंस, टेक्निकल विषयों इत्यादि में अभ्यासरत लोगों को काफी सफलता मिलेगी। विदेश जाने की तैयारी कर रहे जातकों के लिए भी यह सफलतादायी समय है।
आर्थिक स्थिति- धन स्थान में केतु के रहने से महीने के प्रथम सप्ताह से आप अपनी आर्थिक परेशानियों को दूर करने का रास्ता ढूढ़ सकेंगे। वसीयत की संपत्ति, जेवरात इत्यादि जैसे प्रश्न अगर फंसे हुए हैं तो इस महीने में उसका हल निकलने की संभावना है। नौकरी में लगे लोगों को इस महीना अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है। पूर्व में फंसे हुए धन, एरियर्स, बोनस, इंसेंटिवं इत्यादि के धन यदि कहीं अटके हैं तो वो मिलने की आशा है.
स्वास्थ्य- इस महीने के दौरान छोटी मोटी ऋृतुगत बीमारी को छोड़कर आपकी तंदुरूस्ती अच्छी रहेगी। चुस्ती-फुर्ती अच्छी रहेगी। धार्मिक या योग शिविर में भाग लेकर मानसिक शांति प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। कुटुंब में किसी धार्मिक या मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन होने की संभावना है। 17 तारीख के बाद आपके सुख में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।

धनु नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह के शुरूआती सप्ताह दौरान आप में जोश और ऊर्जा का स्तार अधिक रहेगा, जिसका सकारात्मक उपयोग करते हुए व्यावसायिक प्रगति कर सकेंगे। व्यापार में किसी नवीन निवेश की योजना बना सकते हैं हालांकि, आपको गैर जरूरी खर्च पर विशेष नियंत्रण रखना पड़ेगा। विपरीत लिंगी जातक के प्रति आकर्षण अधिक रहेगा। दूसरे सप्ताह में भी आप में आनंद और मानसिक प्रफुल्लता अधिक रहेगी। ज्यादातर समय आप रोमांटिक मूड में रहेंगे। किसी विशेष व्यक्ति के लिए आपके दिल में प्रेम का भाव उत्पन्न होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। आप कल्पना की दुनिया में अधिक रहेंगे। माह उत्तरार्ध की शुरूआत स्वास्थ्य की समस्या, वरिष्ठजनों के साथ अनबन, घर में बुजुर्गों के साथ संबंधों में तनाव, सरकारी या कानूनी कार्यों की अड़चन, स्वास्थ्य की तकलीफ रहने की संभावना है। पिता के साथ भी थोड़े मतभेद होंगे अथवा पिता को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी रहेगी। मौसा पक्ष से फिलहाल आपको अच्छा सहयोग मिले सकता है। आपको काम के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत है अन्यथा इस समय बेध्यानी के कारण आपको चोट लग सकती है। गुस्से और आवेश पर नियंत्रण रखें। आप को आय होगी। साथ ही, निवेश के लिए आप अच्छी तरह योजना बना सकेंगे। टिप्सः शिवजी को हर सोमवार एवं गुरूवार दूध तथा जल का अभिषेकर करें। अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों को दान दें।
व्यवसाय- आयात-निर्यात के कामों में काफी अच्छा लाभ होने की संभावना हैं। मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे जातकों के लिए भी शुभ समय है। हालांकि, विदेशों से पैसे आने में थोड़ी देर लग सकती है। अगर आप अपने प्रोडक्ट की गुणवत्ता में ध्यान नहीं रखेंगे तो बिजनेस पर खराब असर पड़ने की संभावना है। महीने के उत्तरार्ध में आपको व्यवसायिक स्पर्धा में टिके रहने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी।
शिक्षा-इस समय आप पढ़ाई के अलावा मनोरंजक क्रियाकलापों में भी रुचि लेंगे। शैक्षणिक उपलब्धि मिलने से आपके आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी। आप एकाग्रता के साथ आगे बढ़ेंगे। तेजस्वी विद्यार्थीगण की गई पढ़ाई को दोहराने में अधिक रुचि रखेंगे। गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों में गहराई से उतरने की उत्कंठा और जीवन के अज्ञात रहस्यों को जानने की ललक में आपक किसी योग्य आध्यात्मिक गुरू की तलाश में जा सकते हैं।
आर्थिक स्थिति- रूपये-पैसों की आमदनी होती रहेगी। लोन या वसूली के प्रयासों में प्रारंभिक असफलता मिलने के बाद सफलता मिलेगी। सरकारी कामकाज और दस्तावेजी प्रक्रियाओं में खर्च आ सकते हैं। व्यवसायियों को कानूनी प्रश्नों में भी खर्च करने की तैयारी रखनी होगी। इसका बुरा असर आपके टर्न ओवर पर भी पड़ सकता है। आपके कार्यों में विलंब होने से पैसों की कमी परिलक्षित होगी।
स्वास्थ्य- इस महीने के शुरू में आपको अपने स्वास्थ्य को मौसमी बीमारियों से बचाना होगा। किसी गंभीर बीमारी की अाशंका नजर नहीं आती। किसी लंबी बीमारी से परेशान लोगों के ऊपर उपचार का असर अब दिखाई पड़ने लगेगा। घर के कामकाज के उपरांत पारिवारिक या सामाजिक काम भी आप निपटा सकेंगे। सेवा के कार्यों में आप जोर शोर से हिस्सा लेंगे। जीवन साथी का स्वास्थ्य नरम-गरम रहेगा। पिता का स्वास्थ्य भी आपको आशिंक रूप से चिंता में रखेंगा।

