Wednesday 31 May 2017

शनि की पूजा से पायें आय में वृद्धि और कर्ज से मुक्ति

विरक्त और निर्मोही व्यक्ति को छोड़ के ऐसा कोई व्यक्ति नही है. जिनको धन-प्राप्ति की आकांक्षा ना हो. सब लोग उनके लिए सतत प्रयत्नशील होते है. फिर भी हम देखते है की कठिन से कठिन मेहनत करने के बावजूद भी यथा-योग्य धन नहीं मिलता. सिर्फ जीवन की आवश्यकता अनुसार मिलता है या फिर आवश्यकता के हिसाब से नहीं मिलता. और जब आवश्यकता से कम मिलता है तो हमें उसके लिए कर्ज लेना पड़ता है। जन्म-कुंडली में दों भाव (स्थान) धन-विषयक है. (१) द्वितीय - धन स्थान (२) एकादशम - लाभ। ग्यारवें भाव को आय का भाव माना गया है। कर्ज लेना आज के युग में बुरा या कष्टकारी नहीं है किंतु कई बार योजना या परिस्थिति के अनुकूल ना होने से यही कर्ज दुख, परेषानी तथा अपयष का कारण भी बनता हैं। ज्योतिष में अर्थ प्राप्ति और अर्थ संचय का ज्ञान जन्म पत्रिका के प्रथम, द्वितीय, पंचम, नवम, दषम और एकादष भाव से होता है। प्रथम भाव से जातक के संपूर्ण व्यक्तित्व व स्वास्थ्य का आकलन करते हैं। द्वितीय भाव से जातक के संचय धन, पंचम से धन प्राप्ति हेतु आचरण, नवम से धन प्राप्ति हेतु भाग्य, दषम से व्यवसाय तथा एकादष भाव से लाभ का ज्ञान होता है। इन स्थानों के स्वामी ग्रह के अनुकूल या प्रतिकूल स्थिति से धन की स्थिति का आकलन किया जा सकता है साथ ही इन स्थानों पर स्थित ग्रह की अनुकूलता या प्रतिकूलता का प्रभाव भी जातक के धन संबंधी विषय पर पड़ता है। चूॅकि छठवे स्थान से ऋण देखा जाता है अतः उपरोक्त स्थानों से संबंधित ग्रह का संबंध किसी भी प्रकार से छठवे स्थान से बनना उसके ऋण या कर्ज की स्थिति को प्रदर्षित करता है। यदि जातक की कुंडली में छठा भाव या छठवे भाव का स्वामी अस्त, नीच, शत्रुराषि या पीड़ित या कमजोर हो तो व्यक्ति कर्ज से मुक्त रहता है इसके विपरीत कर्ज लेने से लेकर पटने की दषा, ग्रहों की स्थिति तथा संबंध जीवन को सुखमय या दुखमय बनाती हैं। कई बार छठवे स्थान का स्वामी अनुकूल होने पर कर्ज से समृद्धि का भी कारक होता है। ज्योतिषीय मान्यता है कि कर्ज से संबंधित ग्रहों या स्वामियों का राहु से संबंध या राहु का अष्टम या भाग्य स्थान में होने भी आकस्मिक हानि दर्षाती है अतः कर्ज लेकर हानि उठाकर दोहरे कष्ट हो सकते हैं। यदि कोई जातक कर्ज से बहुत परेषान है साथ ही कर्ज किसी भी विधि से उतर ना रहा हो तो जातक को कर्ज मुक्ति हेतु निम्न उपाय करने से लाभ होगा। निम्न मंत्र पढ़े
‘‘ सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वितः मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संषयः’’
इसके साथ ही शनिवार का व्रत, काली वस्तुओं विशेषकर तिल का दान और शनि मंत्र अथवा कर्ज मुक्ति का मंत्र जाप करना चाहिए।

