Friday 7 April 2017

धनु लग्न की कुंडली में शनि का प्रभाव

पराशर ऋषि के अनुसार ग्रह अपनी स्थिति, युति व दृष्टि के अनुसार फल देते है. इसके अतिरिक्त शुभ ग्रह केन्द्र भावों में व अशुभ ग्रह केन्द्र , त्रिकोण के अलावा अन्य भावों में शुभ फल देने वाले कहे गये है. कारक ग्रह अपने भाव को देखे तो भाव को बल प्राप्त होता है. भाव को भावेश देखे तब भी भाव बली होता है. ग्रह से शुभ ग्रह दृष्टि संबन्ध बनाये तो ग्रह की अशुभता में कमी व शुभता में वृ्द्धि होती है. इसके विपरीत ग्रह से कोई भी अशुभ ग्रह संबन्ध बनाये तो फल इसके विपरीत प्राप्त होते है.
ऋषि पराशर के इन नियमों को धनु लग्न की कुण्डली में लगाने का प्रयास करते है.
प्रथम भाव में शनि के फल
मकर लग्न में व्यक्ति का स्वास्थ्य मध्यम स्तर का रहने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में बढोतरी के योग बनते है. योग के फलस्वरुप व्यक्ति के सुखों में बढोतरी होती है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति के पराक्रम में कमी कर सकता है. व्यक्ति को धन संचय करने में सफलता प्राप्त होती है. आय भी संतोषजनक होने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति को अपनी माता से संबन्धों को मधुर बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. कार्यक्षेत्र के कार्यो में आलस्य का भाव दिखाने से बचना चाहिए.
तृ्तीय भाव में शनि के फल
व्यक्ति को विदेश से लाभ प्राप्त हो सकते है. इस योग के कारण व्यक्ति के व्ययों में बढोतरी हो सकती है. परिश्रम करने से ही उन्नती की संम्भावनाएं बनती है. व्यक्ति को शिक्षा क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड सकता है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
व्यक्ति को माता से मिलने वाले सुख में कमी हो सकती है. परिवार से भी कम सहयोग प्राप्ति के योग बनते है. यह योग व्यक्त के स्वास्थ्य में कमी कर सकता है. व्यक्ति को व्यापार में मध्यम स्तर की सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. व्यवसायिक क्षेत्र में मान-सम्मान व यश प्राप्त हो सकता है.
पंचम भाव में शनि के फल
शिक्षा भाव में बाधाओं के बाद भी व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है. आय का स्तर उतम रहता है. व्यक्ति को परिवारिक जनों के कारण कष्ट प्राप्त हो सकता है. संतान के सुख में भी कमी हो सकती है.
छठे भाव में शनि के फल
व्यक्ति को जीवन के अनेक क्षेत्रों में धोखे मिल सकते है. कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. कार्यक्षेत्र में पुरुषार्थ को बनाये रखना लाभकारी रहता है.
सप्तम भाव में शनि के फल
व्यक्ति का परिवारिक जीवन सुखमय रहने की संभावनाएं बनती है. व्यापार से आय प्राप्त हो सकती है. भाग्य का सहयोग कुछ देर से प्राप्त होने के योग बनते है. स्वास्थ्य संबन्धी परेशानियां भी आ सकती है.
अष्टम भाव में शनि के फल
इस भाव में शनि व्यक्ति कि आयु में बढोतरी करता है. प्रतिदिन के कार्यो में दिक्कतें हो सकती है. शिक्षा क्षेत्र में रुकावटों का सामना करना पडता है. तथा कार्यक्षेत्र में हौसला बनाये रखने से उन्नती प्राप्त हो सकती है.
नवम भाव में शनि के फल
व्यक्ति को जीवन में संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड सकता है. भाग्य का सहयोग मिलता है. पर व्यक्ति की धार्मिक आस्था में कमी रहने की संभावनाएं बनती है. आय मध्यम स्तर की होने की संभावनाएं बनती है.
दशम भाव में शनि के फल
योग के फलस्वरुप व्यक्ति को मान-सम्मान, पिता का सहयोग मिलने की संभावनाएं बनती है. व्यक्ति के व्यय भी अधिक रहते है. भूमि-भवन के विषयों में विवाद उत्पन्न हो सकते है.
एकादश भाव में शनि के फल
धनु लग्न के एकादश भाव में शनि होने पर व्यक्ति की आय में बढोतरी के योग बनते है. स्वास्थ्य के प्रभावित होने की भी संभावनाएं बनती है. परिवारिक जीवन में परेशानियां बनी रह सकती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति के व्यय अधिक हो सकते है. भाई -बहनों से पूर्ण सुख -सहयोग प्राप्त हो सकता है. व्यक्ति अपने शत्रुओं को पराजित करने में सफल होता है. तथा बुद्धि का कुश्लता से प्रयोग करने पर व्यक्ति की आय में बढोतरी होने के योग बनते है.

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