वृश्चिक नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह के शुरूआती सप्ताह दौरान मंगल राशि बदलकर मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। आपकी राशि से तीसरे भाव में मंगल का भ्रमण विजय योग बनाएगा। हालांकि, महिला जातकों को गर्भाशय एवं किडनी की तकलीफ रहेगी। विद्यार्थी इस समय प्रतियोगी परीक्षा देंगे तो उसमें सफलता मिल सकती है। दूसरे सप्ताह दौरान भी आपको स्वास्थ्य संबंधी छोटी-बड़ी शिकायत हो सकती है। यात्रा का योग बन रहा है। यदि किसी के साथ वाद विवाद चल रहा है तो मामले में समाधान आएगा। १० से १२ तारीख़ तक का समय उन जातकों के लिए प्रगतिकारक है, जो लोग लेखन, ट्रेवलिंग, ट्रान्सपोर्ट, कुरियर, कम्युनिकेशन संबंधी काम से जुड़े हैं। उत्तरार्ध की शुरूआत में प्राकृतिक सौंदर्य वाले स्थान पर घूमने जाने की संभावना रहेगी। सरकारी कामों में थोड़ा विलंब रहेगा। वर्तमान समय में आपको बिजनेस अथवा काम से संबंधित कोई नर्इ योजना बनेगी। हालांकि, १८ या १९ तारीख़ को ससुराल पक्ष के साथ थोड़ा मतभेद हो सकता है। २० तारीख़ के बाद आर्थिक मोर्चे पर राहत रहने की संभावना है। घर में धार्मिक प्रसंग का आयोजन हो सकता है। नौकरी में आप को अभी आपके बॉस के साथ थोड़ी तकलीफ रहेगी। २७ तारीख़ के बाद आप अपनी मधुर वाणी के जादू से अपने कार्य संपन्न करेंगे। टिप्सः सूर्य पूजा हर रोज करें। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
व्यवसाय- आपके कर्म स्थान में राहु है। व्यवसायिक गतिविधियों में इस महीने आप उतार-चढ़ाव का मुंह देखना पड़ सकता है। 17 तारीख के बाद सूर्य व बुध के आपके व्यय स्थान पर आकर युति बनाएंगे। जहां महीने के प्रारंभिक समय में आपको फायदा पहुंचेगा, वहीं महीने के अंतिम समय में इसके ठीक विपरीत स्थिति हो सकती है। महीने के उत्तरार्ध में मंदी का सामना करना पड़ सकता है। नौकरी में लगे लोगों का स्थानांतरण या उन्हें किसी प्रकार की यात्राएं करनी पड़ सकती हैं।
आर्थिक स्थिति- इस महीने के शुरूआत में व्यवसायिक मोर्चे पर आपको दूर-दराज के कामकाजों से आर्थिक लाभ होने की संभावना है। इस समय के दौरान विपरीत लिंगी लोगों, भोग-विलास और मस्ती के पीछे अधिक खर्च रहेंगे। अटके हुए पैसे प्राप्त होने की संभावना रहेगी। वाणी में अंकुश रखें नहीं तो आती-आती वसूली अटक जाने का डर है। उत्तरार्ध के समय में कचहरी या कानूनी मामलों में खर्च की संभावना है।
स्वास्थ्य-इस महीने आप में मानसिक चिंता अधिक रहने से इसका खराब असर आपकी सेहत पर पड़ने की आशंका है। महीने के उत्तरार्ध में मन में चिंता, उचाट, व्यग्रता रहेगी। 22 तारीख के बाद मन में नकारात्मक विचार आने की संभावना है। फालतू की चिंता, डायबिटीस, ब्लडप्रेशर, डिप्रेशन की समस्या, मानसिक तनाव इत्यादि आ सकता है। ध्यान और आध्यात्मक का अनुसरण करने पर मानसिक शांति का अनुभव करेंगे।