क्यों होता है रोजगार का अभाव - ज्योतिष से जाने शिक्षा गुणवत्ता की कमी

किसी मानव के जन्म से ही उसकी शिक्षा का प्रारंभ हो जाता है, जीवित रहने के लिए भौतिक साधन चाहिए होता है और यह शिक्षा के द्वारा ही संभव हो सकता है। जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न ही रोटी अर्थात रोजगार है, तो क्या हम ऐसी शिक्षा व्यवस्था को श्रेष्ठ कह सकते हैं जो इस पहले मोर्चे पर ही असफल साबित हो जाए। इस आधार और कसौटी पर तौलें तो भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली दोयम दर्जे की सिद्ध होती है। वर्तमान डिग्री प्राप्त करने से ईतर स्वावलंबन परक शिक्षा की शुरूआत होने की दरकार है। कालपुरुष की कुंडली में शनि कर्म और आय का स्वामी होता है, वहीं तृतीयेश और पंचमेश शिक्षा अर्थात् बुध और सूर्य, भाग्य से ही सब कुछ मिलता है अतः गुरू इस प्रकार इस समय पंचम में राहु होने के कारण कालपुरूष की कुंडली में बच्चों का व्यवहार राहु से प्रेरित अर्थात् मोबाईल, इंटरनेट इत्यादि के कारण शिक्षा एवं अनुशासन में कमी देखी जा रही है अतः बच्चों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए राहु के उपाय कराना चाहिए। अतः शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ नया करते हुये ऐसी शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए जिससे डिग्री या ज्ञान के साथ-साथ समर्थवान बन सके...व्यवहारिक तथा आत्मनिर्भरता परक शिक्षा एवं बेरोजगारी को कम करने हेतु ना सिर्फ तकनीकी या स्वरोजगार की योजना अपितु ज्योतिषीय गणनाओं का सहारा लेते हुए एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था को आधार बनाते हुए रोटी तथा रोजगार मूलक शिक्षा को बढावा दिया जाए तो भविष्य में आने वाली पीढियों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वालंब तो प्राप्त होगा ही उसके साथ मंहगाई तथा भ्रष्टाचार जैसे राक्षसों से भी निजात पाया जा सकता है।

महानंदा नवमी व्रत से पायें दारिद्रय से मुक्ति

माघ माह के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से गुप्त नवरात्र की शुरूआत होती है और इसमें नवमी को श्री महानंदा नवमी व्रत किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन अज्ञात कारणों से किसी के जीवन में सुख-समृद्धि की कमी हुई हो तो इस नवरात्र में नवमी के दिन महानंदा नवमी की पूजा व्रत तथा दान-मंत्र जाप करने से व श्री की देवी की पूजन विधि विधान से करने से दारिद्रय सामाप्त होकर संपन्नता तथा विष्णुलोक की प्राप्ति होती हैं इस दिन पूजनस्थल के मध्य में एक बड़ा अखण्ड दीपक जलाकर रात्रि जागरण एवं ओं हृीं महालक्ष्म्यै नमः इस महालक्ष्मी मंत्र का जप करना चाहिए तथा ब्रम्ह मूहुर्त में घर का कूड़ा रखकर सूपे में रखकर बाहर ले जाना चाहिए, इसे अलक्ष्मी का विसर्जन कहते हैं तथा हाथ-पैर धोकर दरवाजे पर खडे होकर महालक्ष्मी का आवाहन करना चाहिए। रात्रि में पूजन के उपरांत व्रत का पारण करना तथा कुॅवारी कन्या से आशीर्वाद लेना विशेष शुभ होता है।
जिस किसी की भी कुंडली में अष्टम स्थान में राहु या शुक्र, द्वितीयेश, एकादशेश, भाग्येश या धनप्रदाता ग्रह राहु से पापाक्रांत होकर विपरीत कारक हो तो उसे गुप्त नवरात्र में श्री की देवी की विधिवत पूजा कर महानंदा नवमी व्रत का पालन, कुंवारी कन्याओं को भोज और महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप तथा विधि विधान से हवन पूजा करना चाहिए इससे दारिद्रय समाप्त होकर श्री की प्राप्ति होती है।

Astrology Sitare Hamare, 'Skand Shashthi Vrat, स्कंद षष्ठी व्रत, On 31 M...

