Thursday 6 April 2017

कामदा एकदशी व्रत

कामदा एकदशी व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. वर्ष 2017 में 7 अप्रैल को यह व्रत किया जायेगा. यह एकादशी कामनाओं की पूर्ति को दर्शाती है. इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है तथा साधक की इच्छा एवं कामना पूर्ण होती है. इस एकादशी के फलों के विषय में कहा जाता है, कि यह एकादशी व्यक्ति के पापों को समाप्त कर देती है. कामदा एकादशी के प्रभाव से पापों का शमन होता है और संतान की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
कामदा एकादशी पूजन
चैत्र शुक्ल पक्ष कि एकादशी तिथि में इस व्रत को करने से पहले कि रात्रि अर्थात दशमी तिथि से ही सात्विकता एवं शुद्धता का आचरण अपनाना चाहिए. भूमि पर ही शयन करना चाहिए. दशमी तिथि के दिन से ही व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए. एकादशी व्रत करने के लिये व्यक्ति को प्रात: उठकर, अपने नित्य कर्म करने के उपरांत भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए इसके साथ ही सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए.
कामदा एकादशी व्रत विधि
हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार कामदा एकादशी के दिन स्नानादि से शुद्ध होकर व्रत संकल्प लेना चाहिए। इसके पश्चात भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल आदि से पूजन करने की सलाह दी गई है। रात में सोना नहीं चाहिए बल्कि भजन- कीर्तन करते हुए रात बितानी चाहिए। अगले दिन यानि पारण के दिन पुनः पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। दक्षिणा देकर ब्राह्मण को विदा करने के बाद भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए।
कामदा एकादशी पौराणिक कथा
कामदा एकादशी के संदर्भ में पौराणिक मतानुसार एक कथा है जिसमें पुण्डरीक नामक राजा था, उसकी भोगिनीपुर नाम कि नगरी थी. वहां पर अनेक अप्सरा, गंधर्व आदि वास करते थें. उसी जगह ललिता और ललित नाम के स्त्री-पुरुष अत्यन्त वैभवशाली घर में निवास करते थे. उन दोनों का एक-दूसरे से बहुत अधिक प्रेम था. एक समय राजा पुंडरिक गंधर्व सहित सभा में शोभायमान थे. उस जगह ललित गंधर्व भी उनके साथ गाना गा रहा था. उसकी प्रियतमा ललिता उस जगह पर नहीं थी. इससे ललित उसको याद करने लगा.ध्यान हटने से उसके गाने की लय टूट गई. यह देख कर राजा को क्रोध आ गया. ओर राजा पुंडरीक ने उसे श्राप दे दिया. मेरे सामने गाते हुए भी तू अपनी स्त्री का स्मरण कर रहा है. जा तू अभी से राक्षस हो जा, अपने कर्म के फल अब तू भोगेगा. राजा पुण्डरीक के श्राप से वह ललित गंधर्व उसी समय राक्षस हो गया, उसका मुख भयानक हो गया और अपने कर्म का फल वह भोगने लगा.अपने प्रियतम का जब ललिता ने यह हाल देख तो वह बहुत दु;खी हुई. अपने पति के उद्धार करने के लिये वह विन्धाजल पर्वत पर एक ऋषि के आश्रम जाती है और ऋषि से विनती करने लगी. उसके करूणा भरे विलाप से व्यथित हो ऋषि उसे कहते हैं कि हे कन्या शीघ्र ही चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी आने वाली है. उस एकादशी के व्रत का पालन करने से, तुम्हारे पति को इस श्राप से मुक्ति मिलेगी. मुनि की यह बात सुनकर, ललिता ने आनन्द पूर्वक उसका पालन किया. और द्वादशी के दिन ब्राह्मणों के सामने अपने व्रत का फल अपने पति को दे दिया, और भगवान से प्रार्थना करने लगी.
हे प्रभो, मैनें जो यह व्रत किया है, उसका फल मेरे पति को मिले, जिससे वह इस श्राप से मुक्त हों. एकादशी का फल प्राप्त होते ही, उसका पति राक्षस योनि से छुट गया. और अपने पुराने रुप में वापस आ गया. इस प्रकार इस वर को करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते है तथा कामनाओं की सिद्धि होती है.

सिंह लग्न के कुंडली में शनि का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष से किसी भी ग्रह से मिलने वाले फलों को जानने के लिये संबन्धित ग्रह की स्थिति का संपूर्ण विश्लेषण किया जाता है. सभी ग्रह कुछ निश्चित भावों में होने पर शुभ फल देते है तथा कुछ भावों में ग्रहों की स्थिति मध्यम स्तर के शुभ फल दे सकती है. तथा इसके अतिरिक्त कुण्डली के कुछ विशेष भावों में ग्रहों की स्थिति सर्वथा प्रतिकूल फल देने वाली कही गई है.
इसी प्रकार सभी ग्रह अपनी स्वराशि, मित्र राशि, उच्च राशि में हों तो शुभफल देने की क्षमता रखते है. सम राशि में होने पर मिले- जुले फल देते है. या वे शत्रु राशि, राशिगत, नीच राशि में हों, तो शुभ फल देने में असमर्थ होते है. अन्य अनेक कारणों से ग्रहों से मिलने वाले फल प्रभावित होते है.
प्रथम भाव में शनि के फल
सिंह लग्न के स्वामी सूर्य व शनि के मध्य शत्रुवत संबन्ध होने के कारण इस राशि में लग्न भाव में स्थित हों तो व्यक्ति को स्वास्थ्य संबन्धी परेशानियां हो सकती है. आजिविका के लिये यह योग सामान्य फल देता है. तथा शनि के प्रथम भाव में होने पर व्यक्ति के अपने जीवन साथी से अनुकुल संबन्ध न रहने की सम्भावनाएं बनती है. जिसके कारण व्यक्ति की मानसिक परेशानियों में वृ्द्धि हो सकती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
द्वितीय भाव, कन्या राशि में शनि होने पर व्यक्ति को भूमि- भवन के मामलों में कठिनाईयों को झेलना पड सकता है. उसके जीवन साथी के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. इस योग के प्रभाव से धन संबन्धी विषयों में सहयोग प्राप्त होगा. तथा धन के बढने की भी संभावनाएं बन सकती है. यह योग होने पर व्यक्ति को अपनी माता के साथ मधुर संबन्ध बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. आजिविका क्षेत्र में सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड सकती है. तथा कार्यभार भी अधिक होने कि संभावनाएं बनती है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के आय से अधिक व्यय हो सकते है. जिसके कारण व्यक्ति को संचय में परेशानियां हो सकती है. कार्यो में उसे अपने भाईयों का सहयोग मिलता है. व्यक्ति को पराक्रम व पुरुषार्थ से सफलता व उन्नति प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. तथा शिक्षा क्षेत्र के लिये यह योग शुभ फलकारी न होने के कारण व्यक्ति को इस क्षेत्र में बाधाएं दे सकता है. संतान से भी कष्ट प्राप्त हो सकते है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
सिंह लग्न के चतुर्थ भाव में शनि व्यक्ति को व्यापार व आजिविका क्षेत्र में अनुकुल फल देता है. पर इस योग के कारण व्यक्ति के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. भूमि या मकान संबन्धित मामलों के अपने पक्ष में फैसला होने की संभावनाएं बनती है. प्रयास करने से इन विषयों की योजनाओं को पूरा करने में सफलता मिलती है. आय के भी सामान्य रहने के योग बनते है.
पंचम भाव में शनि के फल
व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है. शनि के प्रभाव के कारण संतान देर से प्राप्त हो सकती है. व्यक्ति को पिता का सुख कम मिलता है. कई अवसरों पर पिता से मिलने वाले सहयोग में भी कमी हो सकती है. व्यक्ति के अपने जीवन साथी से संबन्ध मधुर रहते है. आजिविका क्षेत्र में कई बार बद्लाव करना पड सकता है. बुद्धिमानी, चतुराई से व्यक्ति अपने संचय में वृ्द्धि करने में सफल हो सकता है.
छठे भाव में शनि के फल
दैनिक कार्यो में परेशानियां बनी रहती है. प्रतिदिन के व्ययों के लिये रोकड में कमी का कई बार सामना करना पड सकता है. व्यक्ति का अपने शत्रुओं पर प्रभाव बना रहता है. मेहनत से व्यक्ति को उन्नती की प्राप्ति होती है. पर इस योग के व्यक्ति को अपने छोटे- भाई- बहनों के सुख में कमी अनुभव हो सकती है.
सप्तम भाव में शनि के फल
माता-पिता से सुख -सहयोग कम मिलने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति को अपने जीवन साथी से कष्ट मिल सकते है. उसे अपने व्यापार में बाधाओं की स्थिति से गुजरना पड सकता है. योग के कारण व्यक्ति के भाग्य में भी मन्द गति से वृ्द्धि होती है. तथा जीवन में अधिक संघर्ष का सामना करना पड सकता है.
अष्टम भाव में शनि के फल
सिंह लग्न की कुण्डली के अष्टम भाव में शनि हों तो व्यक्ति को समय के साथ चलने का प्रयास करना चाहिए. अत्यधिक रुढिवादी होना उसके लिये सही नहीं होता है. यह योग व्यक्ति की आय को बाधित कर सकता है. इन बाधाओं को दूर करने के लिये व्यक्ति को अपनी मेहनत में वृ्द्धि करनी चाहिए.
नवम भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति को जीवन में बार-बार बाधाएं व परेशानियां दे सकता है. भाग्य भाव में शनि व्यक्ति के स्वास्थ्य में मध्यम स्तर की कमी कर सकता है. उसके अपने जीवन साथी के साथ संबन्ध मधुर न रहने की संभावनाएं बनती है. लडाई -झगडें हो सकते है. आय के लिये शनि का यह योग प्रतिकूल नहीं रहता है.
दशम भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति के अपने पिता से संबन्ध मधुर न रहने कि संभावनाएं देता है. सिंह लग्न कि कुण्डली में शनि जब दशम भाव में स्थित हों तो उसे कानूनी नियमों व करों का सख्ती से पालन करना चाहिए. व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. पुरुषार्थ व मेहनत में वृ्द्धि करने से वह कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है. इसके फलस्वरुप व्यक्ति के दांम्पत्य जीवन में मिला-जुला प्रभाव बना रहता है. शनि के प्रभाव से उसके अपनी माता के सुख में कमी हो सकती है.
एकादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति की आ में मन्द गति से मगर लम्बी अवधि तक वृ्द्धि होती है. उसके विवाहित जीवन में परेशानियां बनी रहती है. व्यवसाय में आरम्भ में हानि के बाद लाभ प्राप्त हो सकते है. नौकरी में होने पर व्यक्ति को पूर्ण प्रयास करने से लाभ प्राप्त हो सकते है.
द्वादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति के परिवार से बाहर के लोगों के साथ संबन्ध मधुर न रहने के योग बनते है. व्यापार में अडचने मिलने की संभावनाएं बनती है. उसे धन-संचय में कठिनाईयों का सामना करना पड सकता है. परन्तु आय के क्षेत्र में लाभ प्राप्त होते है.