तुला नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह की शुरूआत में आप उत्साह और उमंग से भरे रहेंगे। आपको अधिक से अधिक रोमांटिक विचार आएंगे और विपरीत लिंगी जातक के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। किसी नए गैजेट, ऐशो-आराम की चीजों, विलासितापूर्ण जीवनशैली पर खर्च, सोना-चांदी अथवा ज्वैलरी की खरीदी आदि पर खर्च की संभावना है। आपको वाणी से लाभ होगा। किसी सार्वजनिक कार्यक्रम, परिसवांद में आप लोगों को संबोधित करेंगे और उसके अधिकांश वर्ग पर प्रभाव पड़ने की संभावना है। सेल्स और मार्केटिंग से जुड़े जातक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे। उच्च डिग्री के लिए अध्ययन की शुरूआत करने के इच्छुक विद्यार्थी शुरूआत कर सकेंगे। जीवन साथी के साथ अहं का टकराव हो सकता है। आप को अपने गुस्सा पर भी थोड़ा नियंत्रण रखना जरूरी है। माह के उत्तरार्ध में आपके परिवार के साथ थोड़े मतभेद पैदा होंगे। हड्डी और आँख संबंधी तकलीफ का अनुभव करेंगे। शरीर की गर्मी के कारण मुँह में छाले हो जाएंगे। नौकर-चाकरों के साथ संबंध सुधरेंगे। २० से २३ तारीख़ तक आपके लिए आमदनी उधार-वसूली की दृष्टि से समय लाभदायी रहेगा। परंतु, कोई मित्र अथवा विश्वसनीय व्यक्ति धोखा दे सकता है। विशेषकर किसी के भरोसे काम न छोड़ें तथा आर्थिक लेनदेन, दस्तावेजी कार्य, किसी कागज पर हस्ताक्षर-मुहर लगाने में दूसरे लोगों पर अंध विश्वास न करें। टिप्सः गुस्से पर नियंत्रण रखें। दूध एवं पानी से शिवलिंग की पूजा करेंं |
व्यवसाय- व्यवसायिक क्षेत्र में आपके प्रतिस्पर्धियों और छिपे शत्रुओं की तादाद बढ़ने से जरा भी असावधानी नहीं बरतें। धंधे में मध्यम गति से प्रगति होती रहेगी। पुश्तैनी व्यापार में पुत्र की मदद प्राप्त होगी। भागीदारी के कामकाज में आपके बीच अच्छा तालमेल रहेगा। पार्टनर के साथ मिल बैठकर योजनाओं की रूपरेखा बना सकते हैं। नौकरी वर्ग को अपने द्वारा की गई मेहनत का प्रतिफल प्राप्त होगा। यश और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आप अपने पेशेवर क्षेत्र में खुद की एक पहचान बना सकेंगे।
शिक्षा- सृजनात्मक विषयों जैसे कि डिजाइनिंग, अभिनय, कला, आर्किटेक्ट, क्राफ्ट इत्यादि में अभ्यारत लोगों के लिए महीने के शुरू का समय काफी उत्तम व्यतीत होगा। सरकारी विभागों में प्रवेश के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं, टेक्निकल परीक्षाओं में आप तारीख 17 के बाद सफलता हासिल कर सकेंगे। विदेश में पढ़ाई के लिए इच्छुक लोगों को भी परीक्षा या एडमीशन से संबंधित कार्यवाही में अवरोध आने की संभावना है। सामान्य पढ़ाई में भी आप अनिश्चितता के शिकार रहेंगे।
स्वास्थ्य- शारीरिक आरोग्य को लेकर मन-ही-मन परेशान रहेंगे। प्रथम पखवाड़े में आपको दायी आंख, मुंह, कान इत्यादि में विकार उत्पन्न होने की वजह से कोई परेशानी हो सकती है। छोटे-मोटे आॅपरेशन या सर्जरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस समय आप में साहस की क्षमता अधिक होने के कारण खतरनाक काम करते समय या स्पोर्ट्स परफाॅरमेंस करते समय किसी प्रकार की दुर्घटना होने की आशंका अधिक रहेगी। स्वास्थ्य में सुधार हेतु आपको चिकित्सकीय सुधार की जरूरत पड़ सकती है। अस्थि भंग या अप्रत्याशित चोटों की संभावना को देखते हुए किसी प्रकार की जल्दबाजी नहीं करने की सलाह है। मानसिक स्थिरता बनाए रखने की बहुत आवश्यकता है।

सिंह नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह की शुरूआत में प्रेम संबंध अच्छे रहने की संभावना है। आप के लंबित पड़े सरकारी काम पूरे होंगे। परिवार और समाज में आपका मान सम्मान बढ़ेगा। आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आप तन मन धन से मेहनत करने के लिए सक्रिय रहेंगे। बुध वृश्चिक राशि अर्थात् आपकी राशि से चौथे भाव में आप को जमीन मकान वाहन के विषय में शुभ फल प्रदान करेगा। वित्तीय और आमदनी संबंधी कार्य आसानी से पूर्ण होने से मानसिक प्रसन्नता महसूस होगी। शेयर मार्केट, लाॅटरी और सट्टेबाजी संबंधी कार्यों में भाग्य आजमाने के लिए भी शुभ समय है। माह मध्य में सूर्य राशि बदलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहा है। आपकी राशि से चौथे भाव में सूर्य का भ्रमण आपके लिए थोड़ी तकलीफ जनक रह सकता है। हृदय में चिंता उदासीनता और अनिद्रा रहेगी। जो जातक हृदय की बीमारी से पीड़ित हैं, उनकी तकलीफ बढ़ेगी, इसलिए सावधानी रखें।नौकरी में भी स्थानांतरण अथवा बाहर जाने का योग बनेगा। २१ और २२ तारीख आप के लिए दुविधा, चिंता और किसी विषय में निर्णय लेने में भ्रामक रहेगी। इस समय कोई महत्वपूर्ण निर्णय न लें। यदि कोई निर्णय लेने बहुत जरूरी हो तो किसी की मदद लें तथा भले-बुरे हर पक्ष का विचार करने के बाद ही आगे बढ़ें अन्यथा जल्दबाजी में लिया गया निर्णय आप को आर्थिक नुकसान करवाएगा।टिप्सः रविवार को घी एवं गुड़ से बनी वस्तु का दान करें। सूर्य पूजा करें।
व्यवसाय-व्यवसाय में महीने की शुरआत आर्थिक नुकसान और मंदी के साथ होने का अंदेशा है। पर धीमे-धीमे आपकी स्थिति में सुधार आएगा। भागीदारी के कार्यो में सतर्क रहें। किसी नयी भागीदारी या करार को हाल में टालें। भौतिक सुख सुविधाओं के पीछे अत्यधिक ध्यान देंगे जिससे आपको व्यवसायिक मामलों में पीछे जा सकते हैं। शेयर बाजार या लाॅटरी जैसे भाग्य पर आधारित कार्यों से दूरी बनाएं।
शिक्षा- शिक्षण के विचार से आपके पंचम स्थान का मालिक गुरू दूसरे स्थान पर बुध और मंगल के साथ युति में है। आप पढ़ाई में रूचि तो दिखाएंगे, पर लग्न स्थान पर राहु एवं पंचम स्थान मंगल के कारण इच्छानुसार एकाग्रता से पढ़ाई नहीं कर सकेंगे। उच्च शिक्षा से जुड़े जातकों को भी अवरोध एवं विलंब का सामना करना पड़ सकता है। महीने के उत्तरार्ध में सरकारी प्रवेश परीक्षाओं में आप थोड़ी रूचि लेंगे।
स्वास्थ्य- स्वास्थ्य में आपको उतार-चढ़ाव का अनुभव होगा। माता का स्वास्थ्य आपकी चिंता का कारण बन सकता है। किसी रोग से पीड़ित होना आपको चिंताजनक स्थिति में रखेंगा। पानी से उत्पन्न होने वाले रोगों से भी बचाव करना होगा। आप नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से आपको चैन मिलेगा।

