भवन संबंधी उपाय - गृह प्रवेश से पहले तुलसी का पौधा, अपने इष्ट देवता की तस्वीर, पानी से भरा कलश एवं गाय को प्रवेश कराना अति शुभकारी होता है। इससे घर में सुख-शांति आती है और संपन्नता बढ़ती है। - भवन की नींव भरते समय शहद से भरा बरतन दबा दें। इससे जातक आजीवन खतरों से मुक्त रहेगा। - जन्मकुंडली में शनि अशुभ हो तो गृह निर्माण करने से पूर्व गोदान करें। - शनि जन्मकुंडली के चैथे घर में स्थित हो तो जातक को पैतृक भूमि पर मकान नहीं बनाना चाहिए। यदि जातक ऐसा करता है तो परिवार के सदस्यों को जिदंगीभर कष्ट उठाने पड़ते हैं। पुत्र रोगी रहता है। तंदुरूस्त होने की हालत में किसी झूठे मुकदमे में फंसकर कारावास की सजा उसे भुगतनी पड़ती है। Û शनि जन्मकुंडली के छठे घर में हो तो भवन निर्माण के पूर्व उस भूमि पर हवनादि करें और जमीन को शुद्ध कर लें। इससे केतु का प्रभाव मंदा पड़ जाता है। - जन्मकुंडली के ग्यारहवें घर में शनि हो तो मुख्य द्वार की चैखट बनाने से पूर्व उसके नीचे चंदन दबा दें। - एक बार भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ हो जाए तो बीच में उसे रोकें नहीं अन्यथा अधूरे मकान में राहु का वास होगा। - भवन निर्माण शुरू कराने से पूर्व भवन निर्माण करने वालों (कारीगरों) को मिष्टान्न खिलाएं। - भवन निर्माण से पूर्व मकान की जमीन पर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। - भवन निर्माण करते समय जमीन में से या जमीन पर चींटियां निकलें तो उन चींटियों को शक्कर एवं आटा मिलाकर खिलाएं। - भवन के मालिक की जन्मकुंडली में पांचवें घर में केतु हो तो भवन निर्माण से पहले केतु का दान अवश्य दें। संतान संबंधी उपाय - संतान प्राप्ति के लिए ‘संतान गोपाल स्तोत्रम’ का पाठ करें। गणेशजी की आराधना करें। - संतान नहीं हो रही हो तो अपने भोजन का आधा हिस्सा गाय को खिलाएं तथा संतान को रोगमुक्त करने के लिए भी गाय को भोजन खिलाएं। जातक पीपल के पेड़ का जलसिंचन करें। - संतान को दीर्घायु बनाने के लिए पिता को बृहस्पतिवार का व्रत करना चाहिए। - अपनी पत्नी को उचित सम्मान दें। रोग मुक्ति के लिए - रोग मुक्ति के लिए अपने भोजन का चैथाई हिस्सा गाय को और चैथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं। - घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चंदन मिलाकर चटाएं। - पुत्र रोगी हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं। - केतु के अनिष्ट प्रभाव के कारण रोग हो जाए तो तंदूर की मीठी रोटी कौए को खिलाएं। - पत्नी बीमार हो तो गोदान करें। - पुत्री बीमार हो तो पीपल के पेड़ की लकड़ी उसके सिरहाने रखें। - मंदिर में गुप्त दान करें। - रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटें। - सिरदर्द होता हो तो चंदन और केसर का तिलक रोगी के सिर पर लगाएं। आम उपाय - हमेशा सच बोलें। कोर्ट या कचहरी में झूठी गवाही न दें। - दूसरों की निंदा न करें। खुदगर्ज न बनें। - माता-पिता का यथोचित आदर करें और उनके आज्ञाकारी रहें। - तीर्थयात्रा अवश्य करें। - गाय के बछड़े को स्नेह से पालें। - पूरियां घी में तलकर गरीबों को खिलाएं। - शनि विपरीत चल रहा हो तो सफेद वस्त्र में काले तिल बांधकर पानी मंे प्रवाहित करें। तिल-गुड़ की बनी रेवड़ियां बांटें। -- सोते समय सिरहाने दूध से भरा बर्तन रखें। प्रातः उठकर बिना किसी से कुछ बोले वह दूध बरगद के पेड़ में डालें। दान संबंधी उपाय - नीच ग्रह