मंगल अपनी उच्च राशि, मूल त्रिकोण अथवा स्वराशि में होने पर रूचक योग का निर्माण करता है.ज्योतिषशास्त्र में पंच महापुरूष नामक योग के अन्तर्गत इस योग का उल्लेख किया गया है.
मेष लग्न में रूचक योग -
मेष लग्न का स्वामी मंगल कुण्डली में दशम भाव में उच्च राशि मकर में स्थित होता है तो रूचक योग बनता है.यह योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है उसमें आत्मबल और आत्मविश्वास होता है.इन्हें रक्षा विभाग, अस्त्र शास्त्र के कारोबार, सेना, पुलिस एवं कांच के व्यापार में उत्तमता प्राप्त होती है.इस योग के कारण माता एवं पत्नी को कष्ट का सामना करना होता है. कर्क लग्न की कुण्डली में सप्तम एवं दशम भाव में यह योग बनता है.इस लग्न वालों की कुण्डली में यह उत्तम राज योग का निर्माण करता है.इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को राजनीति एवं कारोबार में अच्छी सफलता मिलती है.इस योग के प्रभाव से उत्तम संतान सुख प्राप्त होता है.
मेष लग्न का स्वामी मंगल कुण्डली में दशम भाव में उच्च राशि मकर में स्थित होता है तो रूचक योग बनता है.यह योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है उसमें आत्मबल और आत्मविश्वास होता है.इन्हें रक्षा विभाग, अस्त्र शास्त्र के कारोबार, सेना, पुलिस एवं कांच के व्यापार में उत्तमता प्राप्त होती है.इस योग के कारण माता एवं पत्नी को कष्ट का सामना करना होता है. कर्क लग्न की कुण्डली में सप्तम एवं दशम भाव में यह योग बनता है.इस लग्न वालों की कुण्डली में यह उत्तम राज योग का निर्माण करता है.इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को राजनीति एवं कारोबार में अच्छी सफलता मिलती है.इस योग के प्रभाव से उत्तम संतान सुख प्राप्त होता है.
सिंह लग्न में रूचक योग - ...............
सिंह लग्न की कुण्डली में मंगल चतुर्थ भाव में वृश्चिक राशि में स्थित होकर रूचक योग का निर्माण करता है.इस लग्न में मंगल योग कारक होता है.इस योग के निर्मित होने से यह भाग्य को प्रबल बनता है.व्यक्ति को यश और मान सम्मान प्रदान करता है.व्यक्ति भूमि और भवन का स्वामी होता है.गृहस्थ जीवन में जीवनसाथी से मतभेद होता है.
सिंह लग्न की कुण्डली में मंगल चतुर्थ भाव में वृश्चिक राशि में स्थित होकर रूचक योग का निर्माण करता है.इस लग्न में मंगल योग कारक होता है.इस योग के निर्मित होने से यह भाग्य को प्रबल बनता है.व्यक्ति को यश और मान सम्मान प्रदान करता है.व्यक्ति भूमि और भवन का स्वामी होता है.गृहस्थ जीवन में जीवनसाथी से मतभेद होता है.
कुम्भ लग्न में रूचक योग -
कुम्भ लग्न की कुण्डली में मंगल दशमेश होता है.इस लग्न में मंगल स्वगृही होने पर इस योग का निर्माण करता है.इस योग के प्रभाव से व्यक्ति परिश्रमी और स्वनिर्मित धनी होता है.भाईयों से इन्हें विशेष सहयोग नहीं मिलता है.व्यवसाय में इन्हें विशेष सफलता मिलती हैं.इनमें नेतृत्व का विशेष गुण होता है.
कुम्भ लग्न की कुण्डली में मंगल दशमेश होता है.इस लग्न में मंगल स्वगृही होने पर इस योग का निर्माण करता है.इस योग के प्रभाव से व्यक्ति परिश्रमी और स्वनिर्मित धनी होता है.भाईयों से इन्हें विशेष सहयोग नहीं मिलता है.व्यवसाय में इन्हें विशेष सफलता मिलती हैं.इनमें नेतृत्व का विशेष गुण होता है.
वृष लग्न में रूचक योग -
मंगल वृष लग्न की कुण्डली में सप्तम भाव में रूचक योग का निर्माण करता है.इस योग के कारण व्यक्ति अत्यधिक साहसी और आत्मविश्वासी होता है.अपने साहस और परक्रम के कारण दूसरों पर वर्चस्व बनाये रखने की कोशिश करता है.मंगल सप्तम में स्थित होने से मंगलिक दोष भी बनता है जिसके कारण वैवाहिक जीवन का सुख प्रभावित होता है.जीवनसाथी से वैमनस्य होता है.यह जीवनसाथी को रोग और कष्ट देता है.यह योग सेना एवं पुलिस विभाग में उन्नति प्रदान करता है.
