Tuesday 23 May 2017

तनाव से खराब होते रिश्ते : ज्योतिष्य उपाय

आज की प्रतिद्धंदिता की स्थिति तथा लगातार हर क्षेत्र में परेषानी, कार्य का दबाव, समय की कमी, कुंठाओं और भौतिकसंपन्नता की चाहत के कारण व्यवहार का चिड़चिड़ापन तथा क्रोध ज्यादातर स्थिति में नजदीकी रिष्तों को प्रभावित करता है। जब व्यक्ति तनाव में होता है तो वह अपने सबसे नजदीकी रिष्तों के प्रति असहिष्णुता का व्यवहार कर बैठता है जबकि साथी को उसके तनाव के कारण की अज्ञानता उस व्यवहार की सच्चाई से अनभिज्ञता के कारण रिष्तों में भी तनाव देती हैं ऐसी स्थिति में रिष्तों में भी दूरी बढ़ने से उस जातक का तनाव लगातार चरम पर होता है और रिष्तें दूर से दूर होते जाते हैं और कई बार इसी तनाव के कारण दोस्ती का टूटना, जीवनसाथी से तलाक की नौबत तक आ जाती है। इस तनाव को समझने के लिए जातक के तृतीयेष, सप्तम, पंचम तथा एकादष भाव या भावेष संबंध किसी भी प्रकार से षष्ठम, अष्टम या द्वादष स्थान या राहु के साथ लग्न में या तीसरे स्थान में शनि होने से जातक का व्यवहार कठोर हो जाता है, जिससे उसके रिष्ते प्रभावित होते हैं और इस तनाव का असर सबसे ज्यादा उसके रिष्तों के दरार के रूप में दिखाई देती है। तनाव के कारण इस बढ़ती दूरी को कम करने हेतु शनिवार का व्रत, काली वस्तुओं के दान के साथ मंगलगौरी की पूजा करने से तनाव कम करने के साथ रिष्तों में आपसी सामंजस्य उत्पन्न होती है।

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