Tuesday 30 May 2017

कोर्ट कचहरी व मुकदमे जीत कैसे: ज्योतिष्य गणना

कोर्ट कचहरी व मुकदमे ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ जाने से हर कोई बचना चाहता हैं। लेकिन कुछ परिस्थितिया ऐसी बन जाती हैं जिनके कारण व्यक्ति को न्यायालय जाना पड जाता हैं। कोई व्यक्ति अपने जीवन में कितनी बार और कब कब कोर्ट कचहरी के चक्कर लगायेगा यह जन्म कुंडली में ग्रहो की स्थिति पर निर्भर करता हैं। कई बार यह देखा हैं की शुभ ग्रहो की दशा में भी न्यायालय जाना पड जाता हैं महत्वाकांक्षा ही व्यक्ति से नैतिक- अनैतिक, वैधानिक- अवैधानिक, सामाजिक-असाजिक कार्य कराती है साथ ही किसी विषय पर विवाद, कोई गुनाह, संपत्ति से संबंधित झगड़े इत्यादि का होना आपकी कुंडली में स्पष्ट परिलक्षित होता है। अगर इस प्रकार के कोई प्रकरण न्यायालय तक पहुॅच जाए तो उसमें जय प्राप्त होगी या पराजय का मुॅह देखना पड़ सकता है इसका पूर्ण आकलन ज्योतिष द्वारा किया जाना संभव है। सामान्यतः कोर्ट-कचहरी, शत्रु प्रतिद्वंदी आदि का विचार छठे भाव से किया जाता है। सजा का विचार अष्टम व द्वादश स्थान से इसके अतिरिक्त दसम स्थान से यश, पद, प्रतिष्ठा, कीर्ति आदि का विचार किया जाता है। साथ ही सप्तम स्थान में साझेदारी तथा विरोधियों का प्रभाव भी देखा जाता है। इन सभी स्थान पर यदि क्रूर, प्रतिकूल ग्रह बैठे हों तो प्रथमतया न्यायालयीन प्रकरण बनती है। इनकी दशाओं एवं अंतदशाओं में निर्णय की स्थिति में जय-पराजय का निर्धारण किया जा सकता है।

केतु देता है बदलाव

निरंतर चलायमान रहने अर्थात् किसी जातक को अपने जीवन में निरंतर उन्नति करने हेतु प्रेरित करने तथा बदलाव हेतु तैयार तथा प्रयासरत रहने हेतु जो ग्रह सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है, उसमें एक महत्वपूर्ण ग्रह है केतु। ज्योतिष शास्त्र में राहु की ही भांति केतु भी एक छायाग्रह है तथा यह अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसका स्वभाग मंगल ग्रह की तरह प्रबल और क्रूर माना जाता है। केतु ग्रह विषेषकर आध्यात्म, पराषक्ति, अनुसंधान, मानवीय इतिहास तथा इससे जुड़े सामाजिक संस्थाएॅ, अनाथाश्रम, धार्मिक शास्त्र आदि से संबंधित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। केतु ग्रह की उत्तम स्थिति या ग्रह दषाएॅ या अंतरदषाओं में जातक को उन्नति या बदलाव हेतु प्रेरित करता है। केतु की दषा में परिवर्तन हेतु प्रयास होता है। पराक्रम तथा साहस दिखाई देता है। राहु जहाॅ आलस्य तथा कल्पनाओं का संसार बनाता है वहीं पर केतु के प्रभाव से लगातार प्रयास तथा साहस से परिवर्तन या बेहतर स्थिति का प्रयास करने की मन-स्थिति बनती है। केतु की अनुकूल स्थिति जहाॅ जातक के जीवन में उन्नति तथा साकारात्मक प्रयास हेतु प्रेरित करता है वहीं पर यदि केतु प्रतिकूल स्थिति या नीच अथवा विपरीत प्रभाव में हो तो जातक के जीवन में गंभीर रोग, दुर्घटना के कारण हानि,सर्जरी, आक्रमण से नुकसान, मानसिक रोग, आध्यात्मिक हानि का कारण बनता है। केतु के शुभ प्रभाव में वृद्धि तथा अषुभ प्रभाव को कम करने हेतु केतु की शांति करानी चाहिए जिसमें विषेषकर गणपति भगवान की उपासना, पूजा, केतु के मंत्रों का जाप, दान तथा बटुक भैरव मंत्रों का जाप करना चाहिए जिससे केतु का शुभ प्रभाव दिखाई देगा तथा जीवन में निरंतर उन्नति बनेगी।

Astrology Sitare Hamare 'Ahenkar se kaise bachen', अहंकार से कैसे बचें,...