कर्क नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह की शुरूआत में वैवाहिक और व्यावसायिक जीवन में क्रमशः जीवन साथी एवं व्यवसायी सहयोगी के साथ तकरार होने की संभावना है। लंबित पड़े सरकारी अथवा कानूनी कार्य संपन्न होंगे। विवाह के इच्छुक जातकों के लिए भी आशाजनक समय है। आपको खूब सारे रिश्ते मिलेंगे अथवा कहीं बात चल रही हो तो रिश्ता पक्का होगा। आप अपने से अधिक उम्र के विपरीत लिंगी जातक के प्रति आकर्षित हो सकते हैं। नौकरीपेशा जातकों के लिए समय अनुकूल है। हालांकि, आप अपने विरोधियों से सचेत रहें। जो लोग किडनी और डायबिटीज जैसी तकलीफ से पीड़ित हैं, उनकी तकलीफ बढ़ सकती है। माह उत्तरार्ध में स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की जरूरत रहेगी। छात्र पढ़ने लिखने में अधिक ध्यान नहीं देंगे। संतान से जुड़ी कोर्इ बात परेशान कर सकती है। १६ और १७ तारीख को खर्च बढ़ने की संभावना है। मानसिक बेचैनी भी रह सकती है। परिजनों के साथ किसी बात को लेकर मतभेद होने की संभावना है। आप अाध्यात्मिक एवं धार्मिक मामलों में अधिक रुचि लेंगे। परिवार के साथ वैचारिक मतभेद होने की संभावना है। विवाह के बाद अनैतिक संबंध वैवाहिक जीवन में तनाव एवं मतभेद का कारण बन सकते हैं। नौकरीपेशा लोगों को ऑफिस के काम से विदेश जाने का ऑफर मिलेगा अथवा नौकरी में स्थानांतरण होगा। टिप्सः घर में नौकरों एवं कार्यस्थल पर अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ अच्छा व्यवहार करें।
व्यवसाय-व्यवसाय और नौकरी में प्रतिस्पर्धियों और शत्रुओं को सरलता से पीछे छोड़ सकेंगे। फिलहाल, अपनी वर्तमान स्थिति को बनाए रखने में ही भलाई है। महीने के उत्तरार्ध में भाग्यशाली समय होने के कारण आप रियल एस्टेट, सरकारी नौकरी अथवा कॉन्ट्रैक्ट, पैतृक धंधे में अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
शिक्षा- विद्यार्थी जातकों की हाल में शिक्षा के प्रति रुचि कम रहेगी। पाठ्येतर गतिविधियों में मन के लगे रहने के कारण पढ़ाई-लिखाई में आपका मन नहीं लगेगा। शिक्षा हेतु विदेश जाने के इच्छुक जातकों को दस्तावेजी प्रक्रियाओं में अनुकूलता रहेगी। कृषि और उससे संबंधित मामलों में अत्यधिक जिज्ञासा जागृत होने की संभावना लग रही है।
स्वास्थ्य-स्वास्थ्य की दृष्टि से यह महीना आपको निरंतर यात्राओं में मशगूल रखेंगा। आपके स्वास्थ्य में अचानक से सुधार अथवा कोई समस्या आ सकती है जो कि आपके जन्म के ग्रहों पर आधारित होगी। व्यवसायिक चिंता के कारण आपको मानसिक बेचैनी रहने का अाशंका है। लैंगिक बीमारियां, एसिडिटी और पैरों में सूजन की संभावना से भी नकारा नहीं जा सकता।