Tuesday 4 April 2017

कर्क लग्न में शनि का प्रभाव

पराशरी ज्योतिष के सामान्य नियम के अनुसार ग्रहों के फल भाव, राशि व ग्रह पर अन्य ग्रहों की दृष्टि, युति व स्थिति से प्रभावित होते है. शनि तीसरे, छठे, दसवें व ग्यारहवें भाव में शुभ फल देते है. शनि आयु भाव अर्थात अष्टम भाव के कारक ग्रह है. इस भाव में शनि सामान्यता: अनुकुल फल देते है. शेष भावों में शनि के फलों को शुभ नहीं कहा गया है.
कर्क लग्न के लिये शनि सप्तमेश व अष्टमेश भाव के स्वामी होते है. विभिन्न भावों में प्रभाव
प्रथम भाव में शनि के फल
शनि कुण्डली के प्रथम भाव में होने पर व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम रहने की संभावनाएं बनती है. भाई -बहनों के सुख में कमी हो सकती है. व्यक्ति की हिम्मत और साहस में वृ्द्धि होती है. व्यक्ति को अपने जीवन साथी से सुख प्राप्त होता है. पर वैवाहिक जीवन में कुछ रुकावटें बनी रह सकती है. व्यक्ति को आजिविका के क्षेत्र में बाधाएं आने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के लाभों में बढोतरी होती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
इस योग के व्यक्ति को माता का पूर्ण सुख प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. जमीन व भूमि के विषयों से भी सुख प्राप्त होता है. पर व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों से परेशानियां हो सकती है. ऎश्वर्य पूर्ण जीवन व्यतीत करने के अवसर प्राप्त हो सकते है. इसके कारण व्ययों की अधिकता व संचय में कमी हो सकती है. दांम्पत्य जीवन के सुख में कमी हो सकती है.
तृतीय भाव में शनि के फल
कर्क लग्न के व्यक्ति की कुण्डली में शनि तीसरे भाव में हों, उस व्यक्ति के स्वभाव में क्रोध का भाव हो सकता है. उसके पराक्रम में भी बढोतरी होने की सम्भावनाएं बनती है. भाई-बहनों से संबन्ध मधुर न रहने के योग बनते है. तथा समय पर उसे अपने मित्रों का सहयोग न मिलने की भी संभावनाएं बनती है.
शनि का तीसरे भाव में होना व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है. इसके फलस्वरुप उसके व्ययों में बढोतरी हो सकती है. बाहरी व्यक्तियों से संबन्ध मधुर न रहने के योग बनते है. उसके धन में कमी हो सकती है. व्यापारिक क्षेत्र में बाधाएं आ सकती है. तथा व्यक्ति का मन धार्मिक कार्यो में नहीं लगता है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
कर्क लग्न के व्यक्ति के चतुर्थ भाव में शनि व्यक्ति के अपनी माता के सुख में कमी करते है. उसके अपनी माता से विवाद पूर्ण संबन्ध हो सकते है. भूमि- भवन के मामलों में चिन्ताएं बढती है. परन्तु प्रयास करने से बाद में स्थिति सामान्य हो जाती है. इस योग के व्यक्ति के व्यापार में बाधाएं आने की संभावनाएं बनती है. इस स्थिति में व्यक्ति को अपने शत्रुओं से कष्ट प्राप्त हो सकते है. ऎसे में व्यक्ति अगर हिम्मत से काम लें तो शत्रुओं को परास्त करने में सफल होता है. उसका दांम्पत्य जीवन कलह पूर्ण हो सकता है. सरकारी नियमों का सख्ती से पालन करना उसके लिये हितकारी रहता है.
पंचम भाव में शनि के फल
कर्क लग्न के पंचम भाव में वृ्श्चिक राशि आती है. इस भाव में शनि व्यक्ति को प्रेम में असफलता दे सकते है. पंचम भाव क्योकि शिक्षा का भाव भी है. इसलिये शिक्षा में भी रुकावटें आने के योग बनते है. व्यक्ति अपने मनोबल को उच्च रखे तो वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकता है. इस योग के व्यक्ति का जीवन साथी शिक्षित व चिंतन शील होने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के धन संचय में कमी हो सकती है. आजिविका क्षेत्र थोडा सा प्रभावित होता है. पर आय सामान्य रहती है. यह योग व्यक्ति को सदैव चिन्तित रहने की संभावनाएं देता है.
छठे भाव में शनि के फल
कर्क लग्न, धनु राशि, छठे भाव में शनि व्यक्ति कि आजिविका को अनुकुल रखता है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के नौकरी करने की संभावनाएं बनती है. उसके अपने दांम्पत्य जीवन में मतभेद हो सकते है. विदेश स्थानों से लाभ प्राप्त हो सकते है. तथा व्ययों की अधिकता हो सकती है. इस योग का व्यक्ति अपने पुरुषार्थ तथा बुद्धि से लाभ प्राप्त करने में सफल होता है.
सप्तम भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति के व्यापार को अच्छा बनाये रखने में सफल होता है. व्यक्ति को अपने ग्रहस्थ जीवन में सुख की कुछ कमी हो सकती है. धन में भी कमी हो सकती है. मेहनत व प्रयास में कमी न करना हितकारी रहता है.
अष्टम भाव में शनि के फल
इस भाव में शनि अपनी स्वराशि कुम्भ राशि में स्थित होने के कारण व्यक्ति की आयु में वृ्द्धि करता है. व्यक्ति के जीवन साथी के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. उसे भूमि संबन्धी विषयों में परेशानियां हो सकती है. पिता और सरकारी पक्ष से कष्ट प्राप्त हो सकते है. विधा व संतान विषयों में भी कठिनाईयां हो सकती है. इन से संबन्धित सुखों में कमी हो सकती है.
नवम भाव में शनि के फल
आमदनी के स्त्रोत ठीक रहते है. शत्रु पर प्रभाव बना रहता है. जीवन साथी का सुख प्राप्त होता है. व्यक्ति को व्यापार से लाभ प्राप्त हो सकता है. व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम रहने की संभावनाएं बनती है. उसे अपने भाई- बहनों से कम सहयोग प्राप्त होता है. यह योग व्यक्ति के अपने छोटे भाई बहनों से संबन्ध मधुर न रहने की संभावनाएं देता है.
दशम भाव में शनि के फल
पिता का पूर्ण सहयोग प्राप्त नहीं होता है. सरकार की ओर से भी परेशानियां आ सकती है. व्यक्ति के ग्रहस्थ जीवन सुख में कमी हो सकती है. तथा उसके स्वयं के स्वास्थ्य में कमी की संभावनाएं बनती है. व्यवसायिक क्षेत्र से आमदनी अनुकुल प्राप्त होती है.
एकादश भाव में शनि के फल
स्वास्थ्य मध्यम रहता है. उसके शिक्षा क्षेत्र में रुकावटें आ सकती है. यह योग व्यक्ति की बुद्धिमता में वृ्द्धि करता है. व्यक्ति अपने परिश्रम व चतुराई से अपने आय में वृ्द्धि करने में सफल होता है.
द्वादश भाव में शनि के फल
आमदनी से खर्च अधिक होता है. हमेशा किसी न किसी समस्या में फंसे रहते है. जीवन साथी के सुख में कमी हो सकती है. परिवार के सदस्यों से सहयोग व सुख कम प्राप्त होने की सम्भावनाएं बनती है.

वृषभ लग्न में शनि का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में शनि की स्थिति अन्य सभी ग्रहों की तुलना में सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है. क्योकि अन्य ग्रहों से मिलने वाले फल कुछ सीमित समय के लिय होते है. इसलिये अन्य ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन की सामान्यता: सामान्य घटनाएं ही प्रभावित होती है. पर शनि इसके विपरीत फल देते है.
शनि के विषय में यह कहा जाता है कि वे जिस भाव में स्थित होते है. तथा जिन भावों से दृष्टि संबन्ध बनाते है. उनके फल देर से ही सही पर अवश्य प्राप्त होते है. शनि से मिलने वाले फल भी राशियों के कारकतत्वों से प्रभावित होते है. इसलिये जन्म कुण्डली से शनि के फलों का विचार करते समय इस ग्रह से संबन्ध बनाने वाले अन्य सभी ग्रहों की स्थिति का भी विश्लेषण करना चाहिए.
वृ्षभ लग्न के व्यक्ति के लिये शनि के विभिन्न भावों का प्रभाव
प्रथम भाव में शनि के फल
वृ्षभ लग्न के प्रथम भाव में शनि स्थित होने पर व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक न रहने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति को भाग्य का सहयोग कार्यो में प्राप्त होता है. पिता का सहयोग मिल सकता है. उसकी मान-प्रतिष्ठा में भी वृ्द्धि होती है. सरकारी नियमों के पालन से लाभ हो सकता है. व्यक्ति के भाई - बहनों से प्राप्त होने वाले सुख में कमी हो सकती है. पर व्यक्ति के पराक्रम में वृ्द्धि होती है. व्यवसायिक क्षेत्र में भी अडचने आने की संभावनाएं बनती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
वृ्षभ लग्न के द्वितीय भाव में शनि अपने मित्र बुध की मिथुन राशि में होने के कारण उतम फल देते है. उसके धन व कुटुम्ब की वृ्द्धि होती है. कार्यक्षेत्र में लाभ प्राप्त होने की संभावना रहती है. व्यक्ति की आय में बढोतरी होती है. किन्तु यह योग व्यक्ति के अपनी माता से संम्बधों की मधुरता को कम कर सकता है. उसके परिवारिक सुख में भी कमी हो सकती है.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
भाई -बहनों के साथ व्यवहार मध्यम स्तर के रहते है. पराक्रम में वृ्द्धि होती है. भाग्य का सहयोग मिलता है. संतान विषयों से कष्ट प्राप्त हो सकते है. विधा के क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त होती है. आय और व्यय में अधिक अन्तर न होने के कारण संचय में कमी रहती है. विदेश स्थान से कार्य करने पर असफलता मिल सकती है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
भवन, माता, भूमि के सुख में कमी, माता के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार, शत्रुओं पर प्रभाव बनाये रखना. मामा के द्वारा लाभ प्राप्त, व्यवसाय के क्षेत्र में सफल, सम्मान प्राप्ति के योग, धार्मिक क्रियाओं में रुचि में कमी हो सकती है. शारीरिक कष्ट प्राप्त हो सकते है.
पंचम भाव में शनि के फल
विधा, बुद्धि के क्षेत्रों में सफलता. संतान का सहयोग, बुद्धि द्वारा व्यवसायिक कार्य पूर्ण होते है. जीवन साथी के कारण कष्ट प्राप्त हो सकते है. आय में कमी हो सकती है. परिवर के सदस्यों से लाभ प्राप्त हो सकते है. ऎसे व्यक्ति को अपने बुद्धि के बल पर यश प्राप्त हो सकता है. प्रतिष्ठा व सफलता प्राप्त हो सकती है.
छठे भाव में शनि के फल
शत्रुओं पर विजय, लाभों में वृ्द्धि, कार्यक्षेत्र में सम्मान प्राप्त हो सकता है. व्यवसाय में लाभ प्राप्त हो सकते है. पिता से संम्बध मधुर न रहने की सम्भावनाएं बनती है. व्यय अधिक हो सकते है. परिवार के बाहर के व्यक्तियों से सम्बध अनुकुल नहीं रहते है. उसके भाई- बहन भी व्यक्ति से असंतुष्ट हो सकते है. पराक्रम में वृ्द्धि होती है. परन्तु व्यय के कारण व्यक्ति कि चिन्ताओं में वृ्द्धि होती है.
सप्तम भाव में शनि के फल
व्यवसाय के क्षेत्र में कठिनाई से लाभ व उन्नति प्राप्त होती है. पुरुषार्थ करने से व्यक्ति का भाग्य बळी होता है. धर्म के नियमों का पालन करता है. पारिवारिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है. माता-पिता, जगह- जमीन आदि के सुखों में कमी आती है.
अष्टम भाव में शनि के फल
कार्यक्षेत्र में कठिनाईयों का सामना करना पडता है. माता-पिता के साथ भी व्यवहार मधुर न रहने की संभावनाएं बनती है. धर्म गतिविधियों में रुचि कम हो सकती है. व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो सकती है. पर सफलता की राहें यहां भी आसान नहीं होती है.
नवम भाव में शनि के फल
मान- प्रतिष्ठा में वृ्द्धि, सभी के साथ अच्छा व्यवहार, धर्म में रुचि, पुरुषार्थ में वृ्द्धि, भाग्य में वृ्द्धि होती है. इस योग के व्यक्ति के स्वभाव में परिश्रम भाव की कमी होती है.
दशम भाव में शनि के फल
कार्यक्षेत्र की ओर से सम्मान प्राप्त, पिता का सम्मान, मान प्रतिष्ठा कि प्राप्ति, धर्म के कार्य में रुचि, धन खर्च अधिक होता है. चिंताओं में बढोतरी हो सकता है. जीवन साथी के साथ संबन्ध मधुर रहने की संभावनाएं बनती है. माता व परिवारिक जीवन में सुख की कमी हो सकती है. कठोर परिश्रम से भाग्य का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो सकता है.
एकादश भाव में शनि के फल
विधा-बुद्धि के क्षेत्र में सम्मान की प्राप्ति, आय में बाधाएं, लाभ प्राप्ति में अडचनें, स्थास्थ्य अनुकुल हो सकता है. परिश्रम करने से व्यक्ति अपने सफलता कि बाधाओं में कमी कर सकता है.
द्वादश भाव में शनि के फल
पडौसियों से संबन्ध मधुर नहीं रहते है. स्वास्थ्य मध्यम स्तर का रहता है. शत्रु पक्ष प्रबल हो सकते है. व्यक्ति के मन में अशान्ति रहने की संभावना रहती है. कई कार्यो में भाग्य का सहयोग प्राप्त हो सकता है. इस योग के होने पर व्यक्ति को परिश्रम में कमी करने से बचना चाहिए.