Saturday 27 May 2017

नक्षत्र गंड दोष - कितना असरकारक

गंड अर्थात् दोष। गंड तीन प्रकार के माने जाते हैं जिनमें क्रमषः लग्नगंड, तिथि गंड तथा नक्षत्र गंड होता है। जिसमें नक्षत्र गंड सबसे ज्यादा अषुभ माना जाता है। 27 नक्षत्रों में से छः नक्षत्र गंडदोष युक्त माने जाते हैं जिसमें क्रमषः अष्विनी, अष्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती नक्षत्रों को गंड दोषयुक्त माना जाता है। इन नक्षत्रों में जन्म लेने पर मूल के जन्म माने जाते हैं और माना जाता है कि गंडमूल नक्षत्र में जन्म होने पर अषुभ फलकारक स्थिति बनती है। इन नक्षत्रों को दोषयुक्त मान कर इनकी शांति का विधान कराया जाता है। भारतीय ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र होते हैं, इनमें से जन्म के छः नक्षत्र जिन्हें मूल कहा जाता है तथा मृत्यु के पाॅच नक्षत्र जिन्हें पंचक कहा जाता है, इनकी शांति आवष्यक होती है। मान्यता है कि इन नक्षत्रों में जातक लड़का हो या लड़की के पैदा होने पर माता-पिता, भाई, धन, आरोग्य, प्रतिष्ठा तथा पितरों का अंतिमतः कल्याण होता है। ज्योतिष के ग्रंथो में प्रत्येक नक्षत्र में जनम का प्रभाव बड़े विस्तार से लिखा है जिसका सार है कि नक्षत्रों में जन्म लिये हुए बच्चों की नक्षत्र शांति, ग्रो प्रसव के साथ कराना चाहिए। कहते हैं कि तुलसीदासजी का जन्म भी मूल नक्षत्र में हुआ था और उस के प्रभाव से उनकी माता का अल्पायु में देहांत हो गया। पिता भी तुलसीदासजी की उपेक्षा किया करते थे। इस तरह भारतीय दर्षन में इस दोष की बड़ी किंवदंतियाॅ प्रचलित हैं। यदि इन नक्षत्रों में जातक का जन्म हों तो पिता को 27 दिन संतति का मुख नहीं देखना चाहिए तथा उसी नक्षत्र में बच्चे के माता-पिता द्वारा विधिवत् गो प्रसव के साथ मूल वृक्ष बनाकर मूल की शांति कराना चाहिए। 27 छेद के घडे से स्नान करना चाहिए। कहते हैं कि यह पूजा बड़ी कठिन होती है क्योंकि इस पूजा में सात स्थानों की मिट्टी, सात जलाषय का जल, पंचपल्लव, सर्वोषधि आदि संकलित कर कलष में डालकर इनकी पूजा करके माता-पिता वस्त्र सहित बच्चे को गोद में लेकर पूर्वाभिमुख होकर समंत्रक 27 छेद वाले घड़े से स्नान करते हैं तथा पूजन पूर्ण होने पर छायापात्र का दान करते हैं। बच्चे के माता-पिता इस छाया पात्र में तेल डालकर विधिपूर्वक बच्चे का मुख दर्षन करते हैं। ऐसा करने से मूल दोष शांत होता है।

Astrology Sitare Hamare 'Ketu badlega bhagya', केतु बदलेगा भाग्य On 27 ...

Tuesday 23 May 2017

तनाव और परीक्षा का डर

परीक्षा के समय ज्यादा से ज्यादा अंक लाने की होड़, साथी बच्चों से तुलना, लक्ष्य का पूर्व निर्धारित कर उसके अनुरूप प्रदर्षन तथा इसी प्रकार के कई कारण से परीक्षा के पहले बच्चों के मन में तनाव का कारण बनता है। परीक्षा में अच्छे अंक की प्राप्ति के लिए किया गया तनाव अधिकांषतः नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है क्योंकि तनाव के कारण स्मरणषक्ति कम होती है, जिसके कारण पूर्व में तैयार विषय भी याद नहीं रह जाता, घबराहट के कारण स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है, साथ ही अनिद्रा, सिरदर्द तथा स्टेसहार्मोन के कारण एकाग्रता की कमी से परीक्षा का परिणाम भी विपरीत आता है, जोकि डिप्रेषन का कारण बनता है। अतः परीक्षा के डर के कारण उत्पन्न तनाव को दूर करने हेतु ज्योतिषीय तथ्य का सहारा लिया जा सकता है। जब भी परीक्षा से पहले तनाव के कारण सिरदर्द या अनिद्रा की स्थिति बने तो तृतीयेष ग्रह को शांत करने का उपाय आजमाते हुए चंद्रमा तथा राहु की स्थिति तथा दषाओं एवं अंतरदषाओं का निरीक्षण कर उक्त ग्रहों के लिए उचित मंत्र जाप, दान द्वारा मनःस्थिति पर नियंत्रण किया जा सकता है। साथ ही ऐसे में जातक को चाहिए कि हनुमान जी के दर्षन कर हनुमान चालीसा का पाठ कर एकाग्रता बढ़ाते हुए शांत मन से पढ़ाई करनी चाहिए साथ ही मन को प्रसन्न करने का उचित उपाय आजमाने से तनाव से मुक्त हुआ जा सकता है।