कन्या नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह की शुरूआत में मंगल राशि बदलकर मकर में प्रवेश कर रहा है, जो आप को संतान के विषय में चिंता बढ़ाएगा अथवा संतान की तरफ से तकलीफ होगी। हालांकि, व्यापार में आपको कोई लाभ मिलता रहेगा। विपरीत लिंगी जातक के साथ आपकी निकटता बढ़ सकती है। किसी बड़ी उम्र के व्यक्ति की तरफ आकर्षित होंगे, ऐसा भी हो सकता है। इसके पश्चात शुक्र राशि बदलकर धनु अर्थात् आपकी राशि से चौथे भाव में प्रवेश कर रहा है। जो आपके लिए शुभ फलदायी साबित होगा। बुध राशि बदलकर वृश्चिक राशि में अर्थात् आपकी राशि से तीसरे भाव में आने से उद्यम और पराक्रम के विषय में विशेष शुभ फल प्रदान नहीं कर सकेगा। सप्ताह की शुरूआत में आपके थोड़े क्रोध और गुस्से के कारण किसी के साथ संबंध बिगड़ेंगे। इच्छित काम नहीं होगा। माह उत्तरार्ध के पहले के दो दिन आपके लिए थोड़े तकलीफदायक रहेंगे और हर काम में विघ्न का अनुभव करेंगे। आप उमंग और रुचिपूर्वक काम नहीं कर सकेंगे अथवा योग्य माहौल ही नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य के विषय में भी तकलीफ रहेगी। इसके बाद २१ और २२ तारीख को आप मानसिक दुविधा और चिंता, काम में तकलीफ महसूस करेंगे। जल्दबाजी करने से आपका कोई काम बिगड़ेगा अथवा नुकसान होने की संभावना है। इस समय आप के गुस्से अथवा आवेश के कारण किसी के साथ उग्र विवाद या झगड़ा हो सकता है। टिप्सः रविवार का उपवास रखें एवं इस दिन खीर रोटी खाएं। रविवार को सूर्य पूजा करें। घी का दान करें।
व्यवसाय- व्यवसायिक मामले में इस महीने आपके द्वारा उठाया गया हर एक कदम सही पड़ेगा। मन में आकार ले रही योजनाओं को अमल में ला सकेंगे। वर्तमान समय में आपके द्वारा किए गए किसी प्रकार के कार्य की शुरूआत आपको सफलता प्रदान कराएगी। किसी भी व्यवसायिक गतिविधियों में आपको सिद्धि मिलेगी। नौकरी वर्ग को उनकी कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण का बढ़िया प्रतिफल प्राप्त होगा। आपके सभी प्रोजेक्ट पूर्ण होंगे। आपके हाथ नीचे काम कर रहे लोगों का पूर्ण समर्थन मिलेगा।
शिक्षा- इस महीने के शुरूआत से आपकी ज्ञान पिपासा, नई-नई चीजों को सीखने की जिज्ञासा, जनरल नाॅलेज, प्रैक्टिकल नाॅलेज, रिसर्च वैगरह में आपकी खूब रूचि बढ़ेंगी। उच्च शिक्षा और टेक्निकल क्षेत्र की पढ़ाई कर रहे लोगों को भी इच्छित परिणाम प्राप्त हो सकेंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोगों और डिस्टंस लर्निंग कर रहे लोगों को भी सफलता के विशेष अवसर मिलने की संभावना है। विदेशगमन की तैयारी कर रहे लोगों को भी वीजा या एडमिशन की कार्यवाही में सफलता मिले |

मिथुन नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

इस माह की शुरूआत में संतान की चिंता रह सकती है। विद्यार्थियों को पढ़ाई में विलंब अथवा पढ़ाई से संबंधित निर्णय लेने में दुविधाजनक स्थिति रहेगी। प्रेम संबंध के विषय में भी चिंता में वृद्धि हो सकती है। आर्थिक मोर्चे पर आपको अपेक्षा से कम लाभ होगा और उधार वसूली, ऋण या बकायदा बिल जैसे कार्य अटक सकते हैं। आप परिवार या जीवन साथी के साथ अच्छी तरह समय व्यतीत कर सकेंगे। दूसरे सप्ताह में नौकरी एवं दैनिक अमादनी काफी अच्छी रहने की संभावना है। हालांकि, स्वभाव में आवेश रहने की संभावना है। वाहन चलाने में भी सावधानी बरतें। तीसरे सप्ताह दौरान जब सूर्य राशि परिवर्तन करते हुए वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा तो दैनिक आमदनी, नौकरी आदि विषयों में शुभ फल मिलने की संभावना है। हालांकि, जीवन साथी का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। वैवाहिक जीवन में मतभेद की भी संभावना है। विपरीत लिंगी जातकों से विवाहेतर संबंध बनने की संभावना भी बन रही है। तीसरे सप्ताह दौरान कोई नया उद्यम शुरू करने से बचें या सावधानी बरतें। अपने गुस्से और आवेश पर नियंत्रण रखना जरूरी है। माह का चौथा सप्ताह आपके लिए शुभ फलदायी रहेगा। आप आनंद व उत्साह के साथ व्यतीत करेंगे।टिप्सः अविवाहित जातकों को कोर्इ भी निर्णय सोच विचार कर लेना चाहिए। इस पूरे वर्ष दौरान आप बुधवार का उपवास करें एवं मूंग खाएं।
व्यवसाय- व्यवसायिक कामकाजों में इस महीने किस्मत उतना साथ नहीं दे सकेगी। किसी प्रकार का नया साहस करने पर आपको अपने कदम पीछे खींच लेने पड़ सकते हैं। महीने के उत्तरार्ध में रियल एस्टेट, कृषि, रंग, रसायन, खाद, सरकारी कामकाज, शेयर बाजार में योजनापूर्वक किया गया निवेश सफलता दिला सकता है। सरकारी नौकरी कर रहे जातकों के महीने के अंतिम चरण अच्छे गुजरेंगे। इसके अलावा, सृजनात्मक क्षेत्रों से जुड़े नौकरीकर्ताओं की 14 तारीख के बाद अनुकूलता बढेंगी।
स्वास्थ्य- आपके स्वास्थ्य के एक मायने में अच्छा रहने की संभावना है। किसी भी प्रकार के असावधानीपूर्ण कार्यों या जोखिमभरे कार्यों से चोट लगने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। शत्रु आपको हानि पहुंचाने का प्रयास करेंगे। इस समय जहां तक हो सके मन को अंकुश में रखते हुए धार्मिक प्रवृत्तियों में भाग लेने की सलाह हैं।