मेष लग्न में शनि का प्रभाव

ज्योतिष में सभी ग्रह, प्रत्येक के लिये समान फल देने वाले नहीं होते है. जैसा कि सर्वविदित है कि सभी ग्रह जन्म कुण्डली में अपनी स्थिति, युति व दृ्ष्टि के अनुसार फल देते है. किसी ग्रह से प्राप्त होने वाले फलों का विश्लेषण करते समय इन सभी बातों के साथ साथ ग्रह की मित्र, शत्रु, सम क्षेत्री, उच्च स्थिति, नीच स्थिति तथा ग्रह अवस्था का भी विचार करना चाहिए.
कुल नौ ग्रहों में से शनि भी एक ग्रह है. शनि एक मन्द गति ग्रह है. इसलिये शनि से मिलने वाले फल लम्बी अवधि तक प्राप्त होते है. शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष रहते है. पर इसका अर्थ यह नहीं है कि पूरे ढाई वर्ष तक व्यक्ति को एक से ही फल प्राप्त होते है. या फिर शनि प्रभावित व्यक्ति के जीवन में एक सी ही घटनाएं घटित होती है.
विभिन्न भावों में शनि के फल
प्रथम भाव में शनि के फल
शनि अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव अर्थात शरीर भाव में स्थित होंने पर वे अपने शत्रु मंगल (कालपुरुष की कुण्डळी के अनुसार) की राशि में होते है. इस स्थिति में शनि के प्रभाव से व्यक्ति की मान- प्रतिष्ठा तथा आमदनी के क्षेत्र में कमी आती है. सरकारी नियमों के कारण भी उसे कुछ कष्टों का सामना करना पड सकता है. व्यक्ति के अपने छोटे - भाई बहनों से मधुर संबन्ध न रहने के योग बनते है. पराक्रम से किये गये कार्यो में भी असफलता न मिलने कि संभावनाएं बनती है. परन्तु दांम्पत्य जीवन में सहयोग तथा पिता की ओर से स्नेह प्राप्त होता है. आजिविका के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिये शनि का दशम भाव से दृष्टि सम्बन्ध सामान्य बाधाएं, देने के साथ साथ उन्नति भी देता है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुण्डली में शनि द्वितीय भाव में स्थित हों तो इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में सफलता मिलने की संम्भावनाएं बनती है. कालपुरुष कुण्डली में शनि दुसरे भाव में अपने मित्र शुक्र की राशि में होता है. मित्र राशि में शनि व्यक्ति को पुरातत्व विषयों से लाभ के संयोग दे सकता है.यहां से शनि अपनी तीसरी दृष्टि से सुख भाव, मातृभाव को देख रहे होते है. जिसके कारण व्यक्ति को माता तथा भूमि संबन्धी परेशानियां दे सकता है. यह योग व्यक्ति की आय में वृ्द्धि करता है.
तृतीय भाव में शनि के फल
कुण्डली के तीसरे भाव में शनि पराक्रम भाव में होकर व्यक्ति के पराक्रम में बढोतरी करते है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग हों, उस व्यक्ति को अपने भाई बहनों से सुख -सहयोग प्रात्प होता है. पिता से लाभ प्राप्त होते है. विधा व संतान के विषयों में व्ययों में बढोतरी होती है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
माता द्वारा व भूमि संबन्धी कार्यो में असंतोषजनक सफलता प्राप्त हो सकती है. व्यक्ति को पिता से सहयोग, व्यवसाय में वृ्द्धि व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. पर इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के स्वास्थ्य में कमी रहने की संभावनाएं बनती है.
पंचम भाव में शनि के फल
जन्म कुण्डली के इस भाव में शनि व्यक्ति को विधा-बुद्धि के क्षेत्र में सफलता देता है. पर व्यक्ति के अपनी संतान के साथ मतभेद रहने की संभावनाएं बनती है. उसे जीवन साथी के सहयोग से व्यवसाय में लाभ प्राप्त हो सकता है. योग के प्रभाव से व्यक्ति की आय अच्छी और परिवार के साथ संबन्ध भी अच्छे होते है.
छठे भाव में शनि के फल
छठे भाव में शनि व्यक्ति को पिता के साथ मतभेद देते है. सरकारी कामों में अडचनें आने की संभावनाएं बनती है. इसके कारण व्यक्ति की अच्छी आमदनी, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. स्वास्थ्य के लिये यह योग अनुकुल नहीं होता है. व्यक्ति के व्यय अधिक व पडौसियों से तनाव पूर्ण संबन्ध हो सकते है. यह योग व्यक्ति की हिम्मत व प्रभाव को बनाये रखने में सहयोग करता है.
सप्तम भाव में शनि के फल
व्यवसाय में लाभ, पिता से भी लाभ, दांम्पत्य जीवन सुखमय पर सामान्य परेशानियां ग्रहस्थ जीवन में बनी रहती है. व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम, घरेलू व भूमि संबधी सुखों में कमी होती है. इस भाव से शनि व्यक्ति के भाग्य में कमी कर सकता है.
अष्टम भाव में शनि के फल
आयु उतम परन्तु आमदनी कम, पिता से लाभ, अधिक परिश्रम के बाद धन लाभ, परिवार पर व्यय, शिक्षा व संतान विषयों में बाधाएं आने की संभावनाएं रहती है. यह योग व्यक्ति के संचय में देरी कर सकता है.
नवम भाव में शनि के फल
भाग्य उन्नती में आरम्भ में रुकावटें तथा बाद में वृ्द्धि हो सकती है. व्यक्ति अपने पुरुषार्थ से अपने धन, आर्थिक स्थिति और संपति में वृ्द्धि होती है. शत्रुओं पर विजय, हिम्मत व प्रभाव में वृ्द्धि होती है.
दशम भाव में शनि के फल
पिता से विशेष लाभ, व्ययों में वृ्द्धि, स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. पडौसियों से मधुर संबन्ध न रहने की सम्भावनाएं बनती है. भवन, माता, जमीन से कष्ट प्राप्त हो सकता है. व्यापार को सहयोग प्राप्त होता है. और भौतिक सुख -सुविधाओं के साधनों में भी वृ्द्धि होती है.
एकादश भाव में शनि के फल
आमदनी में वृ्द्धि, सरकारी क्षेत्रों से लाभ, रोग होने की संभावनाएं, विधा क्षेत्र मेम रुकावटें, संतान के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. पर दैनिक जीवन में परेशानियां बनी रहती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
धन का व्यय अधिक, पिता के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. सरकारी नियमों से परेशानियां हो सकती है. परिवार के सदस्यों को कष्ट प्राप्त हो सकते है. भाग्य उन्नति में बाधाएं आती है. शत्रु पक्ष पर अपना प्रभाव बना रहता है.

श्री रामनवमी व्रत

रामनवमी के दिन जो व्यक्ति पूरे दिन उपवास रखकर भगवान श्रीराम की पूजा करता है, तथा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान-पुण्य करता है, वह अनेक जन्मों के पापों को भस्म करने में समर्थ होता है।

विधि

रामनवमी का व्रत महिलाओं के द्वारा किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली महिला को प्रात: सुबह उठना चाहिए। घर की साफ-सफाई कर घर में गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लेना चाहिए। इसके पश्चात स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद एक लकड़ी के चौकोर टुकड़े पर सतिया बनाकर एक जल से भरा गिलास रखना चाहिए और अपनी अंगुली से चाँदी का छल्ला निकाल कर रखना चाहिए। इसे प्रतीक रुप से गणेशजी माना जाता है। व्रत कथा सुनते समय हाथ में गेहूँ-बाजरा आदि के दाने लेकर कहानी सुनने का भी महत्व कहा गया है। रामनवमी के व्रत के दिन मंदिर में अथवा मकान पर ध्वजा, पताका, तोरण और बंदनवार आदि से सजाने का विशेष विधि-विधान है। व्रत के दिन कलश स्थापना और राम जी के परिवार की पूजा करनी चाहिए, और भगवान श्री राम का दिनभर भजन, स्मरण, स्तोत्रपाठ, दान, पुण्य, हवन, पितृश्राद्व और उत्सव किया जाना चाहिए।

रामनवमी व्रत कथा


राम, सीता और लक्ष्मण वन में जा रहे थे। सीता जी और लक्ष्मण को थका हुआ देखकर राम जी ने थोड़ा रुककर आराम करने का विचार किया और एक बुढ़िया के घर गए। बुढिया सूत कात रही थी। बुढ़िया ने उनकी आवभगत की और बैठाया, स्नान-ध्यान करवाकर भोजन करवाया। राम जी ने कहा- बुढिया माई, "पहले मेरा हंस मोती चुगाओ, तो में भी करूं।" बुढ़िया बेचारी के पास मोती कहाँ से आवें, सूत कात कर ग़रीब गुज़ारा करती थी। अतिथि को ना कहना भी वह ठीक नहीं समझती थी। दुविधा में पड़ गई। अत: दिल को मज़बूत कर राजा के पास पहुँच गई। और अंजली मोती देने के लिये विनती करने लगी। राजा अचम्भे में पड़ा कि इसके पास खाने को दाने नहीं हैं और मोती उधार मांग रही है। इस स्थिति में बुढ़िया से मोती वापस प्राप्त होने का तो सवाल ही नहीं उठता। आखिर राजा ने अपने नौकरों से कहकर बुढ़िया को मोती दिला दिये।बुढ़िया मोती लेकर घर आई, हंस को मोती चुगाए और मेहमानों की आवभगत की। रात को आराम कर सवेरे राम जी, सीता जी और लक्ष्मण जी जाने लगे। राम जी ने जाते हुए उसके पानी रखने की जगह पर मोतियों का एक पेड़ लगा दिया। दिन बीतते गये और पेड़ बड़ा हुआ, पेड़ बढ़ने लगा, पर बुढ़िया को कु़छ पता नहीं चला। मोती के पेड़ से पास-पड़ौस के लोग चुग-चुगकर मोती ले जाने लगे।
एक दिन जब बुढ़िया उसके नीचे बैठी सूत कात रही थी। तो उसकी गोद में एक मोती आकर गिरा। बुढ़िया को तब ज्ञात हुआ। उसने जल्दी से मोती बांधे और अपने कपड़े में बांधकर वह क़िले की ओर ले चली़। उसने मोती की पोटली राजा के सामने रख दी। इतने सारे मोती देख राजा अचम्भे में पड़ गया। उसके पूछने पर बुढ़िया ने राजा को सारी बात बता दी। राजा के मन में लालच आ गया। वह बुढ़िया से मोती का पेड़ मांगने लगा। बुढ़िया ने कहा कि आस-पास के सभी लोग ले जाते हैं। आप भी चाहे तो ले लें। मुझे क्या करना है। राजा ने तुरन्त पेड़ मंगवाया और अपने दरबार में लगवा दिया। पर रामजी की मर्जी, मोतियों की जगह कांटे हो गये और आते-आते लोगों के कपड़े उन कांटों से ख़राब होने लगे। एक दिन रानी की ऐड़ी में एक कांटा चुभ गया और पीड़ा करने लगा। राजा ने पेड़ उठवाकर बुढ़िया के घर वापस भिजवा दिया। पेड़ पर पहले की तरह से मोती लगने लगे। बुढ़िया आराम से रहती और ख़ूब मोती बांटती।