तनाव से खराब होते रिश्ते : ज्योतिष्य उपाय

आज की प्रतिद्धंदिता की स्थिति तथा लगातार हर क्षेत्र में परेषानी, कार्य का दबाव, समय की कमी, कुंठाओं और भौतिकसंपन्नता की चाहत के कारण व्यवहार का चिड़चिड़ापन तथा क्रोध ज्यादातर स्थिति में नजदीकी रिष्तों को प्रभावित करता है। जब व्यक्ति तनाव में होता है तो वह अपने सबसे नजदीकी रिष्तों के प्रति असहिष्णुता का व्यवहार कर बैठता है जबकि साथी को उसके तनाव के कारण की अज्ञानता उस व्यवहार की सच्चाई से अनभिज्ञता के कारण रिष्तों में भी तनाव देती हैं ऐसी स्थिति में रिष्तों में भी दूरी बढ़ने से उस जातक का तनाव लगातार चरम पर होता है और रिष्तें दूर से दूर होते जाते हैं और कई बार इसी तनाव के कारण दोस्ती का टूटना, जीवनसाथी से तलाक की नौबत तक आ जाती है। इस तनाव को समझने के लिए जातक के तृतीयेष, सप्तम, पंचम तथा एकादष भाव या भावेष संबंध किसी भी प्रकार से षष्ठम, अष्टम या द्वादष स्थान या राहु के साथ लग्न में या तीसरे स्थान में शनि होने से जातक का व्यवहार कठोर हो जाता है, जिससे उसके रिष्ते प्रभावित होते हैं और इस तनाव का असर सबसे ज्यादा उसके रिष्तों के दरार के रूप में दिखाई देती है। तनाव के कारण इस बढ़ती दूरी को कम करने हेतु शनिवार का व्रत, काली वस्तुओं के दान के साथ मंगलगौरी की पूजा करने से तनाव कम करने के साथ रिष्तों में आपसी सामंजस्य उत्पन्न होती है।

Astrology Sitare Hamare On 23 May 2017

Thursday 18 May 2017

बच्चे को बनायें अनुशासित करायें कुंडली का विश्लेषण

बच्चों को अनुशासित करना कभी भी आसान नहीं था। अपने बच्चे को प्यार और दुलार देना तो सरल है, परंतु यदि आप चाहते हैं कि बच्चे, सही और गलत का अंतर जान सकें तथा स्व-नियंत्रण और अच्छी आदतें अपनाएँ, तब तो, आपको सीखना होगा कि बच्चे को अनुशासन में रखने की सही विधि, क्या है, अपने बच्चे के लिए, अनुशासनात्मक सहायता की आवश्यकता होगी। यदि आपका बच्चा सदैव ही असम्मानजनक रहता है और आपकी कोई भी बात नहीं सुनता है या विशेषकर जल्दी जल्दी आक्रामक या हिंसक व्यवहार का प्रदर्शन करता है, तो यह जान पाने के लिए कि आप ऐसे व्यवहार के लिए क्या कर सकते हैं, ज्योतिषीय सहायता प्राप्त करिए। यदि आप भी अपने बच्चे में एक साथ ये सारी आदतें देखना चाहते हैं तो बचपन में ही कुंडली का विश्लेषण करायें और उसे अनुशासित बनाने हेतु उसकी कुंडली के अनुसार लग्न, तृतीय, पंचम, सप्तम, नवम, दसम एवं एकादश स्थान के कारक ग्रह एवं उन स्थानों पर स्थित ग्रह के अनुसार अपने बच्चे के अच्छे गुण को विकसित करने के साथ प्रतिकूल ग्रहों की शांति अथवा ज्योतिषीय उपाय लेते हुए सभी प्रकार से अनुशासित और सुसंस्कारित बनाने हेतु निरंतर अभ्यास करायें। इससे ना सिर्फ आपका बच्चा पढ़ाई में अथवा जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल होगा।

