किसी भी ग्रह के फलों का विचार करने के लिये ग्रह की स्थिति, युति व दृष्टि का विश्लेषण किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में सभी नौ ग्रहों के अपने गुण व विशेषताएं है. इसलिये ग्रह अपने गुण व विशेषताओं से भी प्रभावित होते है. जैसे:- गुरु को धन, ज्ञान व संतान का कारक ग्रह कहा जाता है. गुरु प्रभावित दशा अवधि में व्यक्ति को इन सभी कारक वस्तुओं की प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. इसी प्रकार अन्य ग्रह भी अपने कारकतत्वों के अनुरुप फल देते है.
शनि को पापी व अशुभ ग्रह कहा जाता है. शनि तीसरे, छठे, दशम व एकादश भाव में शुभ फल देने वाले कहे गहे है. इसके अतिरिक्त पराशरी ज्योतिष का यह सामान्य सिद्धान्त है कि पापी ग्रह बली होकर शुभ भावों में हों, तो ओर भी अधिक कष्टकारी हो जाते है.
प्रथम भाव में शनि के फल
तुला लग्न, प्रथम भाव में शनि व्यक्ति के स्वास्थ्य को अनुकुल रखने में सहयोग करता है. इस योग की शुभता से व्यक्ति की शिक्षा में भी वृ्द्धि होने की संभावनाएं बनती है. उसे मान-सम्मान, यश, प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो सकती है. परन्तु यह योग होने पर व्यक्ति को अपनी चारित्रिक विशेषताओं को बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. व्यक्ति को व्यापार क्षेत्र में कुछ परेशानियों का सामना करना पड सकता है.
तुला लग्न, प्रथम भाव में शनि व्यक्ति के स्वास्थ्य को अनुकुल रखने में सहयोग करता है. इस योग की शुभता से व्यक्ति की शिक्षा में भी वृ्द्धि होने की संभावनाएं बनती है. उसे मान-सम्मान, यश, प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो सकती है. परन्तु यह योग होने पर व्यक्ति को अपनी चारित्रिक विशेषताओं को बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. व्यक्ति को व्यापार क्षेत्र में कुछ परेशानियों का सामना करना पड सकता है.
द्वितीय भाव में शनि के फल
यह योग व्यक्ति को अपने जन्म स्थान से दूर रख सकता है. व्यक्ति स्वभाव से दूसरे के लिये त्याग करने वाला हो सकता है. योग के शुभ फलों प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को अपनी माता के सम्मान में कमी नहीं करनी चाहिए. माता का सम्मान करने पर व्यक्ति के सुखों में वृ्द्धि होती है. मान -सम्मान, यश, प्रतिष्ठा दोनों की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यन्त कठिनाईयों का सामना करना पड सकता है. विपरीत परिस्थितियों में धैर्य बनाये रखने से कार्यक्षेत्र की बाधाओं में कमी होने की संभावनाएं बनती है.
यह योग व्यक्ति को अपने जन्म स्थान से दूर रख सकता है. व्यक्ति स्वभाव से दूसरे के लिये त्याग करने वाला हो सकता है. योग के शुभ फलों प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को अपनी माता के सम्मान में कमी नहीं करनी चाहिए. माता का सम्मान करने पर व्यक्ति के सुखों में वृ्द्धि होती है. मान -सम्मान, यश, प्रतिष्ठा दोनों की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यन्त कठिनाईयों का सामना करना पड सकता है. विपरीत परिस्थितियों में धैर्य बनाये रखने से कार्यक्षेत्र की बाधाओं में कमी होने की संभावनाएं बनती है.
तृतीय भाव में शनि के फल
अत्यन्त मेहनत करने के बाद ही सफलता प्राप्ति हो सकती है. व्यक्ति के सभी के साथ कटुतापूर्ण व्यवहार हो सकता है. पर व्यक्ति ज्ञानी व विद्वान होता है. अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोग करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी हो सकती है.
अत्यन्त मेहनत करने के बाद ही सफलता प्राप्ति हो सकती है. व्यक्ति के सभी के साथ कटुतापूर्ण व्यवहार हो सकता है. पर व्यक्ति ज्ञानी व विद्वान होता है. अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोग करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी हो सकती है.
चतुर्थ भाव में शनि के फल
शिक्षा पक्ष से यह योग व्यक्ति के लिये शुभ फल देने वाला होता है. व्यक्ति के संतान सुख में भी वृ्द्धि हो सकती है. पर उसके अपनी माता के साथ कुछ मतभेद हो सकते है. भूमि सम्बन्धी विवाद परेशान कर सकते है. इस योग का व्यक्ति अपने शत्रुओं पर अपना प्रभाव बनाये रखता है. स्वभाव में जिद्द व स्वतन्त्रता का भाव होने की संभावनाएं बनती है.