व्रत का फल

श्री रामनवमी का व्रत करने से व्यक्ति के ज्ञान में वृ्द्धि होती है। उसकी धैर्य शक्ति का विस्तार होता है। इसके अतिरिक्त उपवासक को विचार शक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, भक्ति और पवित्रता की भी वृ्द्धि होती है। इस व्रत के विषय में कहा जाता है, कि जब इस व्रत को निष्काम भाव से किया जाता है। और आजीवन किया जाता है, तो इस व्रत के फल सर्वाधिक प्राप्त होते हैं। रामनवमी और जन्माष्टमी तो उल्लासपूर्वक मनाते हैं पर उनके कर्म व संदेश को नहीं अपनाते। कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता ज्ञान आज सिर्फ एक ग्रंथ बनकर रह गया है। तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में भगवान राम के जीवन का वर्णन करते हुए बताया है कि श्रीराम प्रातः अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करते थे जबकि आज चरण स्पर्श तो दूर बच्चे माता-पिता की बात तक नहीं मानते।

रामनवमी 2017






रामनवमी

रामनवमी एक ऐसा पर्व है जिसपर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रतिवर्ष नये विक्रम संवत्सर का प्रारंभ होता है और उसके आठ दिन बाद ही चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को एक पर्व राम जन्मोत्सव का जिसे रामनवमी के नाम से जाना जाता है, समस्त देश में मनाया जाता है। इस देश की राम और कृष्ण दो ऐसी महिमाशाली विभूतियाँ रही हैं जिनका अमिट प्रभाव समूचे भारत के जनमानस पर सदियों से अनवरत चला आ रहा है।
रामनवमी, भगवान राम की स्‍मृति को समर्पित है। राम सदाचार के प्रतीक हैं, और इन्हें "मर्यादा पुरुषोतम" कहा जाता है। रामनवमी को राम के जन्‍मदिन की स्‍मृति में मनाया जाता है। राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जो पृथ्वी पर अजेय रावण (मनुष्‍य रूप में असुर राजा) से युद्ध लड़ने के लिए आए। राम राज्‍य (राम का शासन) शांति व समृद्धि की अवधि का पर्यायवाची बन गया है। रामनवमी के दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्‍या में उनके जन्‍मोत्‍सव को मनाने के लिए राम जी की मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। इस महान राजा की काव्‍य तुलसी रामायण में राम की कहानी का वर्णन है।

रामनवमी पूजन

रामनवमी का पूजन शुद्ध और सात्विक रुप से भक्तों के लिए विशष महत्व रखता है इस दिन प्रात:कल स्नान इत्यादि से निवृत हो भगवान राम का स्मरण करते हुए भक्त लोग व्रत एवं उपवास का पालन करते हैं. इस दिन राम जी का भजन एवं पूजन किया जाता है. भक्त लोग मंदिरों इत्यादि में भगवान राम जी की कथा का श्रवण एवं किर्तन किया जाता है. इसके साथ ही साथ भंडारे और प्रसाद को भक्तों के समक्ष वितरित किया जाता है. भगवान राम का संपूर्ण जीवन ही लोक कल्याण को समर्पित रहा. उनकी कथा को सुन भक्तगण भाव विभोर हो जाते हैं व प्रभू के भजनों को भजते हुए रामनवमी का पर्व मनाते हैं.

राम जन्म की कथा

हिन्दु धर्म शास्त्रो के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारो को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रुप में अवतार लिया था. श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन राजा दशरथ के घर में हुआ था. उनके जन्म पश्चात संपूर्ण सृष्टि उन्हीं के रंग में रंगी दिखाई पड़ती थी.चारों ओर आनंद का वातावरण छा गया था प्रकृति भी मानो प्रभु श्री राम का स्वागत करने मे ललायित हो रही थी. भगवान श्री राम का जन्म धरती पर राक्षसो के संहार के लिये हुआ था. त्रेता युग मे रावण तथा राक्षसो द्वारा मचाये आतंक को खत्म करने के लिये श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम के रुप में अवतरित हुये. इन्हे रघुकुल नंदन भी कहा जाता है.

रामनवमी का महत्व

रामनवमी के त्यौहार का महत्व हिंदु धर्म सभयता में महत्वपूर्ण रहा है. इस पर्व के साथ ही मा दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी जुडा़ है. इस तथ्य से हमें ज्ञात होता है कि भगवान श्री राम जी ने भी देवी दुर्गा की पूज अकी थी और उनके द्वारा कि गई शक्ति पूजा ने उन्हें धर्म युद्ध ने उन्हें विजय प्रदान की. इस प्रकार इन दो महत्वपूर्ण त्यौहारों का एक साथ होना पर्व की महत्ता को और भी अधिक बढा़ देता है. कहा जाता है कि इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ भी किया था.रामनवमी का व्रत पापों का क्षय करने वाला और शुभ फल प्रदान करने वाला होता है. राम नवमी के उपलक्ष्य पर देश भर में पूजा पाठ और भजन किर्तनों का आयोजन होता है. देश के कोने कोने में रामनवमी पर्व की गूंज सुनाई पड़ती है. इस दिन लोग उपवास करके भजन कीर्तन से भगवान राम को याद करते है. राम जन्म भूमि अयोध्या में यह पर्व बडे हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. वहां सरयु नदी में स्नान करके सभी भक्त भगवान श्री राम जी का आशिर्वाद प्राप्त करते हैं.

Astrology Sitare Hamare on 4 April 2017 !! Navratri Day 8

Sunday 2 April 2017

Sitare Hamare Saptahik Rashifal 3 April To 9 April 2017

राशि एवं लग्न अनुसार जाने शीघ्र विवाह के उपाय


ज्योतिष शास्त्र जहां विवाह में विलंब कारक ग्रह स्थितियों का विश्लेषण करता है, वहीं शीघ्र विवाह के लिए उपायों का निर्देश भी देता है। सर्वप्रथम जन्मकुंडली का सूक्ष्म अध्ययन कर यह पता लगाना चाहिए कि व्यक्ति के विवाह कराने में कौन सा ग्रह मुख्य रूप से उत्तरादायी है। उस ग्रह पर किन शुभ एवं अशुभ ग्रहों का प्रभाव है। अशुभ प्रभावों को समाप्त करने के लिए अशुभ ग्रहों से संबंधित दान लड़के या लड़की के हाथ से कराना चाहिए। विवाह में विलंब में शनि की प्रमुख भूमिका होती है। अतः शनि का उपाय करने से भी शीघ्र विवाह की स्थितियां बनती हैं। जिनकी सहायता से शीघ्र विवाह की स्थितियां बनती है। - मेष राशि के लोगों को विवाह की वार्ता के समय लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। - वृष राशि के लोगों को विवाह वार्ता के समय हल्के रंग के वस्त्र तथा चमकीले आभूषण पहनने चाहिए। यदि कोई नया वस्त्र धारण किया जाए तो भी अच्छा रहेगा। - मिथुन राशि के लोगों को विवाह वार्ता के समय हरे रंग के वस्त्र तथा पारंपरिक पोशाक ही पहननी चाहिए। कोई नया वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए। - कर्क राशि के लोगों को विवाह वार्ता के समय सफेद रंग का कोई वस्त्र अवश्य पहनना चाहिए। वस्त्र नया एवं चमकीला नहीं होना चाहिए। - सिंह राशि के लोगों को विवाह वार्ता के समय हल्के गुलाबी या हल्के हरे रंग के वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए। - कन्या राशि के लोगों को विवाह वार्ता के समय हरे, सफेद एवं सौम्य रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। - तुला राशि के लोगों को विवाह वार्ता के समय नये वस्त्र धारण करने चाहिए। उन्हें सफेद, गुलाबी एवं पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। - वृश्चिक राशि के लोगों के लिए विवाह वार्ता के समय लाल रंग के वस्त्र धारण करना शुभ होता है। - धनु राशि के लोगों के लिए विवाह वार्ता के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ होता है। - मकर राशि के लोगों के लिए विवाह वार्ता के समय आसमानी एवं कुछ नीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है। - कुंभ राशि के लोगों के लिए विवाह वार्ता के समय बैंगनी या गहरे नीले रंग की पोशाक पहनना शुभ होता है। - मीन राशि के लोगों के लिए विवाह वार्ता के समय पीले रंग की पोशाक पहनना शुभ है। विवाह वार्ता के समय जब वर पक्ष के लोग कन्या को और कन्या पक्ष के लोग वर को देखने के लिए जाएं, तब वर और कन्या दोनों को ही अपने वस्त्राभूषणों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें अपनी राशि से संबंधित शुभ रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। विवाह वार्ता के स्थान का चयन करने के लिए जन्मकुंडली के सातवें भाव में स्थित राशि की प्रकृति का अध्ययन करना चाहिए। मेषादि विभिन्न लग्नों के लोगों के लिए विवाह वार्ता हेतु कौन सा स्थान अधिक उपयुक्त होगा इसका विवरण नीचे दिया जा रहा है। मेष लग्न: विवाह के घर में तुला राशि होने के कारण इस लग्न के लोगों को विवाह वार्ता के लिए किसी पर्यटन या मनोरंजन स्थल का चयन करना चाहिए। किसी रिश्तेदार का साफ सुथरा घर भी ठीक रहेगा। वृष लग्न: विवाह के घर में वृश्चिक राशि होने के कारण इन्हें विवाह वार्ता के लिए किसी होटल, गेस्ट हाउस या किसी अन्य महत्वपूर्ण भवन का चयन करना चाहिए। मिथुन लग्न: विवाह के घर में धनु राशि होने के कारण इस लग्न के लोगों को विवाह वार्ता के लिए किसी मंदिर या धर्मस्थल का चयन करना चाहिए। कर्क लग्न: विवाह के घर में मकर राशि होने के कारण इन्हें विवाह वार्ता के लिए किसी प्राचीन भवन का चयन करना चाहिए। सिंह लग्न: विवाह के घर में कुंभ राशि होने के कारण इन्हें विवाह वार्ता के लिए किसी प्रसिद्ध और प्राचीन स्थान का चयन करना चाहिए। कन्या लग्न: विवाह के घर में मीन राशि होने के कारण इन्हें विवाह वार्ता के लिए किसी मंदिर या धर्मस्थान का चयन करना चाहिए। तुला लग्न: विवाह के घर में मेष राशि के होने के कारण इनके लिए विवाह वार्ता के लिए किसी कुंटुंबी जन का घर उपयुक्त रहेगा। इसके अतिरिक्त किसी होटल, गेस्ट हाउस या धर्मशाला का चयन कर सकते हैं। वृश्चिक लग्न: विवाह के घर में वृष राशि होने के कारण इस लग्न के लोगों को विवाह वार्ता के लिए किसी मनोरंजन स्थल, पार्क या पर्यटन स्थल का चयन करना चाहिए। धनु लग्न: विवाह के घर में मिथुन राशि होने के कारण इन्हें विवाह वार्ता के लिए किसी प्राकृतिक सौंदर्य युक्त स्थान जैसे बाग, बगीचे या हरे भरे स्थान का चयन करना चाहिए। मकर लग्न: विवाह के घर में कर्क राशि होने के कारण इन्हें विवाह वार्ता के लिए किसी नदी या तालाब के समीप किसी स्थान का चयन करना चाहिए। कुंभ लग्न: विवाह के घर में सिंह राशि होने के कारण इस राशि के लोगों को विवाह वार्ता के लिए किसी प्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित स्थान का चयन करना चाहिए। मीन लग्न: विवाह के घर में कन्या राशि होने के काण इनके लिए विवाह वार्ता के लिए किसी प्राकृतिक सौंदर्य युक्त स्थान या किसी मित्र अथवा रिश्तेदार का घर उपयुक्त रहेगा। जिस कन्या के विवाह में विलंब हो चुका हो उसके माता-पिता जब भी विवाह की वार्ता के लिए घर से जाएं, उस समय उसे अपने बाल खुले रखने चाहिए तथा माथे पर लाल चंदन की बिंदी लगानी चाहिए। विवाह भाव का स्वामी ग्रह जिस समय गोचर में अस्त या वक्री हो, उस समय विवाह की बातचीत नहीं करनी चाहिए। ऐसे समय में विवाह तय होने की संभावना निर्बल रहती है। गोचर में जब विवाह भाव का स्वामी बली हो, उस समय विवाह की बातचीत करने से सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। यदि शनि ग्रह के विवाह भाव में होने के कारण या उस पर शनि की दृष्टि के कारण विलंब हो रहा हो तो कन्या को शनिवार को कड़वे तेल में अपनी परछाईं देखकर तेल दान करना चाहिए। यह प्रयोग सात शनिवार को निंरतर करना चाहिए।