कैसे करें समय का सदुपयोग जाने अपनी कुंडली से -



कई लोग अपना रूटिन का कार्य भी दौड़ते भागते पूरा करते हैं तो कई लोग बड़े इत्मीनान से सावधानी के साथ अपना कार्य गुणवत्ता के साथ पूर्ण करते हैं। कई बार लोग बिल की लाईन में भी अंतिम तिथि को पहुॅचते हैं और परेशान होते है। वहीं कुछ आराम से कार्य समय पर निपटाकर सुख से रहते हैं। समय की शक्ति अद्भुत है। धन से भी महत्वपूर्ण है, समय की संपदा। इसलिए समय को व्यर्थ न जाने दीजिए। समय ही महानता के उच्चतम शिखर तक चढ़ने का सोपान है और सूर्य जैसे ग्रहों के अनुरूप नियम तथा नियमित रह कर समय का सदुपयोग करने से ही सफलता प्राप्त हो सकती है अतः किसी की कुंडली में एकादष स्थान से उसके समय के मूल्य को आंका जा सकता है। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में एकादष स्थान का स्वामी उच्च, शुभ तथा अनुकूल स्थान पर हो अथवा शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसा जातक अपने कार्य में नियमित होता है तथा यदि उसका तीसरा स्थान भी शुभ हो तो ऐसे जातक की एकाग्रता भी अच्छी होती है यदि इसके साथ ही भाग्य स्थान भी अनुकूल हो तो ऐसे जातक को सफलता प्राप्ति में आसानी होती है अतः यदि आपका भाग्य अनुकूल हो साथ ही तीसरा स्थान एकाग्रता भी दे रहा हो तो एकादष स्थान को अनुकूल करने से आपको अवष्य ही सफलता प्राप्त हो सकती है। यदि आप अपने समय का सदुपयोग ना कर पा रहे हों तो एकादष स्थान के स्वामी ग्रह तथा उस स्थान पर उपस्थित ग्रह की स्थिति तथा उस स्थान से संबंधित ग्रह की दषा और अंतरदषा की जानकारी प्राप्त कर उससे संबंधित ग्रह शांति, मंत्रजाप तथा दान से आप अपने जीवन में समय का सदुपयोग कर अपने जीवन में सफलता प्राप्ति का रास्ता आसान कर सकते हैं। साथ ही कालपुरूष की कुंडली के अनुसार शनि की शांति, मंत्रजाप तथा काली वस्तुओं के दान करने चाहिए।

Astrology Sitare Hamare ACHANAK APYASH KE KARAN?- अचानक अपयश के कारण O...

Tuesday 16 May 2017

मन की अशांति का कारण -चंद्रमा

आधुनिक भागदौड़ के इस जीवन में प्रायः सभी व्यक्तियों को चिंता सताती रहती है। हर आयुवर्ग तथा हर प्रकार के क्षेत्र से संबंधित अपनी-अपनी चिंता होती हैं। चिंता को भले ही हम आज रोग ना माने किंतु इसके कारण कई प्रकार के लक्षण ऐसे दिखाई देते हैं जोकि सामान्य रोग को प्रदर्षित करते हैं। अगर यह चिंता कारण विषेष या समय विषेष पर हो तो चिंता की बात नहीं होती किंतु कई बार व्यक्ति चिंता करने का आदि होता है, जिसके कारण उसे हर छोटी बात पर चिंता हो जाती है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसे रासायनिक स्त्राव का असंतुलन माना जाता है किंतु वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस चिंता का दाता मन को संचालित करने वाला ग्रह चंद्रमा तथा व्यक्ति की जन्मकुंडली में तृतीय स्थान को माना जाता है। चंद्रमा के प्रत्यक्ष प्रभाव को आप सभी महसूस करते हैं जब ज्वार-भाठा या पूर्णिमा अमावस्या आती है। चंद्रमा का पूर्ण संबंध हमारे मानसिक क्रियाकलापों से है अगर चंद्रमा या तृतीयेष नीच राषि में स्थिति हो या षष्ठेष से युति या षष्ठस्थ हो या राहु केतु से युत हो तो व्यक्ति में तनाव जन्मजात गुण होता है। चूॅकि कालपुरूष का चतुर्थभाव चंद्रमा का भाव होता है अतः बहुत हद तक चतुर्थभाव का प्रतिकूल होना या चतुर्थेष का प्रतिकूल होना भी तनाव का कारण होता है। चंद्रमा या तृतीयेष का अष्टमस्थ या द्वादषस्थ होना भी लगातार तनाव का कारण देता रहता है। विषेषकर इन ग्रह या इनसे संबंधित ग्रहों की गोचर में व्यक्ति पर मानसिक असंतुलन दिखाई देती है। चिंता से मुक्ति हेतु पीड़ित व्यक्ति को अपनी वर्तमान परिथितियों पर नजर रखते हुए उनमें बदलाव का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा अपने जीवन में लगातार चिंता के कारणों तथा उससे जुड़े लोग तथा स्थिति को बेहतर करने का प्रयास करने के अलावा चंद्रमा को मजबूत करने तथा राहु की शांति के अलावा तृतीयेष का उपयुक्त उपाय करने से व्यक्ति को चिंता से मुक्ति मिल सकती है।