की वस्तुओं का दान कभी भी न लें। यदि ग्रह उच्च का हो तो ग्रह संबंधी दान न करें। - चंद्र अगर जन्मकुंडली के छठे घर में हो तो ऐसे जातक को पानी की प्याऊ लगाना, धर्मशाला का निर्माण कराना, कुएं खुदवाना, गरीबों को भोजन खिलाना, गोदान करना आदि सभी जनकल्याण के कार्य कतई नहीं करने चाहिए। ऐसा करने से वंश वृद्धि रुक जाती है। - जन्मकुंडली के आठवें घर में शनि होने पर भोजन, धन, वस्त्र, गाय आदि का दान नहीं करना चाहिए। जन्मकुंडली के पांचवें घर में बृहस्पति बैठा हो तो धन का दान न करें। जन्मकुंडली के नौवें घर में बृहस्पति बैठा हो तो मंदिर या किसी भी धार्मिक कार्य के लिए दान नहीं करना चाहिए। - जन्मकुंडली के नौवें घर में शुक्र बैठा हो तो धन या अनाज से संबंधित दान नहीं करना चाहिए। - जन्मकुंडली के बारहवें घर में चंद्र बैठा हो तो पंडित या अन्य किसी व्यक्ति से कोई भी धार्मिक कार्य संपन्न नहीं कराना चाहिए और न ही दान देना चाहिए। - जन्मकुंडली के सातवें घर में बृहस्पति बैठा हो तो पुरोहित को धन या अनाज दान में न दें। - जन्मकुंडली के छठे घर में शनि अशुभ हो तो निकट संबंधी के विवाह में शामिल न हों या उसे विवाह के लिए आर्थिक सहयोग न दें। - किसी कन्या के विवाह के लिए आप स्वयं धन खर्च करें। अपने पुत्र या पत्नी से न करवाएं। - जन्मकुंडली के दूसरे घर में राहु हो तो तेल या चिकनाईवाले पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए। - जन्मकुंडली में शुक्र चैथे घर में बैठा हो और साथ में राहु भी हो तो सोना दान में नहीं देना चाहिए। जन्मकुंडली के आठवें घर में राहु सूर्य के साथ बैठा हो तो कन्या के विवाह के अवसर पर ब्राह्मण को दान न दें। - शनि अशुभ चल रहा हो तो चांदी का दान न करें। - जन्मकुंडली के सातवें घर में केतु बैठा हो तो लोहा या लोहे की वस्तु का दान न करें। - जन्मकुंडली के चैथे घर में मंगल बैठा हुआ हो तो वस्त्र दान कभी नहीं करना चाहिए। ग्रह-युति की अनिष्टता दूर करने के उपाय - सूर्य-चंद्र जन्मकुंडली के ग्यारहवें घर में बैठे हों तो शराब और कबाब का सेवन कभी न करें। - सूर्य-शुक्र की युति जन्मकुंडली के दसवें घर में हो तो चैथे घर में बैठे ग्रह शुभ प्रभाव देंगे। - सूर्य-बुध की युति जन्मकुंडली के चैथे या सातवें घर में हो तो रात को अगर व्यापार या कारोबार किया जाए तो उसमें लाभ मिलेगा। - सूर्य-बुध की युति जन्मकुंडली के ग्यारहवें घर में हो तो अपने घर में कोई किरायेदार न रखें। - सूर्य-केतु की युति जन्मकुंडली के किसी भी घर में हो तो प्रातःकाल गाय का कच्चा दूध सूर्य को चढ़ाएं। - सूर्य-बुध की युति जन्मकुंडली के सातवें घर में हो तो मिट्टी के बरतन में शहद और शक्कर भरकर उस बरतन को ढक्कन लगाकर निर्जन स्थान में रख आएं। - घर के मुख्य द्वार पर गोमूत्र छिड़कें। इससे केतु, बुध एवं शुक्र का दुष्प्रभाव दूर हो जाता है। प्रतिदिन गोमूत्र आंगन में छिड़कें तो घर पर कभी भी विपत्ति नहीं आएगी। - चंद्र-शुक्र की युति जन्मकुंडली के किसी भी स्थान में होने पर घर में कुएं न खुदवाएं या नल न लगवाएं। किसी कारणवश ऐसा करना लाजमी हो तो पहले शुक्र का उपाय करें और बाद में घर में नल लगवाएं। - पति-पत्नी दोनों लाल रंग के रूमाल का इस्तेमाल करें तो स्वास्थ्य ठीक रहता है। - जन्मकुंडली में बुध नीच का हो तो मंगल या केतु की सहायता लें। - जन्मकुंडली में चंद्र-शनि की युति हो तो शनि या केतु का उपाय करें। - चंद्र