ज्योतिष में चक्र

विविध चक्रों के आधार पर भविष्य फलदर्शन की परिपाटी प्राचीन समय से आज तक चली आ रही है। जन्म समय प्रश्न, समय गोचर वर्ष फल, विविध प्रकार के मुहूर्त इत्यादि के समय ज्योतिष शास्त्र सम्मत अथवा ज्योतिष शास्त्र वर्णित विविध प्रकार के चक्रों का उपयोग, फलादेश के लिए करना, प्रचलन में है। सुदर्शन चक्र: सुदर्शन चक्र पद्धति में जन्मकालिक लग्न, चंद्र लग्न एवं सूर्य लग्न का एक साथ उत्पन्न अर्थात संभूत, संतुलित प्रभाव का आकलन किया जाता है। जन्म कालिक लग्न, चंद्र व सूर्य इन तीनों के बलाबल पर ध्यान दिए बिना ग्रहों के शुभाशुभत्व का विचार पूर्ण रूप से नहीं किया जा सकता। सूर्य आत्म कारक, चंद्रमा मन का अधिपति और जन्म लग्न शरीर रूप है। ये तीनों जातक के शुभाशुभत्व के आधारभूत हैं। इनके बलहीन होने से सुयोगों वाली कुंडली भी अशुभ ही रहेगी। इस विधि से फलादेश का जो निष्कर्ष निकलेगा वह तीनों लग्नों का मिश्रित निश्चयात्मक फल होगा। इस पद्धति में ग्रहों की वास्तविक समसामयिक स्थिति ही दर्शाई जाती है। जिस भाव का फलादेश करना हो उसे लग्न मानकर सम्मिलित रूप में विचार करना चाहिए। ऐसे भाव में जो ग्रह स्थित होते हैं उनके आधार पर फलादेश किया जाता है। ग्रह विहीन भाव का शुभाशुभात्व दृष्टिकारक ग्रहों के आधार पर करते हैं। दृष्टि कारक एकाकी ग्रह स्व-बलानुसार फलप्रदाता माना गया है जबकि भाव पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि रहने पर सर्वप्रबल ग्रह तदनुसार फलप्रदाता रहेगा। सुदर्शन पद्धति में विचार करते समय जितने ज्यादा शुभ ग्रहों की अभीष्ट भाव पर दृष्टि होगी, उसका फल उतना ही ज्यादा शुभ और जितने ज्यादा पापग्रहों की दृष्टि होगी उतना ही ज्यादा अनिष्टकर होगा। किसी भी ग्रह की दृष्टि न होने पर भावेश के अनुसार फलादेश करना चाहिए। सुदर्शन चक्र से फलकथन के सामान्य सिद्धांत: - शुभ ग्रह जिस भाव में विराजमान होते हैं उस स्थान की सदैव वृद्धि करते हैं। - इस पद्धति में चक्र के जिस भाव से केंद्र, त्रिकोण, षष्ठम, अष्टम या द्वादश भाव में शुभ ग्रह विराजमान हों उस भाव की वृद्धि करते हैं। - किसी भाव से केंद्र, त्रिकोण, (पंचम-नवम) अथवा आठवें स्थान में पापग्रह स्थित होने पर उस भाव को बिगाड़ देते हैं, उस भाव की शुभता को नष्ट कर देते हैं। इस संबंध में यह हाल राहु का भी है। - इसी प्रकार जिस भाव में राहु विराजमान होगा उस भाव की वृद्धि अवरुद्ध कर उसे नष्ट कर देगा। - अन्य पापग्रह भी जिस भाव में विराजमान होते हैं वे भी उस भाव या स्थान की हानि करते हैं। - अपनी स्वोच्च-राशि, स्वराशि अथवा मूल-त्रिकोण राशि में बैठे हुए अशुभ ग्रह अशुभ फल नहीं देते। - स्व-राशि, स्वोच्च-राशि या अपनी मूल-त्रिकोण राशि में बैठे हुए किसी भी शुभाशुभ ग्रह का साथी बनकर बैठा राहु भाव-नाशी नहीं होता। इस पद्धति में सूर्य-कुंडली के लग्न भाव स्थित सूर्य को पापी नहीं कहते। फलादेश करते समय सप्त वर्ग/अष्टक वर्ग का ध्यान रखते हुए भी विचार करना चाहिए। सप्तवर्गानुसार शुभ एवं अशुभ वर्गों का निश्चय कर दृष्टि, योग, स्वामित्व आदि देखकर किसी भी अभीष्ट भाव का फल कथन करना चाहिए। शुभ वर्गाधिक्य होने से अशुभ ग्रह भी शुभ हो जाते हैं और अशुभ वर्गाधिक्य होने से शुभ ग्रह भी अनिष्ट फलकारी हो जाते हैं।

Astrology Sitare Hamare on 2 April 2017 !! Navratri Day 6

Astrology Sitare Hamare on 2 April 2017 !! Navratri Day 6

Friday 31 March 2017

कुंडली में अष्टम भावस्थ शनि का विवाह पर प्रभाव

प्राचीन ज्योतिषाचार्यों ने एकमत से जातक की कुंडली के सप्तम भाव को विवाह का निर्णायक भाव माना है और इसे जाया भाव, भार्या भाव, प्रेमिका भाव, सहयोगी, साझेदारी भाव स्वीकारा है। अतः अष्टम भावस्थ शनि विवाह को क्यों और कैसे प्रभावित करता है यह विचारणीय हो जाता है क्योंकि अष्टम भाव सप्तम भाव का द्वितीय भाव है। विवाह कैसे घर में हो, जान - पहचान में या अनजाने पक्ष में हो, पति/पत्नी सुंदर, सुशील होगी या नहीं, विवाह में धन प्राप्ति होगी या नहीं आदि प्रश्न विवाह प्रसंग में प्रायः उठते हैं और यह आवश्यक भी है क्योंकि विवाह संबंध पूर्ण जीवन के लिए होते हैं। इन सब प्रश्नों का उत्तर सप्तम भाव से मिलना चाहिए। परंतु जब अष्टम भाव में शनि हो तो विवाह से जुड़े इन सब प्रश्नों पर प्रभाव पड़ता है। देखें कैसे? अष्टम भाव विवाह भाव (सप्तम) का द्वितीय भाव है तो यह विवाह का मारक स्थान होगा, जीवन साथी का धन होगा, परिवार तथा जीवन साथी की वाणी इत्यादि होगा। अतः अष्टम भावस्थ शनि इन सब बातों को प्रभावित करेगा। यदि शनि शुभ प्रभावी है तो जातक को जीवन साथी द्वारा परिवार, समाज में सम्मान, धन (दहेज या साथी द्वारा अर्जित) प्राप्ति, सुख, मधुर भाषी साथी प्राप्त हो सकता है। यदि शनि अशुभ प्रभाव में हो तो जातक के लिए मारक और उसके साथी द्वारा प्राप्त होने वाले शुभ फलों का ह्रास होगा। अष्टम भावस्थ शनि की दृष्टि दशम भाव पर होती है जो जातक का कर्म भाव है और उसके जीवन साथी का चतुर्थ भाव अर्थात परिवार, समाज, गृह सुख, विद्या आदि है; अतः जातक का यश, समाज में प्रतिष्ठा, परिवार सुख, धन समृद्धि, शिक्षा, व्यवसाय आदि प्रभावित होते हैं। अष्टम भावस्थ शनि की दूसरी दृष्टि द्वितीय भाव पर होती है तो जीवन साथी का अष्टम भाव है, अतः उसके दुःख कष्ट, आकस्मिक घटनाएं, गुप्त कृत्य आदि तथा स्वयं के संचित धन को प्रभावित करेगा। अष्टम भावस्थ शनि की तीसरी दृष्टि पंचम भाव पर होती है तो जीवन साथी का एकादश भाव है। अतः प्रभाव संतान पर, शिक्षा पर और जीवन साथी के हर लाभ पर होता है। विवाह जनित जितने भी सुख हैं वह अष्टम भावस्थ शनि से प्रभवित होते हैं जिनमें मुख्य हैं धन, संतान, शिक्षा, व्यवसाय, पैतृक संपत्ति, परिवार सुख आदि। शुभ शनि शुभ परिणाम देता है और अशुभ शनि शुभ फलों को कम कर देता है। अष्टम भावस्थ शनि निश्चित रूप से विवाह जनित सुख-दुख को प्रभावित करता है।