वृषभ नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

माह की शुरूआत में जीवन साथी या प्रिय व्यक्ति के साथ बाहर जाएंगे। भेंट-उपहारों का आदान-प्रदान आपके आनंद को दुगुना करेगा। प्रिय व्यक्ति के साथ रेस्टोरेंट, शॉपिंग, सिनेमा आदि जाने का कार्यक्रम भी बन सकता है। हालांकि, विवाहेतर संबंध आपके वैवाहिक जीवन में बिखराव ला सकते हैं, इसलिए अनैतिक अथवा विवाहेतर संबंधों से दूर रहें। बुध और शुक्र का राशि परिवर्तन आर्थिक एवं पारिवारिक मामलों के लिए शुभ संकेत दे रहा है। हालांकि, बुध शनि के साथ सप्तम भाव से गुजरेगा, जो आपके लिए अशुभ फलदायी रहेगा। जो जातक लंबी यात्रा का कार्यक्रम बना रहे हैं अथवा विदेश जाने के लिए वीजा हेतु प्रयास कर रहे हैं, उनके लिए समय अनुकूल है। उच्च अध्ययन के लिए विदेश जाने का विचार कर रहे हैं, उन्हें भी कार्य में सफलता मिलेगी। उत्तरार्ध की समाप्ति के आस पास सूर्य राशि परिवर्तन करते हुए वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा, जो आपके लिए अशुभ फलदायी रहेगा। ज्यादातर कार्यों में मुसीबत अथवा बेकार की दौड़ धूप रहने की संभावना है। जीवनसाथी के साथ संबंधों में भी थोड़ी तकरार रह सकती है। २० तारीख़ के आस पास मित्र, सगे संबंधियों के साथ मौज मस्ती के लिए अथवा व्यवसाय या नौकरी के संबंध में बाहर जाने का योग बन सकता है। २१ एवं २२ तारीख को स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें रह सकती हैं। टिप्सः रविवार को उपवास रखें एवं खीर खाएं।
व्यवसाय- व्यवसाय में इस महीने खासकर सौंदर्य प्रसाधन, होटल, रेस्टोरेंट, सीनेमा, कलाजगत, म्यूजिक, कल्पनाशक्ति पर आधारित कामकामजों में कार्यरत अथवा खुदरा काम कर रहे जातक अच्छा परफाॅरमेंस दे सकेंगे। इसके बाद का समय भागीदारी के कार्यों में आगे बढ़ने के लिए बेहतर है। महीने के उत्तरार्ध में नौकरी में लगे लोग अपनी सूझ-बूझ से फटाफट वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करते हुए अपनी उन्नति का द्वार खोलेंगे।
शिक्षा - शैक्षणिक क्षेत्र में थ्योरी की अपेक्षा प्रैक्टिकल में अधिक इंटरेस्ट लेंगे। कलात्मक और सृजनात्मक क्षेत्र से जुड़े हुए जातक अपनी तर्क और कल्पना शक्ति से सफलता के नए शिखर छू सकेंगे। आध्यात्मिक विषयों में रूचि बढ़ेंगी और रहस्यमयी विद्याओं में आप गहराई से उतरेंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए17 तारीख के बाद का समय अधिक शुभ-फलदायी प्रतीत हो रहा है।
स्वास्थ्य-आपके स्वास्थ्य में इस महीने व्यावसायिक व्यस्तता और काम के भार के कारण थकान, बोरियत और सुस्ती झलकेगी। हालांकि, किसी बड़े रोग की संभावना नहीं लगती है। अगर आप अपने काम को प्रधानता देंगे तो कोई खास दिक्कत नहीं आने पाएगी। नेत्र पीड़ा, पग के तलुवे में सूजन, एसिडिटी वगैरह की समस्या हो तो महीने के उत्तरार्ध में थोड़ा सचेत रहना होगा। बवासीर, नासूर इत्यादि की पीड़ा से परेशान लोगों को उपचार में लापरवाही नहीं बरतने की सलाह है।

