ज्योतिष में सभी ग्रह, प्रत्येक के लिये समान फल देने वाले नहीं होते है. जैसा कि सर्वविदित है कि सभी ग्रह जन्म कुण्डली में अपनी स्थिति, युति व दृ्ष्टि के अनुसार फल देते है. किसी ग्रह से प्राप्त होने वाले फलों का विश्लेषण करते समय इन सभी बातों के साथ साथ ग्रह की मित्र, शत्रु, सम क्षेत्री, उच्च स्थिति, नीच स्थिति तथा ग्रह अवस्था का भी विचार करना चाहिए.
कुल नौ ग्रहों में से शनि भी एक ग्रह है. शनि एक मन्द गति ग्रह है. इसलिये शनि से मिलने वाले फल लम्बी अवधि तक प्राप्त होते है. शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष रहते है. पर इसका अर्थ यह नहीं है कि पूरे ढाई वर्ष तक व्यक्ति को एक से ही फल प्राप्त होते है. या फिर शनि प्रभावित व्यक्ति के जीवन में एक सी ही घटनाएं घटित होती है.
विभिन्न भावों में शनि के फल
प्रथम भाव में शनि के फल
शनि अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव अर्थात शरीर भाव में स्थित होंने पर वे अपने शत्रु मंगल (कालपुरुष की कुण्डळी के अनुसार) की राशि में होते है. इस स्थिति में शनि के प्रभाव से व्यक्ति की मान- प्रतिष्ठा तथा आमदनी के क्षेत्र में कमी आती है. सरकारी नियमों के कारण भी उसे कुछ कष्टों का सामना करना पड सकता है. व्यक्ति के अपने छोटे - भाई बहनों से मधुर संबन्ध न रहने के योग बनते है. पराक्रम से किये गये कार्यो में भी असफलता न मिलने कि संभावनाएं बनती है. परन्तु दांम्पत्य जीवन में सहयोग तथा पिता की ओर से स्नेह प्राप्त होता है. आजिविका के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिये शनि का दशम भाव से दृष्टि सम्बन्ध सामान्य बाधाएं, देने के साथ साथ उन्नति भी देता है.
प्रथम भाव में शनि के फल
शनि अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव अर्थात शरीर भाव में स्थित होंने पर वे अपने शत्रु मंगल (कालपुरुष की कुण्डळी के अनुसार) की राशि में होते है. इस स्थिति में शनि के प्रभाव से व्यक्ति की मान- प्रतिष्ठा तथा आमदनी के क्षेत्र में कमी आती है. सरकारी नियमों के कारण भी उसे कुछ कष्टों का सामना करना पड सकता है. व्यक्ति के अपने छोटे - भाई बहनों से मधुर संबन्ध न रहने के योग बनते है. पराक्रम से किये गये कार्यो में भी असफलता न मिलने कि संभावनाएं बनती है. परन्तु दांम्पत्य जीवन में सहयोग तथा पिता की ओर से स्नेह प्राप्त होता है. आजिविका के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिये शनि का दशम भाव से दृष्टि सम्बन्ध सामान्य बाधाएं, देने के साथ साथ उन्नति भी देता है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुण्डली में शनि द्वितीय भाव में स्थित हों तो इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में सफलता मिलने की संम्भावनाएं बनती है. कालपुरुष कुण्डली में शनि दुसरे भाव में अपने मित्र शुक्र की राशि में होता है. मित्र राशि में शनि व्यक्ति को पुरातत्व विषयों से लाभ के संयोग दे सकता है.यहां से शनि अपनी तीसरी दृष्टि से सुख भाव, मातृभाव को देख रहे होते है. जिसके कारण व्यक्ति को माता तथा भूमि संबन्धी परेशानियां दे सकता है. यह योग व्यक्ति की आय में वृ्द्धि करता है.
अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुण्डली में शनि द्वितीय भाव में स्थित हों तो इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में सफलता मिलने की संम्भावनाएं बनती है. कालपुरुष कुण्डली में शनि दुसरे भाव में अपने मित्र शुक्र की राशि में होता है. मित्र राशि में शनि व्यक्ति को पुरातत्व विषयों से लाभ के संयोग दे सकता है.यहां से शनि अपनी तीसरी दृष्टि से सुख भाव, मातृभाव को देख रहे होते है. जिसके कारण व्यक्ति को माता तथा भूमि संबन्धी परेशानियां दे सकता है. यह योग व्यक्ति की आय में वृ्द्धि करता है.
तृतीय भाव में शनि के फल
कुण्डली के तीसरे भाव में शनि पराक्रम भाव में होकर व्यक्ति के पराक्रम में बढोतरी करते है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग हों, उस व्यक्ति को अपने भाई बहनों से सुख -सहयोग प्रात्प होता है. पिता से लाभ प्राप्त होते है. विधा व संतान के विषयों में व्ययों में बढोतरी होती है.
कुण्डली के तीसरे भाव में शनि पराक्रम भाव में होकर व्यक्ति के पराक्रम में बढोतरी करते है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग हों, उस व्यक्ति को अपने भाई बहनों से सुख -सहयोग प्रात्प होता है. पिता से लाभ प्राप्त होते है. विधा व संतान के विषयों में व्ययों में बढोतरी होती है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
माता द्वारा व भूमि संबन्धी कार्यो में असंतोषजनक सफलता प्राप्त हो सकती है. व्यक्ति को पिता से सहयोग, व्यवसाय में वृ्द्धि व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. पर इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के स्वास्थ्य में कमी रहने की संभावनाएं बनती है.
माता द्वारा व भूमि संबन्धी कार्यो में असंतोषजनक सफलता प्राप्त हो सकती है. व्यक्ति को पिता से सहयोग, व्यवसाय में वृ्द्धि व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. पर इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के स्वास्थ्य में कमी रहने की संभावनाएं बनती है.
पंचम भाव में शनि के फल
जन्म कुण्डली के इस भाव में शनि व्यक्ति को विधा-बुद्धि के क्षेत्र में सफलता देता है. पर व्यक्ति के अपनी संतान के साथ मतभेद रहने की संभावनाएं बनती है. उसे जीवन साथी के सहयोग से व्यवसाय में लाभ प्राप्त हो सकता है. योग के प्रभाव से व्यक्ति की आय अच्छी और परिवार के साथ संबन्ध भी अच्छे होते है.
जन्म कुण्डली के इस भाव में शनि व्यक्ति को विधा-बुद्धि के क्षेत्र में सफलता देता है. पर व्यक्ति के अपनी संतान के साथ मतभेद रहने की संभावनाएं बनती है. उसे जीवन साथी के सहयोग से व्यवसाय में लाभ प्राप्त हो सकता है. योग के प्रभाव से व्यक्ति की आय अच्छी और परिवार के साथ संबन्ध भी अच्छे होते है.
छठे भाव में शनि के फल
छठे भाव में शनि व्यक्ति को पिता के साथ मतभेद देते है. सरकारी कामों में अडचनें आने की संभावनाएं बनती है. इसके कारण व्यक्ति की अच्छी आमदनी, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. स्वास्थ्य के लिये यह योग अनुकुल नहीं होता है. व्यक्ति के व्यय अधिक व पडौसियों से तनाव पूर्ण संबन्ध हो सकते है. यह योग व्यक्ति की हिम्मत व प्रभाव को बनाये रखने में सहयोग करता है.
छठे भाव में शनि व्यक्ति को पिता के साथ मतभेद देते है. सरकारी कामों में अडचनें आने की संभावनाएं बनती है. इसके कारण व्यक्ति की अच्छी आमदनी, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. स्वास्थ्य के लिये यह योग अनुकुल नहीं होता है. व्यक्ति के व्यय अधिक व पडौसियों से तनाव पूर्ण संबन्ध हो सकते है. यह योग व्यक्ति की हिम्मत व प्रभाव को बनाये रखने में सहयोग करता है.