Astrology Sitare Hamare On 31 MARCH 2017

Tuesday 28 March 2017

मीन 2017 वार्षिक राशिफल


मीन का सामान्य
आर्थिक तौर पर मार्च का संवत आपके लिए अनुकूल लग रहा है। हालाँकि थोड़ी बहुत आर्थिक मुसीबतों से भी दो-चार हो सकते हैं। कार्य से ध्यान भटकने से आपका प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है। इस स्थिति पर जल्द-से-जल्द काबू पाने की कोशिश करें, वरना आप कुछ अच्छे अवसर खो सकते हैं। आपके पीछे आपकी बुराई करके विरोधी आपकी छवि ख़राब करने की कोशिश कर सकते हैं। भाग्य आपका साथ देगा फिर भी आपको थोड़ी निराशा रहेगी। शक्तिशाली लोगों के संपर्क में रहना लाभदायक रहेगा। काम के अधिक बोझ के कारण थोड़ी परेशानी व तनाव रहेगा। आँख बंद करके किसी पर भरोसा न करें। व्यवसायिक यात्रा आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी। परिवार में ख़ुशी और ग़म के मिले जुले क्षण रहेंगे। स्वास्थ्य थोड़ा ख़राब हो सकता है।
मीन का आर्थिक जीवन
वरिष्ठजन आपके कार्य की सराहना करेंगे, जिससे आपको निकट भविष्य में फ़ायदा होगा। आपके प्रयास आपको बहुत लाभ पहुँचाएंगे। अपने व्यवसायिक सहयोगियों के ज़रिए व्यवसायी धन कमाएँगे। बच्चे की उच्च शिक्षा पर धन ख़र्च हो सकता है। नौकरी बदलने के लिए यह संवत अनुकूल है। कोई भी निर्णय लेने से पहले सब चीज़ों की अच्छी तरह जाँच कर लें। आर्थिक स्थिति में इस संवत उथल-पुथल रहेगी। माता-पिता की ओर से आर्थिक सहयोग मिलेगा। पूर्वजों की जमीन के संबंध में थोड़ा सावधान रहें। संवत के अंत में कोई अनचाहा आर्थिक लाभ हो सकता है।
मीन का स्वास्थ्य जीवन
संवत का आरंभ आपके स्वास्थ्य के लिये अनुकूल है। संवत के दूसरे सप्ताह में सिर दर्द और हल्के बुखार के लक्षण हो सकते हैं। योगा और मेडीटेशन करने से आप अपने आपको संवत भर शारीरिक और मानसिक तौर पर फ़िट रख पायेंगे।
मीन का पारिवारिक जीवन
इस संवत को अपने परिवारजनों के साथ समय गुज़ारें। मित्रों से अपेक्षानुसार सहयोग नहीं मिलेगा। वैवाहिक जीवन ख़शनुमा रहेगा और आप अपने जीवनसाथी के साथ कुछ यादगार पल गुज़ारेंगे। वाणी पर संयम रखें। आपके बोल दूसरों को आहत कर सकते हैं। किसी के साथ प्रेम का चक्कर चलाने से आपके और आपके परिवारजनों के बीच में खटास पैदा हो सकती है। कैसी भी परिस्थिति हो अपने अहम और गुस्से को काबू में रखें। आप अपने विश्वास को तेज़ी से खोता हुआ महसूस कर सकते हैं। किसी नए मेहमान का आपके परिवार से जुड़ाव होना काफ़ी हद तक संभव है। शराब पीकर गाड़ी न चलाएँ।
मीन का सावधानी एवं उपचार
माता दुर्गा की पूजा करने से आपके जीवन की सारी परेशानियाँ दूर होंगी। इस वर्ष दुर्गा शप्तशती का पाठ करना, दुर्गा कवच का पात करना, सुहाग की सामग्री का दान करना चाहिए.

कुम्भ 2017 वार्षिक राशिफल


कुम्भ का सामान्य
स्वास्थ्य के लिहाज़ से यह संवत अच्छा है। तकनीकी क्षेत्र से संबंध रखने वाले व्यक्तियों को सफ़लता मिलेगी और कार्य क्षेत्र में सम्मान मिलेगा। दोस्तों के बीच समय गुज़ारेंगे और उनपर पैसा भी ख़र्च करेंगे। अपने इस ख़र्चीलेपन पर काबू रखें और जितना हो सके पैसा बचाएँ। माँ को कुछ स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, इसलिए थोड़ा सचेत रहें। शत्रुओं से सावधान रहें। सगे-संबंधियों से कुछ मतभेद हो सकते हैं। संवत के अंत में मानसिक तनाव हो सकता है। शांति और विश्वास के साथ काम करने से आप विजयी होंगे। प्रेमी जोड़ों के लिए संवत औसत रहेगा। लोन लेने से बचें और किसी को भी पैसा उधार न दें। संवत के अंत में व्यवसायियों को कठिन परिस्थितियों से गुज़रना पड़ सकता है। किसी अहम प्रोजेक्ट पर एक टीम की रहनुमाई करने का मौका मिलेगा।
कुम्भ का आर्थिक जीवन
इस संवत काम का अभाव होगा। किसी विपरीत लिंग के व्यक्ति से सहायता मिलेगी। ख़र्चों पर काबू करने से आर्थिक हालात सामान्य रहेंगे। अपने काम में निखार लाने की कोशिश करेंगे। विरोधियों से सचेत रहें। भाग्य के भरोसे रहने से बेहतर है कि चीज़ों को अपने हाथों में लें और ख़ुद से काम करें। आर्थिक हालात में सुधार के लिए अपने निजी जीवन को व्यवसायिक जीवन से दूर रखें। राजनीति से जुड़े व्यक्तियों के लिये यह संवत फ़ायदेमंद साबित होगा। संवत के मध्य में अनचाहा आर्थिक लाभ होगा।
कुम्भ का स्वास्थ्य जीवन
इस संवत आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। हालाँकि कुछ बड़ा घटित होने के आसार नहीं है, फिर भी अपने परिवारजनों की सेहत का ख़्याल रखें।
कुम्भ का पारिवारिक जीवन
मित्रों के साथ संबंध अच्छे होंगे। संवत के मध्य में कोई अतिथि घर पर आ सकता है। पारिवारिक माहौल ख़ुशनुमा बना रहेगा। इस संवत घर के नवीनीकरण के बारे में सोच सकते हैं। परिवार के साथ एक छोटी यात्रा के आसार हैं। आपके बच्चे आपसे नाराज़ हो सकते हैं और आपसे किसी चीज़ की डिमांड कर सकते हैं। जीवनसाथी के ऊपर ख़र्च कर सकते हैं। कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले परिवार के किसी बड़े से सलाह ले लें। घर में किसी शुभ कार्य के होने के संकेत हैं। किसी बाहरी व्यक्ति को परिवार में दखलअंदाजी न करने दें। संवत के अंत में आप परिवार के साथ किसी नये घर में स्थानान्तरित हो सकते हैं।
कुम्भ का सावधानी एवं उपचार
शनि देव की उपासना करने से तनाव कम होगा। किसी भी प्रकार की लापरवाही करने से बचें। चीज़े आपके काबू में रहेंगी। सत्यनारायन की कथा करना चाहिए.

मकर 2017 वार्षिक राशिफल


मकर का सामान्य
इस संवत आपको मिले-जुले परिणाम प्राप्त होंगे। काम के साथ ज़िम्मेदारियों का बोझ भी बढ़ेगा। काम में लापरवाही दिखाने के लिये आपके सीनियर आपको चेतावनी दे सकते हैं। अपने कार्यों का आँकलन करें और अपने काम में निखार लाने की कोशिश करें। आय के एक से अधिक श्रोत बनेंगे। कठिन परिश्रम करने से ही लाभ होगा। ज़िम्मेदारियों में बढ़ोत्तरी होगी। ज़िम्मेदारियों से भागने की बजाय उनका सामना करें। संवत के मध्य में प्रेमी जोड़ों को ख़ुशनुमा पल बिताने का मौका मिलेगा। प्रतियोगी परीक्षा, उच्च शिक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को भाग्य का साथ मिलेगा। नई नौकरी की तलाश कर रहे आपके किसी पड़ोसी को उसके कार्य के अनुसार सफ़लता मिलेगी। कुछ सकारात्मक चमत्कारी बदलाव होने से आपको प्रसन्नता होगी। व्यवसायी अपने व्यवसाय में लाभ के लिये दूसरों का सहारा लेंगे। फ़िजूल की यात्रा करके अपना समय और पैसा बर्बाद न करें।
मकर का आर्थिक जीवन
इस संवत कठिन परिश्रम करें, आलस्य को पास न आने दें। प्रयासों में बढ़ोत्तरी होगी। आपको गंभीर रहने की ज़्यादा जरूरत है। अगर आपका काम में उत्साह कम नहीं होता है तो आपको पिछले संवत कि तरह ही उपलब्धियाँ हासिल होंगी। विरोधी आपको हानि पहुँचाने और आपसे काम छीनने की पूरी कोशिश करेंगे। व्यवसायियों को विदेश से मुनाफ़ा मिलने के आसार हैं। ख़र्चों पर काबू रखें, वरना निकट भविष्य में परेशानी खड़ी हो सकती है। शेयर बाज़ार में पैसा लगाने से बचें। व्यवसाय के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है। किसी भी परिस्थिति में अपने गुस्से पर काबू रखें। समय पर अपने कार्य को पूरा करने के लिए आप अपने किसी मित्र की सहायता ले सकते हैं। काम का बोझ बढ़ने से तनाव और बेचैनी बढ़ेगी। अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिये कुछ वक़्त निकालें। संवत के अंतिम सप्ताह में आय में वृद्धि हो सकती है।
मकर का स्वास्थ्य जीवन
यह संवत आपके स्वास्थ्य के लिहाज़ से अच्छा नहीं है। अपने स्वास्थ्य को गंभीरता से लें और समय पर डॉक्टर से सलाह लें। अपने गुस्से पर काबू रखें, अन्यथा रक्तचाप बढ़ सकता है। अपनी आँखों का ध्यान रखें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
मकर का पारिवारिक जीवन
इस संवत आपके दिमाग में कुछ उलझन रहेगी। आपके मानसिक बदलाव से दूसरे लोग परेशान होंगे। अपने परिवारजनों के साथ हर बात साफ़ करें और उनसे अपने संबंध मजबूत रखें। इस संवत अपनी वाणी पर संयम रखना बहुत ज़रूरी है, वरना आपके कुछ अहम संबंध टूट सकते हैं। छोटे-मोटे मुद्दे आपके व्यवसायिक जीवन को प्रभावित करेंगे। अपने व्यवसायिक जीवन को अपने पारिवारिक जीवन से दूर रखें और अपने परिवार की ख़ुशी के बारे में सोचें। घर के नवीनीकरण के बारे में सोच सकते हैं, इससे आपका ख़र्चा बढ़ेगा। आप में से कोई व्यक्ति नया वाहन ख़रीद सकता है। अपने बुज़ुर्गों का सम्मान करें और उनके साथ कुछ महत्वपूर्ण पल व्यतीत करें। आप अपने जीवनसाथी से ज़्यादा अपेक्षा कर सकते हैं और वो इन्हें पूरी करने की कोशिश करेगा। संवत के अंत में ख़र्चों को कम करें और बचत के बारे में सोचें। कहीं पर धन के फँसने के आसार हैं। परिवार के साथ तीर्थ यात्रा पर जाने से आपके परिवार में समृद्धि आएगी। आप अपने किसी चाहने वाले को सिनेमा या डिनर पर ले जा सकते हैं। व्यवसायियों को उनके जीवनसाथी की वजह से व्यवसाय में लाभ होगा। कोई भी आर्थिक निर्णय लेने से पहले अपने बड़ों से सलाह लें।
मकर का सावधानी एवं उपचार
जल्दबाज़ी में और शराब पीकर गाड़ी न चलाएँ। गुरुवार का व्रत करें. पिली वास्तु का दान करें और गुरु मन्त्र का जाप करें ऐसा करने से आप ग्रहों की नकारात्मकता से बचेंगे।