ग्रहण के समय में केतु की चीजें पानी में प्रवाहित करें। - सांप को दूध पिलाएं। - जन्मकुंडली में बैठा चंद्र अशुभ या मंदा हो तो सांप को दूध कतई न पिलाएं। - शनि-चंद्र का अशुभ प्रभाव जन्मकुंडली में हो तो सूर्य की कृपा प्राप्त करने के लिए सूर्य की चीजें दान करें। - शनि एवं बृहस्पति की युति हो तो गाय का बछड़ा दान में दें। चंद्र-केतु की युति हो तो बुध या केतु की चीजों का दान ब्राह्मण को दें। - केतु का अशुभ प्रभाव मिटाने के लिए अनाज का दान दें। - विद्या प्राप्ति में अवरोध उत्पन्न होता हो तो राहु और केतु की चीजें धर्मशाला में दान दें। - केतु को प्रसन्न करने के लिए 43 दिनों तक फलों का दान करें। - मंगल-बुध की अशुभ युति जन्मकुंडली में हो तो मंगल की कृपा के लिए घर में होम-हवनादि संपन्न कराएं। - मंगल-शनि की युति हो तो मंगल-शनि के उपाय करें। - मंगल और राहु की युति हो तो राहु की चीजें मिट्टी के बरतन में भरकर जमीन के नीचे दबाएं। - चूल्हे के पास बैठकर भोजन न करें। मंगल का उपाय करें। - जन्मकुंडली में बुध-शनि की युति हो तो मांस-मदिरा का सेवन कभी न करें। नारी सम्मान की रक्षा करें। - किसी के साथ एहसान फरामोशी न करें। - बुध एवं राहु की युति हो तो चांदी की 5 ठोस गोलियां बहते पानी में प्रवाहित करें। - राहु एवं सूर्य की युति हो तो नीम के पेड़ की एक टहनी लाकर दाएं तरफ के दरवाजे पर बांध दें। -4 हरी मिर्च, एक नींबू काले धागे में पिरोकर घर या दुकान की दहलीज पर बांध दें। - बृहस्पति-सूर्य की युति हो तो पिता की सेवा करें। उनकी आज्ञा का पालन करें। - चंद्र-बृहस्पति की युति हो तो शुद्ध या पुराना सोना घर के अंधेरे कोने में दबा दें। - बृहस्पति-चंद्र की युति हो तो चांदी के बर्तन दान करें। - बुध-शुक्र की युति हो तो गद्दे पर न सोएं। - बुध-बृहस्पति की युति हो तो कन्याओं के कान-नाक छिदवाएं। - बृहस्पति-राहु की युति हो तो केतु के उपायों से केतु को प्रसन्न करें। - बृहस्पति -केतु की युति हो तो नींबू एवं रेवड़ियां धर्म स्थान में दान दें। - शुक्र-शनि की युति हो तो मंदिर में नारियल चढ़ाएं। शुक्र-बुध की युति हो तो चंद्र के उपाय करें। - शनि-राहु की युति होने पर देवी के मंदिर में नारियल चढ़ाएं। - शनि-राहु की युति हो तो बादाम और नारियल बहते पानी में बहाएं और कन्याओं को मिठाई बांटें। - राहु-केतु की युति जब वर्षफल में हो तो तब चांदी का पतरा जेब में रखें। -जन्मकुंडली के चैथे घर में राहु-केतु की युति वर्षफल में हो तब बृहस्पति का उपाय करें। - चंद्र-राहु की युति हो तो मां दुर्गा की उपासना करें। - सूर्य-शुक्र की युति जन्मकुंडली में हो तो कानों में सोने की बालियां पहनें। - सूर्य-बुध की युति होने पर कुलदेवता की उपासना करें। -चंद्र-मंगल की युति हो तो मंगल की चीजों का दान करें। - चंद्र-राहु की युति हो तो दूध में सूजी (रवा) एवं शहद मिलाकर खीर बनाएं, कुमारी कन्याओं को खिलाएं और स्वयं भी खाएं। - बुध-शनि की युति हो तो गद्दे पर न सोएं। मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। काली गाय को पालें। - मंगल-बुध की युति होने पर काले चने उबालकर बांटें। बृहस्पति, चंद्र व केतु के उपाय करें। - चंद्र-शुक्र या चंद्र-मंगल या मंगल-शुक्र की युति हो तो कन्यादान करें। - वर्षफल में राहु-केतु इकट्ठे हो जाएं तो पांच ब्राह्मणों को दान दें। - बृहस्पति-सूर्य की युति हो तो, पीपल के वृक्ष को पानी से