Wednesday 31 May 2017

क्यों होता है रोजगार का अभाव - ज्योतिष से जाने शिक्षा गुणवत्ता की कमी

किसी मानव के जन्म से ही उसकी शिक्षा का प्रारंभ हो जाता है, जीवित रहने के लिए भौतिक साधन चाहिए होता है और यह शिक्षा के द्वारा ही संभव हो सकता है। जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न ही रोटी अर्थात रोजगार है, तो क्या हम ऐसी शिक्षा व्यवस्था को श्रेष्ठ कह सकते हैं जो इस पहले मोर्चे पर ही असफल साबित हो जाए। इस आधार और कसौटी पर तौलें तो भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली दोयम दर्जे की सिद्ध होती है। वर्तमान डिग्री प्राप्त करने से ईतर स्वावलंबन परक शिक्षा की शुरूआत होने की दरकार है। कालपुरुष की कुंडली में शनि कर्म और आय का स्वामी होता है, वहीं तृतीयेश और पंचमेश शिक्षा अर्थात् बुध और सूर्य, भाग्य से ही सब कुछ मिलता है अतः गुरू इस प्रकार इस समय पंचम में राहु होने के कारण कालपुरूष की कुंडली में बच्चों का व्यवहार राहु से प्रेरित अर्थात् मोबाईल, इंटरनेट इत्यादि के कारण शिक्षा एवं अनुशासन में कमी देखी जा रही है अतः बच्चों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए राहु के उपाय कराना चाहिए। अतः शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ नया करते हुये ऐसी शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए जिससे डिग्री या ज्ञान के साथ-साथ समर्थवान बन सके...व्यवहारिक तथा आत्मनिर्भरता परक शिक्षा एवं बेरोजगारी को कम करने हेतु ना सिर्फ तकनीकी या स्वरोजगार की योजना अपितु ज्योतिषीय गणनाओं का सहारा लेते हुए एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था को आधार बनाते हुए रोटी तथा रोजगार मूलक शिक्षा को बढावा दिया जाए तो भविष्य में आने वाली पीढियों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वालंब तो प्राप्त होगा ही उसके साथ मंहगाई तथा भ्रष्टाचार जैसे राक्षसों से भी निजात पाया जा सकता है।

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