मेष नवम्बर 2016 मासिक राशिफल

महीने के शुरूआती तीन दिन आपके लिए काफी अनुकूल रहने की संभावना है। हालांकि, जीवन साथी के साथ मतभेद नहीं हो, इस बात का विशेष ध्यान रखें। जिससे सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठा मिले, ऐसा कार्य संपन्न होगा। परंतु, भागीदार के साथ मतभेद रहने की अधिक संभावना है। इस समय दांपत्यजीवन में तनाव कम करने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे। आप किसी बड़ी उम्र के विपरीत लिंगी जातक के प्रेम में पड़ सकते हैं। इस महीने के पूर्वार्ध में यदि आप चाहें तो बिजनस में कुछ नया कार्य कर सकते हैं। पूर्वार्ध का अंतिम समय काफी खर्चीला साबित हो सकता है।हालांकि, अचानक लाभ प्राप्त हो सकता है। उत्तरार्ध की शुरूआत में आप आनंद-उत्साह और मेहनत से अपने कार्यक्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य पूरे कर सकेंगे। हालांकि, वैवाहिक जीवन में गलतफहमी के कारण तनाव पैदा नहीं हो, इस बात का विशेष ध्यान रखें। आपको सलाह है कि आप २० तारीख़ के आस पास महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लें, अन्यथा आप गलत निर्णय ले बैठेंगे, जिसके कारण आपको आगे चलकर पछताना पड़ सकता है। मानसिक दुविधा के कारण आपको अनिद्रा की शिकायत रह सकती है। स्वास्थ्य संबंधित तकलीफ रहेगी। सरकारी कामों में विघ्न आएगा या किसी रखूसदार व्यक्ति से परेशानी रहने की संभावना है।टिप्सः आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। पिता की सेवा करें। उच्च अधिकारियों के साथ बातचीत दौरान विनम्र रहें।
व्यवसाय- व्यवसायिक मामले में प्रगतिपूर्ण समय है। विदेश से संबंधित व्यापार के लिए महीने का पूर्वार्ध उत्तम है। आपके छठे स्थान में बुध, सूर्य और गुरू की युति नौकरी अथवा फुटकर कार्यों द्वारा कमाई के संकेत दे रही है। आप मानसिक शक्ति और तर्क शक्ति का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करके कैरियर को नए आयाम तक ले जाएंगे। हालांकि, शेयर बाजार अथवा सट्टे की प्रवृत्तियों में किसी प्रकार का जोखिम लेने से बचने की कोशिश करें।
शिक्षा- इस महीने आप विद्याभ्यास में धीमी गति से प्रगति होती प्रतीत होगी। पढ़ने के प्रति रूझान होने पर भी आप किसी-न-किसी वजह अथवा आलस्य के कारण पढ़ाई में ठीक तरीके से मन नहीं ला पाएंगे। विदेश में शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक लोगों को महीने के मध्य में अपने प्रयासों में सफलता मिल सकती है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे जातकों के लिए 22 तारीख तक का समय बेहतर है।
स्वास्थ्य-आपकी कुंडली के पंचम स्थान में राहु है। संतान प्राप्ति के इच्छुक जातकों को इस समय के दरमियान आकस्मिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को खासतौर से ध्यान रखने की आवश्यकता है। रोमांचक यात्रा या किसी प्रकार का खतरनाक काम करते समय दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका है। प्रथम पखवाड़े में रोग स्थान में सूर्य, बुध और गुरू की युति है। पेट से संबंधित समस्याओं, ब्लडप्रेशर, मोटापें, पेशियों में दर्द, डायबिटीज वगैरह में विशेष सावधानी रखनी होगी।