सप्तम भाव में शनि के फल
व्यवसाय में लाभ, पिता से भी लाभ, दांम्पत्य जीवन सुखमय पर सामान्य परेशानियां ग्रहस्थ जीवन में बनी रहती है. व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम, घरेलू व भूमि संबधी सुखों में कमी होती है. इस भाव से शनि व्यक्ति के भाग्य में कमी कर सकता है.
व्यवसाय में लाभ, पिता से भी लाभ, दांम्पत्य जीवन सुखमय पर सामान्य परेशानियां ग्रहस्थ जीवन में बनी रहती है. व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम, घरेलू व भूमि संबधी सुखों में कमी होती है. इस भाव से शनि व्यक्ति के भाग्य में कमी कर सकता है.
अष्टम भाव में शनि के फल
आयु उतम परन्तु आमदनी कम, पिता से लाभ, अधिक परिश्रम के बाद धन लाभ, परिवार पर व्यय, शिक्षा व संतान विषयों में बाधाएं आने की संभावनाएं रहती है. यह योग व्यक्ति के संचय में देरी कर सकता है.
आयु उतम परन्तु आमदनी कम, पिता से लाभ, अधिक परिश्रम के बाद धन लाभ, परिवार पर व्यय, शिक्षा व संतान विषयों में बाधाएं आने की संभावनाएं रहती है. यह योग व्यक्ति के संचय में देरी कर सकता है.
नवम भाव में शनि के फल
भाग्य उन्नती में आरम्भ में रुकावटें तथा बाद में वृ्द्धि हो सकती है. व्यक्ति अपने पुरुषार्थ से अपने धन, आर्थिक स्थिति और संपति में वृ्द्धि होती है. शत्रुओं पर विजय, हिम्मत व प्रभाव में वृ्द्धि होती है.
भाग्य उन्नती में आरम्भ में रुकावटें तथा बाद में वृ्द्धि हो सकती है. व्यक्ति अपने पुरुषार्थ से अपने धन, आर्थिक स्थिति और संपति में वृ्द्धि होती है. शत्रुओं पर विजय, हिम्मत व प्रभाव में वृ्द्धि होती है.
दशम भाव में शनि के फल
पिता से विशेष लाभ, व्ययों में वृ्द्धि, स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. पडौसियों से मधुर संबन्ध न रहने की सम्भावनाएं बनती है. भवन, माता, जमीन से कष्ट प्राप्त हो सकता है. व्यापार को सहयोग प्राप्त होता है. और भौतिक सुख -सुविधाओं के साधनों में भी वृ्द्धि होती है.
पिता से विशेष लाभ, व्ययों में वृ्द्धि, स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. पडौसियों से मधुर संबन्ध न रहने की सम्भावनाएं बनती है. भवन, माता, जमीन से कष्ट प्राप्त हो सकता है. व्यापार को सहयोग प्राप्त होता है. और भौतिक सुख -सुविधाओं के साधनों में भी वृ्द्धि होती है.
एकादश भाव में शनि के फल
आमदनी में वृ्द्धि, सरकारी क्षेत्रों से लाभ, रोग होने की संभावनाएं, विधा क्षेत्र मेम रुकावटें, संतान के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. पर दैनिक जीवन में परेशानियां बनी रहती है.
आमदनी में वृ्द्धि, सरकारी क्षेत्रों से लाभ, रोग होने की संभावनाएं, विधा क्षेत्र मेम रुकावटें, संतान के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. पर दैनिक जीवन में परेशानियां बनी रहती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
धन का व्यय अधिक, पिता के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. सरकारी नियमों से परेशानियां हो सकती है. परिवार के सदस्यों को कष्ट प्राप्त हो सकते है. भाग्य उन्नति में बाधाएं आती है. शत्रु पक्ष पर अपना प्रभाव बना रहता है.
धन का व्यय अधिक, पिता के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है. सरकारी नियमों से परेशानियां हो सकती है. परिवार के सदस्यों को कष्ट प्राप्त हो सकते है. भाग्य उन्नति में बाधाएं आती है. शत्रु पक्ष पर अपना प्रभाव बना रहता है.
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