स्वपे्ररणा को जाग्रत करें ज्योतिष उपाय से:-

किसी भी जातक का लग्न और तीसरा स्थान यदि उच्च, स्वग्रही या मित्रराषि में हो तो ऐसे लोग सेल्फ मोटिवेटिव होते हैं और अपनी उन्नति के लिए लगातार प्रयास करते हुए अपने कार्य में महारत हासिल करते रहते हैं। यदि गुरू या शुभ ग्रह लग्न में अनुकूल हो तो व्यक्ति को स्वयं ही ज्ञान व आध्यात्म के रास्ते पर जाने को प्रेरित करता है। यदि इसपर पाप प्रभाव न हो तो व्यक्ति स्व-परिश्रम तथा स्व-प्रेरणा से ज्ञानार्जन करता है। अपने बड़ों से सलाह लेना तथा दूसरों को भी मार्गदर्षन देने में सक्षम होता है। यदि गुरू का संबंध तीसरे स्थान या बुध के साथ बनें तो वाणी या बातों के आधार पर प्रेरित होकर सफल होता है वहीं यदि गुरू का संबंध मंगल के साथ बने तो कौषल द्वारा मार्गदर्षक प्राप्त करता है शुक्र के साथ अनुकूल संबंध बनने पर कला या आर्ट के माध्यम से उन्नति प्राप्त करता है चंद्रमा के साथ संबंध बनने पर लेखन द्वारा सफलता पाता है। अतः लग्न या तीसरे स्थान का उत्तम स्थिति में होना सफलता का द्योतक होता है। लग्नेष या तृतीयेष यदि 6, 8 या 12 भाव में हो तो प्रायः ऐसे लोगों को स्वप्ररेणा से वंचित ही रहना पड़ता है। वही यदि लग्न में राहु या शनि जैसे ग्रह हों तो बच्चा अपनी मर्जी का करने का आदि होता है, जो भी अनुषासन के बाहर रहकर कार्य करता है। अगर ऐसे जातको को जो किसी भी प्रकार से स्वप्रेरणा या स्वविवेक के अधीन कार्य करने के आदी नहीं होते, ऐसे बच्चे जिनके अभिभावक अपने बच्चों के पीछे लगकर उन्हें कार्य कराते हैं, उनकी कुंडलियों का विष्लेषण कराकर प्रारंभ से ही उनके जीवन में सेल्फ मोटिवेषन लाने का प्रयास करना चाहिए साथ ही अगर ऐसी स्थिति ना बने तो कुंडली के ग्रहों का विष्लेषण कराया जाकर उचित उपाय लेने से स्वयं कार्य करने तथा अनुषासन में रहकर उन्नति के रास्ते खुलते हैं।

Weak Mercury in Astrology

If moon is the mind, then Mercury is our intelligence. Mercury governs intelligence and therefore rules such fields as education, literature, communication and public speaking. It is associated with the earth element, cold energy, the color green, agriculture, travel and the number system. Endowed with youthful, fast-moving energy. Mercury appears prominently in the horoscope of people who are playful, enthusiastic and talkative. Mercury also governs astrologers, clerks, accountants, sculptors and other professions requiring skillful use of hands. Mercury enhances the ability to learn languages and improves memory, and facilitate the power of speech.
Mercury rules are thinking ability, ability to solve problems, and deal with rocks in the way. Mercury rules the neck, hands and skin. When badly damaged, it can donate to lack of social skills, less traditional schooling, and lack of street smartness. Not only does Mercury affects our ability to analyze the world, and be less or more creative, it also rules our relationship with our siblings, and when badly placed in a horoscope, especially in the sign of Pisces, it can make the relations with the siblings very troubled some. Mercury is at its lowest point in the sign of Pisces, and excelled in Virgo. Mercury is a quick moving planet, for that is why its offspring are quick paced people, people who think at a wimp, they are the people doing 10 things at a time and are able to mange them perfectly. Mercury is creativity in terms of art, writing, acting, media and computers. Most authors do not have well placed Mercury. How can that be? Mercury is intelligence and it takes intelligence to be a writer, right? Mercury provides the things we learn, and how we learn them, and although with a badly placed Mercury we may learn them the hard way, but we learn them. The situation that a person goes through with badly placed Mercury may actually provide a situation, drama and tragedy that may help them with their stories, writing, and the character development.
Remedies for Weak Mercury in Astrology.
1.Wear Emerald ring or locket on wednesday in little finger. Mantra of mercury is "Om boom budhaya namah"
2.Wear and use green clothes.
3.Perform puja of Lord Vishnu
4.Plant money plants and green plants at home.
5.Do business of mercury related articles.They are silver,gold,oil,fruits,vegetables etc..