शिक्षा पक्ष से यह योग व्यक्ति के लिये शुभ फल देने वाला होता है. व्यक्ति के संतान सुख में भी वृ्द्धि हो सकती है. पर उसके अपनी माता के साथ कुछ मतभेद हो सकते है. भूमि सम्बन्धी विवाद परेशान कर सकते है. इस योग का व्यक्ति अपने शत्रुओं पर अपना प्रभाव बनाये रखता है. स्वभाव में जिद्द व स्वतन्त्रता का भाव होने की संभावनाएं बनती है.
पंचम भाव में शनि के फल
तुला लग्न कि कुण्डली में शनि पंचम भाव में होने पर व्यक्ति के ज्ञान क्षमता में वृ्द्धि करता है. उसे छुपी हुई विधाओं को जानने में रुचि हो सकती है. माता का पूर्ण सुख प्राप्त होने की भी संभावनाएं बनती है. पर ये सभी शुभ फल व्यक्ति को प्रयास करने से ही प्राप्त होते है.
तुला लग्न कि कुण्डली में शनि पंचम भाव में होने पर व्यक्ति के ज्ञान क्षमता में वृ्द्धि करता है. उसे छुपी हुई विधाओं को जानने में रुचि हो सकती है. माता का पूर्ण सुख प्राप्त होने की भी संभावनाएं बनती है. पर ये सभी शुभ फल व्यक्ति को प्रयास करने से ही प्राप्त होते है.
छठे भाव में शनि के फल
व्यक्ति को बाहरी स्थानों अर्थात विदेश स्थानों से लाभ प्राप्त हो सकते है. पर व्यक्ति के शत्रु अधिक शक्तिशाली होते है. इसलिये व्यक्ति को अपने शत्रुओं से हानि हो सकती है. व्ययों के अधिक होने के भी योग बनते है. आलस्य करना इस लग्न के व्यक्तियों के लिये लाभकारी नहीं रहता है. पुरुषार्थ करते रहने से उन्नती की रुकावटों में कमी होती है.
व्यक्ति को बाहरी स्थानों अर्थात विदेश स्थानों से लाभ प्राप्त हो सकते है. पर व्यक्ति के शत्रु अधिक शक्तिशाली होते है. इसलिये व्यक्ति को अपने शत्रुओं से हानि हो सकती है. व्ययों के अधिक होने के भी योग बनते है. आलस्य करना इस लग्न के व्यक्तियों के लिये लाभकारी नहीं रहता है. पुरुषार्थ करते रहने से उन्नती की रुकावटों में कमी होती है.
सप्तम भाव में शनि के फल
तुला लग्न के व्यक्ति की कुण्डली में जब शनि सप्तम भाव में हो, तो व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृ्द्धि होती है. व्यक्ति को शत्रु पक्ष के कार्यो से सावधान रहना चाहिए. यह योग व्यक्ति के व्यवसाय में अडचनें लेकर आ सकता है. व्यक्ति को अधिक परिश्रम करना पड सकता है. तथा मेहनत के अनुरुप सुख न मिलने की भी संभावनाएं बनती है.
तुला लग्न के व्यक्ति की कुण्डली में जब शनि सप्तम भाव में हो, तो व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृ्द्धि होती है. व्यक्ति को शत्रु पक्ष के कार्यो से सावधान रहना चाहिए. यह योग व्यक्ति के व्यवसाय में अडचनें लेकर आ सकता है. व्यक्ति को अधिक परिश्रम करना पड सकता है. तथा मेहनत के अनुरुप सुख न मिलने की भी संभावनाएं बनती है.
अष्टम भाव में शनि के फल
व्यक्ति के जीवन का अधिकतर भाग संघर्ष में व्यतीत होता है. उसे अपने भाई-बहनों का प्यार कम मिलने की संभावनाएं बनती है. समय पर मित्रों व भाई-बहनों का सहयोग न मिलें यह भी हो सकता है. व्यक्ति को विधा के क्षेत्र में भी बाधाओं का सामना करना पड सकता है. पर व्यक्ति कि शिक्षा उतम व व्यक्ति विद्वान हो सकता है. यह योग होने पर व्यक्ति को जन्म स्थान से दूर रहने पर उन्नति प्राप्ति कि संभावनाएं बनती है. उसके अपने जीवन साथी से मतभेद हो सकते है. जीवन के अनेक क्षेत्रों में कठिनाईयों को झेलते हुए व्यक्ति सफलता की सीढियां चढता है. यह योग व्यक्ति के संतान सुख में भी वृ्द्धि करता है. इस योग के व्यक्ति के स्वभाव में स्वार्थ का भाव न होने की संभावनाएं बनती है. अर्थात व्यक्ति में दया व निस्वार्थ सेवा का भाव हो सकता है.
