Saturday 22 April 2017

क्या आपकी सफलता में सहायक होगा अच्छे गुरू का साथ -


किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा ग्रहण करने से लेकर जीवन में सफलता प्राप्त करने तक एक गुरू का होना आवष्यक है। मार्गदर्षन हेतु गुरू का साथ महत्वपूर्ण होता है। कहा जाता है कि प्रथम गुरू माता होती है जोकि संसार से परिचित कराती है उसी प्रकार जीवन में यष व उन्नति प्राप्ति हेतु गुरू का साथ जीवन संघर्ष को कम करता है। कई बार व्यक्ति को कोई अच्छा मार्गदर्षन प्राप्त नहीं होता परंतु वह व्यक्ति फिर भी सफलता प्राप्त करने में सफल होता है। किसी व्यक्ति को जीवन में सफलता हेतु गुरू का साथ मिलेगा या उसका गुरू कौन होगा, कब प्राप्त होगा तथा किस सीमा तक सफलता प्राप्ति में सहायक होगा इसका पता व्यक्ति की कुंडली से जाना जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पिति ग्रह को गुरू भी कहा जाता है वहीं जीवन में अध्यापकों, दार्षनिकों, लेखकों आदि को गुरू कहा जाता है। वेद में गुरू को समस्त देवताओं तथा ग्रहों का गुरू माना जाता है। किसी व्यक्ति की सफलता में गुरू का अहम हिस्सा होता है। सामान्यतः जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरू केंद्र या त्रिकोण का स्वामी होता है। विषेषतः मेष, कर्क और वृष्चिक लग्न की कुंडली में गुरू शुभ भावों में स्थित हो तो व्यक्ति को अच्छे गुरू का मार्गदर्षन अवष्य प्राप्त होगा। यदि गुरू पंचम या नवम में स्थित हो तो गुरू की कृपा से भाग्योदय होता है। यदि गुरू चतुर्थ या दषम भाव में हो तो क्रमषः माता-पिता ही गुरू रूप में मार्गदर्षन व सहायता देते हैं। गुरू यदि 6, 8 या 12 भाव में हो तो गुरू कृपा से प्रायः वंचित ही रहना पड़ता है।
यदि गुरू लग्न में अनुकूल हो तो व्यक्ति को स्वयं ही ज्ञान व आध्यात्म के रास्ते पर जाने को प्रेरित करता है। यदि गुरू पर पाप प्रभाव न हो तो व्यक्ति स्व-परिश्रम तथा स्व-प्रेरणा से ज्ञानार्जन करता है। दूसरों को भी मार्गदर्षन देने में सक्षम होता है। अच्छे सलाहकार भी बनने में सफल होता है। यदि गुरू का संबंध तीसरे स्थान या बुध के साथ बनें तो व्यक्ति वाणी के द्वारा मार्गदर्षन में सफल होता है वहीं यदि गुरू का संबंध मंगल के साथ बने तो व्यक्ति कौषल द्वारा मार्गदर्षक बनता है शुक्र के साथ अनुकूल संबंध बनने पर कला या आर्ट के माध्यम से मार्गदर्षक बनता है चंद्रमा के साथ संबंध बनने पर लेखन द्वारा मार्गदर्षन बनता है। अतः गुरू का उत्तम स्थिति में होना अच्छे मार्गदर्षक की प्राप्ति या मार्गदर्षन में सफलता का द्योतक होता है।

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