सींचें। संध्याकाल में शुद्ध घी का दीपक पेड़ के नीचे प्रज्ज्वलित करें। - शुक्र-मंगल की युति हो तो मुख्य द्वार के नीचे चांदी की कील ठोकें। - पांच ग्रहों की युति होने पर शनि का दान करें और ब्राह्मण को घी में बना पक्का भोजन खिलाएं। विभिन्न ग्रहों के दुष्परिणाम को कम करने के लिए कुछ सामान्य उपाय व परहेज सूर्य रिश्वतखोरी न करें। अपना चरित्र उत्तम रखें। पिता का सम्मान करें। विष्णु पूजा करें। गेहूं, गुड़ और तांबे का दान करें। तांबे का पैसा बहते हुए पानी में बहाएं। चंद्र माता व दादी का सम्मान करें। गंगा स्नान करें। शिव पूजा करें। चांदी, चावल और दूध का दान करें। मंगल भाई, मित्र व संबंधी के साथ विश्वासघात न करें। शुद्ध चांदी शरीर पर धारण करें। मसूर की दाल बहते हुए पानी में बहाएं। हनुमानजी की पूजा करें। बुध बहन, बेटी, बुआ व मौसी से आशीर्वाद प्राप्त करें। सुराख वाले तांबे का पैसा प्रवाहित करें। मां दुर्गा की पूजा करें। गुरु देवता, ब्राह्मण, पिता व गुरु की पूजा करें। धार्मिक पुस्तकें दान करें। ब्रह्माजी की उपासना करें। शुक्र अपनी स्त्री का सम्मान करें। गाय की सेवा करें। लक्ष्मी की उपासना करें। गोदान करें। शनि मीट और शराब का सेवन न करें। चाचा व ताऊ का सम्मान करें। नौकरों को प्रसन्न रखें। भैरो जी की उपासना करें। राहु ससुराल से संबंध न बिगाड़ें। बिजली का सामान घर में ठीक से रखें। सरस्वती का पूजन करें। केतु काला सफेद कुत्ता घर में पालें। गणेश जी की आराधना करें। कुत्ते को न मारें। अकेले अनदेखे ग्रह का प्रभाव विभिन्न ग्रहों के दुष्परिणाम को कम करने के लिए कुछ सामान्य उपाय व परहेज जब कोई ग्रह कुंडली में किसी भी भाव में अकेला बैठा हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो तो उसके फल में विशेषता आ जाती है जो कि निम्न प्रकार की होगी- सूर्य अकेला सूर्य किसी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक अपने बूते पर तरक्की करता है और धनवान बनता है। चंद्र अकेला चंद्र किसी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो ऐसा जातक अपने कुल की रक्षा करने वाला, दयालु व नम्र स्वभाव का होता है। किसी भी विपरीत परिस्थिति में अपने आप को बचाने की अद्भुत शक्ति उसमें होती है। मंगल अकेला मंगल किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक बहादुर तो बनता है पर वह स्वतंत्र नहीं रहता। उसे अपनी शक्तियों का अहसास नहीं रहता। बुध अकेला बुध किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक लोभी, लालची रहता है। देश विदेश में आवारा सा घूमता है। गुरु अकेला गुरु किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक के जीवन पर कोई भी अशुभ प्रभाव नहीं डालता। शुक्र अकेला शुक्र किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक पर कोई भी अशुभ प्रभाव नहीं डालता। शनि अकेला शनि किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो सामान्य फल देता है। राहु अकेला राहु किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक किसी की परवाह नहीं करता। जातक की रक्षा वह अवश्य करता है किंतु आर्थिक दृष्टि से सामान्य ही रखता है। केतु केतु अकेला किसी भी भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो तो जातक को हर तरह से ताकतवर बनाता है। वह जातक को आर्थिक दृष्टि से सामान्य ही रखता है।
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