व्यक्ति के जीवन का अधिकतर भाग संघर्ष में व्यतीत होता है. उसे अपने भाई-बहनों का प्यार कम मिलने की संभावनाएं बनती है. समय पर मित्रों व भाई-बहनों का सहयोग न मिलें यह भी हो सकता है. व्यक्ति को विधा के क्षेत्र में भी बाधाओं का सामना करना पड सकता है. पर व्यक्ति कि शिक्षा उतम व व्यक्ति विद्वान हो सकता है. यह योग होने पर व्यक्ति को जन्म स्थान से दूर रहने पर उन्नति प्राप्ति कि संभावनाएं बनती है. उसके अपने जीवन साथी से मतभेद हो सकते है. जीवन के अनेक क्षेत्रों में कठिनाईयों को झेलते हुए व्यक्ति सफलता की सीढियां चढता है. यह योग व्यक्ति के संतान सुख में भी वृ्द्धि करता है. इस योग के व्यक्ति के स्वभाव में स्वार्थ का भाव न होने की संभावनाएं बनती है. अर्थात व्यक्ति में दया व निस्वार्थ सेवा का भाव हो सकता है.
नवम भाव में शनि के फल
तुला लग्न की कुण्डली के नवम भाव में शनि होने पर व्यक्ति को अपने शत्रुओं से कष्टों का सामना करना पड सकता है. पर व्यक्ति अपनी बुद्धि के बल पर अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल हो सकता है. सफलता के लिये परिश्रम अधिक करना पड सकता है. व्यक्ति को संघर्ष के बाद सुख प्राप्त होने की सम्भावनाएं बनती है.
तुला लग्न की कुण्डली के नवम भाव में शनि होने पर व्यक्ति को अपने शत्रुओं से कष्टों का सामना करना पड सकता है. पर व्यक्ति अपनी बुद्धि के बल पर अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल हो सकता है. सफलता के लिये परिश्रम अधिक करना पड सकता है. व्यक्ति को संघर्ष के बाद सुख प्राप्त होने की सम्भावनाएं बनती है.
दशम भाव में शनि के फल
धन, मकान, माता-पिता आदि से अल्प सुख मिलने के योग बनते है. आय मध्यम स्तर की हो सकती है. व्ययों के अधिक होने की संभावनाएं बनती है. दांम्पत्य जीवन के लिये भी यह योग अनुकुल नहीं होता है. व्यक्ति की संतान होती है. पर मतभेद हो सकते है.
धन, मकान, माता-पिता आदि से अल्प सुख मिलने के योग बनते है. आय मध्यम स्तर की हो सकती है. व्ययों के अधिक होने की संभावनाएं बनती है. दांम्पत्य जीवन के लिये भी यह योग अनुकुल नहीं होता है. व्यक्ति की संतान होती है. पर मतभेद हो सकते है.
एकादश भाव में शनि के फल
कठिनाईयों के साथ आय की प्राप्ति, स्वास्थ्य ठीक रहता है. कार्यक्षेत्र में उन्नती का मार्ग रुकावटों से होकर जाता है. व्यक्ति कुछ स्वार्थी हो सकता है. यह योग व्यक्ति की चिन्ताओं में वृ्द्धि कर सकता है. तथा व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास कम होने कि संभावनाएं बनती है.
कठिनाईयों के साथ आय की प्राप्ति, स्वास्थ्य ठीक रहता है. कार्यक्षेत्र में उन्नती का मार्ग रुकावटों से होकर जाता है. व्यक्ति कुछ स्वार्थी हो सकता है. यह योग व्यक्ति की चिन्ताओं में वृ्द्धि कर सकता है. तथा व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास कम होने कि संभावनाएं बनती है.
द्वादश भाव में शनि के फल
व्यक्ति की वाणी में जोश व तेज हो सकता है. व्यय अधिक हो सकते है. तथा आय में मन्द गति से वृ्द्धि होने की सम्भावनाएं बनती है. व्यक्ति को बौद्धिक कार्यो में सहयोग कम मिलने की संभावनाएं बनती है. योग के फल्स्वरुप व्यक्ति के जीवन के संघर्ष में वृ्द्धि होती है.
व्यक्ति की वाणी में जोश व तेज हो सकता है. व्यय अधिक हो सकते है. तथा आय में मन्द गति से वृ्द्धि होने की सम्भावनाएं बनती है. व्यक्ति को बौद्धिक कार्यो में सहयोग कम मिलने की संभावनाएं बनती है. योग के फल्स्वरुप व्यक्ति के जीवन के संघर्ष में वृ्द्धि होती है.
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