मंगल वृष लग्न की कुण्डली में सप्तम भाव में रूचक योग का निर्माण करता है.इस योग के कारण व्यक्ति अत्यधिक साहसी और आत्मविश्वासी होता है.अपने साहस और परक्रम के कारण दूसरों पर वर्चस्व बनाये रखने की कोशिश करता है.मंगल सप्तम में स्थित होने से मंगलिक दोष भी बनता है जिसके कारण वैवाहिक जीवन का सुख प्रभावित होता है.जीवनसाथी से वैमनस्य होता है.यह जीवनसाथी को रोग और कष्ट देता है.यह योग सेना एवं पुलिस विभाग में उन्नति प्रदान करता है.
तुला लग्न में रूचक योग -
मंगल तुला लग्न की कुण्डली में चतुर्थ अथवा सप्तम भाव में स्थित होकर रूचक योग बनाता है.इस लग्न में रूचक योग होने पर व्यक्ति परिश्रमी एवं कर्मठ होता है.अपनी मेहनत से भूमि, भवन एवं वाहन सुख प्राप्त करता है.इस योग के शुभ प्रभाव से धन की स्थिति अच्छी रहती है.इस लग्न में रूचक योग मंगलिक दोष भी निर्मित करता है जिससे विवाह में विलम्ब होने की संभावन रहती है.जीवनसाथी से मनमुटाव रहता है.
मंगल तुला लग्न की कुण्डली में चतुर्थ अथवा सप्तम भाव में स्थित होकर रूचक योग बनाता है.इस लग्न में रूचक योग होने पर व्यक्ति परिश्रमी एवं कर्मठ होता है.अपनी मेहनत से भूमि, भवन एवं वाहन सुख प्राप्त करता है.इस योग के शुभ प्रभाव से धन की स्थिति अच्छी रहती है.इस लग्न में रूचक योग मंगलिक दोष भी निर्मित करता है जिससे विवाह में विलम्ब होने की संभावन रहती है.जीवनसाथी से मनमुटाव रहता है.
वृश्चिक लग्न में रूचक योग -
वृश्चिक लग्न की कुण्डली में लग्न में रूचक योग निर्मित होता है.इसके प्रभाव से व्यक्ति साहसी, मेहनती और शारीरिक तौर पर हृष्ट पुष्ट होता है.इन्हें रक्त सम्बन्धी दोष की संभावना रहती है.जीवनसाथी को कष्ट और रोग की संभावना रहती है.लग्नस्थ मंगल वैवाहिक जीवन के सुख में न्यूनता लता है.साहसिक कार्यों में सफलता प्रदान करता है.स्वर्ण से सम्बन्धित कारोबार विशेष लाभप्रद होता है.
वृश्चिक लग्न की कुण्डली में लग्न में रूचक योग निर्मित होता है.इसके प्रभाव से व्यक्ति साहसी, मेहनती और शारीरिक तौर पर हृष्ट पुष्ट होता है.इन्हें रक्त सम्बन्धी दोष की संभावना रहती है.जीवनसाथी को कष्ट और रोग की संभावना रहती है.लग्नस्थ मंगल वैवाहिक जीवन के सुख में न्यूनता लता है.साहसिक कार्यों में सफलता प्रदान करता है.स्वर्ण से सम्बन्धित कारोबार विशेष लाभप्रद होता है.
मकर लग्न में रूचक योग -
मकर लग्न की कुण्डली में मंगल लग्न अथवा चतुर्थ भाव में इस योग का निर्माण करता है.दोनों ही स्थिति में मंगलिक दोष बनता है.कुण्डली में यह योग उपस्थित होने से भौतिक सुख प्राप्त होता है.भूमि एवं वाहन का स्वामित्व प्राप्त होता है.माता से लाभ मिलता है.
मकर लग्न की कुण्डली में मंगल लग्न अथवा चतुर्थ भाव में इस योग का निर्माण करता है.दोनों ही स्थिति में मंगलिक दोष बनता है.कुण्डली में यह योग उपस्थित होने से भौतिक सुख प्राप्त होता है.भूमि एवं वाहन का स्वामित्व प्राप्त होता है.माता से लाभ मिलता है.
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