धनु 2017 वार्षिक राशिफल


धनु का आर्थिक जीवन
इस संवत आर्थिक हालात ठीक नहीं रहेंगे। हालाँकि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की आपकी निष्ठा आपके जीतने के मिज़ाज को जीवित रखेगी। आपको अपने विरोधियों के साथ किसी प्रोजेक्ट पर कार्य करना पड़ सकता है। ऐसी परिस्थितियों में डरने की बजाय चुनौती को स्वीकार करें। आपको आर्थिक तौर पर लगातार उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ सकता है। पदोन्नती के आसार हैं, लेकिन आपके वरिष्ठ इसमें बाधा उत्पन्न करने की पूरी कोशिश करेंगे। जायदाद या वाहन ख़रीदने के लिये आप लोन ले सकते हैं। बाकी चीज़ें आपके विरुद्ध हो सकती हैं। इससे पहले की हालात और ज़्यादा ख़राब हों मामले को कोर्ट में जाकर सुलझा लें, अन्यथा यह आपके लिए अच्छा नहीं होगा। कुछ समय के लिये विदेशी यात्रा को रद्द करने की आवश्यकता है। साझेदारी के कार्यों में धोखा मिलने के आसार हैं। इसलिये सावधान रहें और आँख बंद करके किसी पर विश्वास न करें। किसी भी कागज़ात पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे अच्छी तरह पढ़ लें। कोई पुराना निवेश इस संवत आपको आर्थिक फ़ायदा पहुँचाएगा। कमाई और ख़र्चों की गति समान रहेगी। किसी को भी अपनी जमीन किराये पर न दें, क्योंकि इसके वापस मिलने के आसार बहुत कम हैं।
धनु का स्वास्थ्य जीवन
इस संवत अपको स्वास्थ्य का ख़्याल रखने की ज़रूरत है। काम के बोझ के कारण आप मानसिक तनाव व अनिद्रा से ग्रसित हो सकते हैं। सिर दर्द और आँखों में दर्द की शिकायत भी हो सकती है।
धनु का पारिवारिक जीवन
इस संवत वैवाहिक जीवन पर ध्यान और समय देने की आवश्यकता है। बच्चों और जीवनसाथी के साथ वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। जमीन-जायदाद के मामले झगड़े का कारण बन सकते हैं। आपके बच्चे आपकी बात को अनसुना कर सकते हैं। आप मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करेंगे, लेकिन भाग्य आपके साथ नहीं है। किसी पारिवारिक जन के व्यवहार में बदलाव की वजह से आप परेशान हो सकते हैं। ये आपके व्यवसायिक जीवन को प्रभावित करेगा। इसलिये थोड़ा सावधान रहें। इस संवत नये मित्र बनाने की कोशिश न करें और कोर्ट कचहरी से संबंधित मामलों को रद्द कर दें। संवत के मध्य में आप थोड़े आक्रामक हो सकते हैं और अपना आपा खो सकते हैं। बेहतर तालमेल के लिए अपने परिवार के साथ परियोजनायें बनाएँ। पिता की ओर से समर्थन मिलेगा। लोगों पर विश्वास करना कठिन होगा। संवत के अंत में मानसिक भ्रांति उत्पन्न हो सकती है। संबंधियों से शुभ समाचार मिलने के आसार हैं। संवत के तीसरे सप्ताह में घर में कोई मांगलिक कार्य हो सकता है।
धनु का सावधानी एवं उपचार
सूर्य देवता को रोज़ सुबह जल चढ़ायें। चिड़ियों को दाना खिलाने से आपके जीवन में स्थिरता आएगी।

Astrology Sitare Hamare on 28 March 2017

Monday 27 March 2017

वृश्चिक 2017 वार्षिक राशिफल


वृश्चिक का सामान्य
आपकी राशि का स्वामी मंगल व्यय घर में होने से चोट और समय स्वास्थ्य के हिसाब से अनुकूल नही है। हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर के क्षेत्र में आप अच्छा कर सकते हैं। पूरे संवत आप अपने दोस्तों के मध्य व्यस्त रहेंगे। मित्रों पर होने वाले ख़र्चे में बढ़ोत्तरी हो सकती है। ख़र्चों को कम करने की कोशिश करें। ग्रहों की स्थिति आपकी माँ के स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी का कारण बन सकती है। उनकी सेहत का ख़ास ख़्याल रखें। विरोधियों से सावधान रहें। किसी भी नये कार्य को करने का सही समय नहीं है। आपके और आपके चाचा के मध्य कुछ मतभेद हो सकते हैं। किसी परिवारजन की सेहत आपके तनाव का कारण बन सकती है। प्रेमी युगल के लिये समय अनुकूल नहीं है। आप हर प्रतियोगिता में विजयी घोषित होने वाले हैं। आप अपने सभी विरोधियों को परास्त करने में सफल होंगे। लोन लेने या देने के प्लान को रद्द करने से आपको लंबे समय के लिए लाभ होगा। अपने परिवार में अच्छा माहौल बनाये रखनेे के लिए आपको शांत और साफ़ रहने की ज़रूरत है। संवत के अंत में व्यवसायियों को अच्छे लाभ मिलने के आसार हैं। इस दौरान काम में आपके सामने ज़िम्मेदारियाँ बढ़ सकती हैं। इस संवत आपकी पदोन्नति भी हो सकती है। अवैध तरीकों से धन कमाने की कोशिश न करें। इस संवत आपको थोड़ा सचेत रहने की ज़रूरत है।
वृश्चिक का आर्थिक जीवन
कार्य स्थल पर भगवान आपके धैर्य की परीक्षा ले सकते हैं। कोई विपरीत लिंग का व्यक्ति आपके काम में आपकी मदद करेगा। इस संवत आप अपने कार्य को आनंददायक और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में सफल हो सकते हैं। आप इसके लिए प्रशस्ति भी पायेंगे। इस संवत आपके ख़र्चों में वृद्धि हो सकती है। अपने कौशल को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठायें। इस संवत आप अपने शारीरिक आकर्षण को बढ़ाने में समय व्यतीत कर सकते हैं। अगर आप बैंकिग जैसे विभाग से जुड़े हुए हैं तो आपको अपने कार्य में विलक्षण प्रतिभा दिखाने की आवश्यकता है। कार्य करते समय अपनी साख के प्रति सजग रहें। ऊर्जा और उत्साह से आपके दिमाग में और प्रवाह आयेगा। आप नया व्यवसाय या नयी नौकरी के अवसर प्राप्त करेंगे। अपने भाग्य को कोसना आपके लिये लाभदायक नहीं होगा। लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता है। अपनी भावनाओं पर काबू रखें और अपने काम पर ध्यान दें। राजनीति से जुड़े लोगों के लिये समय प्रतिफल देने वाला है। कूटनीतिक गुण आपके अपूर्ण कार्य को पूरा करने में सहायक साबित हो सकते हैं।
वृश्चिक का स्वास्थ्य जीवन
इस संवत आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। आप घर में अपने बड़ों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हो सकते हैं। यह आपके लिए मानसिक तनाव का कारण बन सकता है।
वृश्चिक का पारिवारिक जीवन
इस संवत आप अपनी माता के रेगूलर चैकअप के लिए आपको अस्पताल जाना पड़ सकता है। विद्यार्थियों के लिए समय अनुकूल है। इस पूरे संवत आपके परिवार का माहौल ख़ुशनुमा बना रहेगा। अपने घर की वर्तमान परिस्थितियों से लड़ने के लिए आपको अपने क्रोध पर काबू करना होगा। इस संवत आप अपने घर के नवीनीकरण के बारे में भी सोच सकते हैं। परिवार के साथ किसी छोटी यात्रा पर जा सकते हैं। दूसरों से ज़्यादा अपेक्षा करने से आपको निराशा हाथ लगेगी। आपके बच्चे आपके ख़र्चों को बढ़ा सकते हैं, इसलिये थोड़ा सावधान रहें। इस संवत आप अपने बड़ों के साथ अच्छा समय व्यतीत करेंगे। घर में आपका कोई बड़ा आपको किसी आनंददायक स्थान पर ले जा सकता है। आपको अपने पिता का सम्मान करना चाहिये। इस समय कुछ परिवारों के सभी लोग एक जगह एकत्रित हो सकते हैं। अपने छोटे भाई या बहन के साथ आपके मतभेद हो सकते हैं। किसी व्यक्ति का हस्तक्षेप आपके शांतिपूर्ण जीवन में व्यवधान उत्पन्न कर सकता है।
वृश्चिक का सावधानी एवं उपचार
मानसिक तनाव कि स्थिति में शनि देव की पूजा करना लाभदायक होगा। शनि रत्न की अंगूठी को धारण करने से पहले उसे मंत्रों से शुद्ध करना लाभदायक होगा। शनि के लिए दीपदान करना, मन्त्र जाप करना और गरीबो और प्रतारित लोगो के न्याय की कोशिश करना शुभ होगा

तुला 2017 वार्षिक राशिफल


तुला का सामान्य
इस संवत आपको मिले-जुले परिणाम मिलेंगे। मानसिक दवाब की वजह से तनाव महसूस करेंगे, साथ ही थोड़ा चिड़चिड़ापन भी रहेगा। आपका ऐसा स्वभाव आपके सहकर्मियों को नाराज़ कर सकता है। झूठ बोलने से बचें और सफलता का कोई लघु पथ नहीं है, इस बात को स्वीकारें। बेहतर होगा कि आप अपने काम में निखार लायें। इस संवत आय के श्रोत बढ़ेंगे। अच्छे परिणाम के लिए काम को और बेहतर ढंग से करने की जरूरत है। सफलता आपके कदम चूमेगी। ज़िम्मेदारियों में बढ़ोत्तरी होगी। अपने अतीत को अपनी ज़िम्मेदारियों के आगे न आने दें। मध्य संवत के बाद का समय प्रेम करने के लिहाज़ से अनुकूल है। विद्यार्थियों को उनके प्रयासों के अनुसार सफलता मिलेगी। आय में बढ़ोत्तरी होगी। थोड़े से अधिक प्रयास करने से लाभ मिलेगा। आपके सीनियर आपसे ख़ुश हो सकते हैं, साथ ही कुछ आश्चर्यजनक उपहार मिलने के भी आसार हैं। अगर आपने कहीं नौकरी के लिए आवेदन किया है तो नई नौकरी मिलने के आसार हैं। इस संवत परिस्थिति आपके अनुकूल हैं। नया व्यवसाय शुरू करने वालों को लाभ होगा। इस संवत विदेश यात्रा पर जाने का भी प्लान बना सकते हैं।
तुला का आर्थिक जीवन
सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता है। लाभ प्राप्त करने के लिए आपको अधिक प्रयास करने होंगे। इस संवत बड़ों के साथ वाद-विवाद की स्थिति भी बन सकती है। कार्य स्थल पर ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए अपने आप को शांत रखें। विरोधियों से सावधान रहें। समय आपके अनुकूल नहीं है, इसलिये सोच समझकर ख़र्च करें। साझेदारी में व्यवसाय कर रहे लोगों को संवत के मध्य में लाभ होगा। विदेश से कुछ धन लाभ हो सकता है। आप अपना व्यवसाय विदेश में स्थापित करने के बारे में सोच सकते हैं। अवैध कार्यों में आप लिप्त हो सकते हैं। ये अवैध कार्य भविष्य में आपकी साख को हानि पहुँचा सकते हैं। अपने कार्यों को पूर्ण करने के लिए आप कूटनीतिक तरीकों का सहारा ले सकते हैं। आपके कार्य में कोई व्यवधान डाल सकता है। इस संवत कार्यों की अधिकता हो सकती है। नौकरी बदलने के लिए अच्छा समय है। आर्थिक दशा को बेहतर बनाने के लिए आपको अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता है।
तुला का स्वास्थ्य जीवन
यह संवत आपके स्वास्थ्य के लिहाज़ से बेहतर नहीं है। स्वास्थ्य के प्रति उदासीन रहने की अपनी आदत में सुधार लायें। गुस्से पर काबू रखें वरना ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। पोषणयुक्त भोजन लें। शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने के लिए नियमित व्यायाम करें। वाहन सावधानीपूर्वक चलाएँ और आँखों का विशेष ध्यान रखें।
तुला का पारिवारिक जीवन
इस संवत आपको मिले-जुले परिणाम मिलेंगे। अपने पारिवारिक मामलों को बीच में लाना इस संवत सही नहीं होगा। आपका क्रोध लोगों को आपसे दूर कर सकता है। वाणी पर संयम रखें और अपने आस-पास के लोगों को कड़वा बोलने से बचें। वैवाहिक जीवन मधुर बनाने के लिए आपको कठिन परिश्रम करने की ज़रूरत है। आपका व्यवहार आपके जीवनसाथी को आहत कर सकता है। इस संवत आप अपने जीवनसाथी की उपेक्षा कर सकते हैं। आप पहले अपनी इच्छाओं को पूरा करेंगे, जिसके कारण आप दूसरों की इच्छाओं को आवश्यक नहीं समझेंगे। यह आपके और आपके परिवार के बीच कटुता का कारण बन सकता है। पिता से संबंध ख़राब हो सकते हैं। इस संवत आप परेशानियों का सामना कर सकते हैं। संवत के मध्य में आप थोड़ा क्रोधित हो सकते हैं। आपका जीवनसाथी लाभ प्राप्त करने में आपकी सहायता करेगा। अपने से बड़ों का सम्मान करें और उनका आशीर्वाद ग्रहण करें। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले अपने परिवारजनोंं से सलाह लें।
तुला का सावधानी एवं उपचार
दुर्घटनाओं से बचने के लिए तुला दान या रक्तदान करें. हनुमान चालीसा का पाठ करें. मंगल का व्रत करें. मूंगा धारण करें