Future foryou astrological news rashifal singh to vrishchik 01 11 2016

Monday 31 October 2016

दमा और उसके ज्योतिष्य उपाय

दमा को आयुर्वेद में श्वांस रोग कहते हैं। शरीर में कफ और वायु दोषों के असंतुलित हो जाने के कारण यह रोग होता है। बढ़ा हुआ कफ फेफड़े में एकत्र होने पर उसकी कार्यक्षमता में बाधा पहुंचती है और सांस के द्वारा लिये गये और छोड़े गये वायु के आवागमन में अवरोध उत्पन्न होता है। बढ़ा हुआ वायु इस कफ को सूखा देता है जिससे वह श्वांस नली में जम जाता है और सांस की तकलीफ शुरू होती है। तभी रोगी को दमे का भयंकर आक्रमण होता है। इसके अलावा कुछ और भी ऐसे लक्षण हैं, जिन्हें पूर्वरूप कहा जाता है, जैसे छाती में हल्की पीड़ा, पेट में भारीपन या वायु जम जाना, मुंह का स्वाद बदल जाना और सिर दर्द आदि। कई बार लक्षणों के बिना अकस्मात् ही दमा शुरू हो जाता है। कारण: दमा के मुख्यतः तीन कारण हैं 1. व्याधि 2. आहार एवं 3 विहार 1. व्याधि: व्याधि में शरीर में कफ और वायु दोष असंतुलित हो जाते हैं, जिसके कारण दमा होता है। 2. आहार: असंतुलित भोजन करने से भी रोग होता है। तेल या मसाले, दाल पदार्थों का अतिसेवन, भारी पदार्थ का अपच जो कब्ज पैदा करे, रूखा अन्न, बासी-खट्टी चीजें, अधिक खाना और असमय खाना, जैसे रात में दही या दूध, केला या फल, सलाद, आइसक्रीम का सेवन एवं शीतल आहार, जैसे फ्रिज का ठंडा पानी, शीत पेय एवं तंबाकू के सेवन आदि से श्वांस रोग हो सकता है। 3. विहार: यह आपके रहन-सहन पर निर्भर करता है। हमेशा शीत स्थान में रहना, जैसे वातानुकुलित कार्यालय में काम करना, बर्फीले स्थान पर सफर करना आदि यह बीमारी पैदा करते हैं। धूल या धुआं इस रोग के विशेष कारण हैं। इस्पात के कारखानों में, भट्टियों के पास, सीमेंट के कारखानंे में, रसायन कारखानों में कार्यरत व्यक्तियों को अक्सर दमा हो जाता है। इसके अलावा तीव्र वायु में रहना, अधिक व्यायाम करना, वेगावरोध जैसे मल-मूत्र के वेगों को रोकना, पोषण युक्त आहार न करना, ये सभी दमा रोग को आमंत्रित करते हैं। घरेलू उपचार: -मूलहठी फूल और सुहागा को अच्छी तरह पीस लें और दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर एक ग्राम दवा दिन में दो-तीन बार शहद के साथ चाटें या गर्म पानी के साथ लें। ऐसा करने से साधारण दमे में लाभ होगा। - एक तोला सोंठ का चूर्ण पचास ग्राम पानी में उबाल कर पकाएं। जब पानी आधा रह जाए, तो उसे छानकर पीने से दमे में लाभ होता है। - तुलसी के पत्तों का रस दो-चार चम्मच दिन में तीन चार बार पीने से दमे में आराम होता है। तुलसी, काली मिर्च, हरी चाय की पत्ती का काढ़ा भी फायदेमंद होता है। - सोंठ, छोटी पीपर, सफेद पुनर्नवा, वायविडंग, चित्रक की जड़ की छाल, सत गिलोय, अश्वगंधा, बड़ी हरड़ का छिलका, असली विधारा, बहेड़ा की दाल, आंवला की छाल और काली मिर्च सबको बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। बाद में गुड़ की एक चाट की चाशनी में मिला कर पांच-पांच ग्राम की गोलियां बना कर सूखा लें। प्रातः काल एक गोली गाय के दूध में साथ लें, इससे श्वांस, दमे में लाभ होता है। -अंजीर को कलई किये हुए बर्तन में चैबीस घंटे तक पानी में भिगोएं, सुबह अंजीर को उसी पानी में उबाल लें। प्रातःकाल प्राणायाम करने के बाद उबले हुए अंजीर को चबा कर खा लें और वही पानी पी लें। इससे भी दमा रोग में आराम मिलता है। - दमे का प्रहार होने पर लहसुन के तेल से रोगी के सीने पर मालिश करें और एक-दो चम्मच हल्दी, एक चम्मच अजवायन पानी में उबाल कर पीने से आराम होता है। ज्योतिषीय कारण: ज्योतिष अनुसार तृतीय एवं चतुर्थ भाव के मध्य का स्थान श्वांस प्रणाली का नेतृत्व करता है। तृतीय भाव श्वांस नली एवं चतुर्थ भाव फेफड़ों का होता है। श्वांस नली एवं फेफड़े आपस में जुड़े रहते हैं और यह सारा तंत्र श्वांस प्रणाली कहलाता है। इसलिए दमा रोग श्वांस प्रणाली की गड़बड़ी के कारण होता है। तृतीय और चतुर्थ भाव का इस रोग में विशेष महत्व है। तृतीय एवं चतुर्थ भाव के परस्पर मंगल एवं चंद्र कारक ग्रह हैं। मिथुन राशि एवं कर्क राशि श्वांस प्रणाली का नेतृत्व करती है जिनके परस्पर स्वामी बुध एवं चंद्र हैं। इसलिए तृतीय भाव, चतुर्थ भाव, मंगल, चंद्र एवं बुध जब जातक की कुंडली में दूषित प्रभावों में रहते हैं तो दमा रोग होता है। दशा, अंतर्दशा एवं गोचर में जब उपर्युक्त भाव एवं ग्रह प्रभावित होते हैं उस समय दमा रोग जातक को घेर लेता है। अगर मारकेश भी चल रहा है तो यह जानलेवा भी हो जाता है। विभिन्न लग्नों में दमा रोग मेष लग्न: मंगल चतुर्थ भाव में हो, शनि लग्न में बुध के साथ, सूर्य राहु के साथ द्वादश भाव में हो तो श्वांस प्रणाली में रूकावट पैदा करती है। वृष लग्न: चंद्र-मंगल तृतीय स्थान पर, सूर्य-शुक्र चतुर्थ भाव में हो, गुरु नवम या दशम भाव में हो तो दमा रोग होता है। मिथुन लग्न: मंगल तृतीय, गुरु नवम, चंद्र-शनि आठवें, बुध छठे या आठवें में रहे तो जातक को श्वांस संबंधित रोग देता है। कर्क लग्न: मंगल-शनि छठे, सूर्य-चंद्र तृतीय, बुध चतुर्थ, राहु सप्तम भाव में हो तो दमा रोग हो सकता है। सिंह लग्न: लग्नेश छठे या आठवंे भाव में हो, बुध सप्तम भाव में, राहु बारहवें मंगल के साथ हो और शुक्र अस्त हो तो जातक को श्वांस रोग होता है। कन्या लग्न: बुध-गुरु चतुर्थ भाव में, सूर्य-चंद्र तृतीय भाव में, मंगल नवम्, शनि छठे भाव में हो तो दमा रोग होने के संकेत देता है। तुला लग्न: गुरु-शुक्र आठवें, सूर्य नवम्, बुध दशम, मंगल तृतीय और चंद्र चतुर्थ भाव में हो, तो जातक को सांस संबंधित रोग देता है। वृश्चिक लग्न: बुध लग्न में, लग्नेश चतुर्थ में, राहु द्वादश भाव मंे, शनि-चंद्र छठे भाव में दमा रोग उत्पन्न करता है। धनु लग्न: शनि-बुध लग्न में, सूर्य द्वितीय भाव में, शुक्र तृतीय भाव में, राहु ग्यारहवंे भाव में हो, तो श्वांस नली में संक्रामक रोग देता है। मकर लग्न: गुरु-मंगल आठवें, शनि ग्यारहवें, चंद्र छठे, सूर्य-शुक्र तृतीय एवं बुध चतुर्थ भाव में श्वांस रोग देता है। कुंभ लग्न: शनि-मंगल छठे, बुध नवम, सूर्य दशम भाव में होने से दमा रोग हो सकता है। मीन लग्न: सूर्य-बुध तृतीय भाव में, शुक्र चतुर्थ, मंगल नवम, गुरु छठे भाव में श्वांस प्रणाली में रूकावट पैदा करता है। उपरोक्त सभी योग संबंधित ग्रहों की दशा-अंतर्दशा और गोचर के प्रतिकूल रहने पर रोग देते हैं, इसके उपरांत रोगी स्वस्थ हो जाता है।