कन्या 2017 वार्षिक राशिफल


कन्या का सामान्य
आप अपने वैवाहिक जीवन में भी परेशानी का सामना कर सकते हैं। पारिवारिक जीवन में भी इस संवत उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। परिवारजनों के साथ विश्वास और स्नेह रखने से ही आपके संबंधों में मधुरता आयेगी। घर के मामलों को घर में ही सुलझाने की कोशिश करें। किसी भी अवैध कार्य को करने से बचें। इस संवत आपके प्रेम संबंध प्रगाढ़ होंगे और आप नये मित्र भी बना सकते हैं। दोस्तों के बीच समय व्यतीत करना सुकून भरा रहेगा। अपने प्रेम संबंधों को विवाह में परिवर्तित करने के लिए इंतज़ार करें। तब-तक आपको धैर्य रखने की ज़रूरत है। इस संवत अपनी माँ की सेहत के कारण परेशान हो सकते हैं। माता के साथ वैचारिक मतभेद होने के आसार अधिक हैं। धन का मुद्दा गृह क्लेश का कारण बन सकता है। नये प्रोजेक्ट्स पर कार्य करने के लिए अनुकूल समय है।
कन्या का आर्थिक जीवन
आप अपने कार्यों में थोड़ी अस्थिरता महसूस कर सकते हैं। परेशानियों से बचने के लिए पूजा-पाठ करें। लेन-देन करते समय सावधानी बरतें। कठिन परिश्रम से ही व्यवसाय में लाभ होगा। काम में सकारात्मकता लाने से बेहतर परिणाम मिलेंगे। आय में बढ़ोत्तरी हो सकती है। अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आप कुछ प्रशिक्षण ले सकते हैं। कार्य में उन्नति होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा। आपके सगे संबंधी इस संवत आपके लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। अपने से बड़ों से प्रशंसा ना मिलने की वजह से आप इस संवत उदासीन महसूस करेंगे। संवत के अंत में बड़ों से संबंध मधुर होंगे। आपको अपने आपको साबित करने का बड़ा अवसर मिलेगा। सीखने और अपनी क्षमताओं को बढ़ाने का कोई भी अवसर हाथ से न जाने दें। सफलताओं के समय आपके मित्र आपके साथ होगे। प्रतियोगियों से आगे रहने के लिए अपने विवेक का सहारा लें। आप कठिन परिस्थितियों से लड़ना भली-भाँति जानते हैं। समय आपको आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करेगा। शांत रहें समय आपके साथ है।
कन्या का स्वास्थ्य जीवन
अच्छे से अपनी सेहत की देखभाल करें। इस संवत छाती से संबंधित परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। सर्दी, ज़ुकाम की भी शिकायत हो सकती है। गले को प्रभावित करने वाली चीज़ों को खाने से बचने की कोशिश करें। अगर आप किसी धार्मिक कार्य में भाग ले रहे हैं तो उसके प्रति आस्था और निष्ठा बनाए रखें।
कन्या का पारिवारिक जीवन
बच्चों की घर में उपस्थिति से पूरे संवत प्रसन्न रहेंगे। बच्चों की ओर से कुछ शुभ समाचार भी मिलने के आसार हैं। विलासितापूर्ण जीवन की ओर भागने की कोशिश न करें। आप एक सम्माननीय जीवन जीने के काबिल हैं। इस संवत अपने प्रेमी के साथ कुछ अच्छा समय गुज़ारें। किसी भी अनावश्यक वाद-विवाद से अपने आप को बचाने की कोशिश करें। बिना स्वार्थ के कार्य करने से आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे। अपने पिता का सम्मान करें। इस संवत सकारात्मक रहने की कोशिश करें। अपने बड़ों को भी प्यार और सम्मान दें और उनकी भावनाओं का सम्मान करें। आप पूरे संवत भावुक रहोगे। प्यार आपके जीवन में ख़ुशियाँ लाएगा।
कन्या का सावधानी एवं उपचार
भोर के समय सूर्य मंत्र का जाप करने से लाभ होगा। इस मंत्र के जाप से आप अनावश्यक ख़र्चों पर काबू कर पाएँगे। अपने घर में सूर्य मंत्र स्थापित करने से समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।
सूर्य मंत्र- ऊं ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: का जाप करें. गरीबो को दवाई का दान करें.

सिंह 2017 वार्षिक राशिफल


सिंह का सामान्य
लंबे समय तक उपयोग के लिए धन संचय के योग बन रहे हैं। ख़र्च आपकी परेशानी बढ़ा सकते हैं। आप अपने कुछ कर्तव्यों का निर्वाह करने में असफल हो सकते हैं, जिसकी वजह से आपके कुछ कार्य समय पर नहीं हो पायेंगे। इस संवत आपके सम्मान में कमी आ सकती है। व्यापार में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। संवत के अंत में भाग्य आपके साथ होगा। आप अपनी बात पर लोगों को आसानी से राज़ी कर पायेंगे। आप अपने सगे-संबंधियों से भी काम लेने में सफल होंगे। काम में दूसरों की मदद लेना लाभदायक होगा। आमदनी के लिहाज़ से यह संवत आपके अनुकूल है। प्रभावी लोगों के संपर्क में आने का अवसर प्राप्त करेंगे, जो आपके करियर में सहायक सिद्ध होगे। संवत के अंत में सगे-संबंधियों से मिलने वाले सहयोग में कमी आ सकती है। कार्य की अधिकता होने की वजह से थोड़ा तनाव महसूस करेंगे। कुछ समय के लिए अपने दोस्तों पर आँख मूँदकर भरोसा करना बंद करें, वरना आपके द्वारा किये गये कार्यों का लाभ वे उठा सकते हैं। व्यवसायिक यात्रा आपको अनुकूल परिणाम देगी। इसके अलावा अपने द्वारा संचालित कार्यों की दुबारा से समीक्षा करना लाभदायक होगा। अपने कौशल में वृद्धि के लिये कुछ प्रशिक्षण ले सकते हैं। आप अधिक विश्वास और ध्यान के साथ अपने कार्यों को कर पाएँगे। चतुराई और विवेक से कार्य करना साझेदारी में परेशानियों को कम करेगा। व्यवसाय को बढ़ाने में पैसा लगा सकते हैं, क्योंकि धन का संचय करना इस समय आपके लिए कठिन होगा।
सिंह का आर्थिक जीवन
आपके कार्यों की सराहना होगी और आपको वरिष्ठ नागरिकों से मदद भी मिलेगी। अपने कार्य से संबंधित ज्ञान बढ़ाने के लिए यह उपयुक्त समय है। आपके द्वारा किये गये कार्य आपको बेहतर परिणाम देंगे। इस समय अपने प्रयासों में कमी न आने दें। संवत के मध्य में अपनी नौकरी को बदलने के बारे में सोच सकते हैं। आय और पद-प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी होगी। आँख मूंदकर किसी पर विश्वास न करें। व्यवसाय संबंधी निर्णय लेने में परेशानी हो सकती है। साझेदारी में कोई भी बड़ा निर्णय सोच-विचार कर लें। आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी। आपके प्रयासों से आय के कुछ नये श्रोत बनेंगे। दयालुता और मधुरता आपको पीछे धकेल सकती है। घर में रहते समय वाणी पर संयम रखें। शत्रुओं से सावधान रहें। वैवाहिक मतभेदों को सुलझाने में आपके मित्र आपकी मदद कर सकते हैं। अपने प्रेम संबंधों को विवाह में तब्दील करने का अच्छा समय है। आपके द्वारा पहले किये गए शुभ कार्यों से आपको लाभ होगा। सही दिशा में कार्य करने से आपकी आय के साधनों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। व्यवसायिक संबंधों को बढ़ाने का अच्छा समय है।
सिंह का स्वास्थ्य जीवन
कोई भी निर्णय लेने से पहले मन को एकाग्र रखें वर्ना परेशानियाँ और बढ़ सकती हैं। माँ के स्वास्थ्य की देखभाल करने की सख़्त जरूरत है। संवत की शुरुआत में आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। बच्चों की तरफ़ से मिलने वाली ख़ुशी से तनाव कम करने मे मदद मिलेगी। वैवाहिक जीवन के लिए समय थोड़ा परेशानी भरा हो सकता है। इस दौरान माता-पिता का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। कोई भी बड़ी समस्या खड़ी होने के भी आसार नहीं हैं।
सिंह का पारिवारिक जीवन
परिवारजनों के साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश करें। पारिवारिक संबंधों के लिहाज़ से समय थोड़ा कठिन है, जिसके कारण आप कई क्षेत्रों में उनसे सहयोग प्राप्त करने में नाकाम रहेंगे। संवत के मध्य में आप अपने वैवाहिक रिश्तों को सुधारने की कोशिश करेंगे। वाणी पर संयम रखने की आवश्यकता है। संवत के मध्य में अपने प्रेम-संबंधों से परिवार को अवगत कराना अच्छा रहेगा। वैवाहिक संबंधों को मधुर बनाये रखने के लिए अपने क्रोध पर काबू करने की आवश्यकता है। जीवनसाथी को सम्मान दें। मध्य संवत के बाद आपके अंदर विश्वास की कमी का भाव जागृत होगा, जिसकी वजह से आप दूसरों पर आसानी से भरोसा नहीं कर पाएँगे। घर में किसी शुभ कार्य के होने की संभावना है। साथ ही घर में कोई नया मेहमान आ सकता है। व्यवसाय संबंधी कोई भी कार्य शुरू करने का अनुकूल समय नहीं है।
सिंह का सावधानी एवं उपचार
मानिक रत्न धारण करने से लाभ होगा। रविवार या सोमवार के दिन सोने की अंगूठी में और कनिष्क उँगली में माणिक धारण करना लाभदायक होगा। सूर्य का मन्त्र जाप करना और गाय को भीगा गेहू खिलाना चाहिए