Astrology Sitare Hamare On 16 May 2017

Saturday 13 May 2017

मीन मई 2017 मासिक राशिफल

शुरूआती समय में आपको समाज में यश-कीर्ति और आनंद की प्राप्ति होगी। परिवारजनों के साथ घर में आनंदपूर्वक दिन व्यतीत करेंगे। प्रेम संबंधों के लिए भी उत्तम समय है। प्रथम पखवाड़े में मौज-शौक, वस्त्र- आभूषण, सौंदर्य प्रसाधन आदि के ऊपर खर्च करेंगे। हालांकि, आपकी आय मर्यादित रहने से आपको खर्च पर नियंत्रण रखने की विशेष सलाह दे रहे हैं। कुल मिलाकर, अच्छी तरह से दांपत्य जीवन का सुख उठा सकेंगे। वाणी के प्रभाव से मार्केटिंग से संबंधित कार्यों में लक्ष्य हासिल कर पाएंगे। छोटे परंतु लाभदायक प्रवास होंगे। व्यापार-धंधे और भागीदारी में भी लाभ होगा। दूसरे सप्ताह के समय में आपको सर्दी, दम, खांसी और पेट का दर्द होने का खतरा रहेगा। समय पर भोजन प्राप्त नहीं होगा। नौकरी पेशा लोगों को शत्रुओं से परेशानी होगी। प्रभावशाली व्यक्तियों तथा उच्च अधिकारियों के साथ मुलाकात का योग बनेगा। पुत्रों व मित्रों से धन लाभ होगा। आपकी माता को अपने स्वास्थ्य का ख़याल रखने की सलाह दी जाती है। वैवाहिक जीवन अत्यन्त ख़ुशहाल रहने के संकेत हैं। भाई-बहनों की प्रगति के लिए यह समय श्रेष्ठ रहेगा। आपका स्वास्थ्य काफी अच्छा बने रहने की सम्भावना है। आपके रोगों का नाश होगा व तंदुरस्ती बनी रहेगी। नेत्र, पैर व अनिद्रा से जुड़ी शिकायतें हो सकती हैं। भाई-बहन व मित्रों का भरपूर सहयोग आपको प्राप्त होगा। आपको पैतृक सम्पत्ति मिलने के योग भी बने हुए हैं। किसी पारिवारिक सदस्य का स्वास्थ्य ख़राब रहने के आसार हैं। नौकरी में प्रमोशन के द्वारा आपको आर्थिक लाभ मिलने के संकेत हैं। पिता का स्वास्थ्य काफी अच्छा रहने की सम्भावना है। मित्रों, भाई-बहनों व लंबी दूरी की यात्राओं से आपको धन लाभ संभव है।
आर्थुक मुद्दे- आर्थिक मामलों में फिलहाल आंशिक रुप से वृद्धि होगी। धन कमाने के लिए आपको कड़ा संघर्ष करना होगा। आपको भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहिए क्योंकि इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा। किसी सब्सिडी या टैक्स में सरकारी राहत मिलने की संभावना है। इस महीने आप धंधे के विस्तार के लिए कोई अहम फैसला कर सकते हैं। दूसरों पर आँख मूंदकर विश्वास करना छोड़ दें और अपने निर्णय खुद लेने की आदत डालें। अपने प्रोफेशन में बदलाव या फिर किसी नये क्षेत्र को अपनाने की आशंका अधिक रहेगी। इस महीने आपकी शारीरिक रूप से दौड़धूप बढ़ जाएगी। धन वसूली वगैरह के कार्यों में भी किसी दूर की यात्रा से गुरेज करने की जरूरत नहीं है। आपका भागीदार आपकी पूरी मदद करेगा। व्यवसायिक कार्यों को निपटाने के लिए आप कुछ लोन भी ले सकते हैं। आयात-निर्यात के कार्यों से आपको अधिक आर्थिक लाभ मिलने की संकेत हैं।
स्वास्थ्य- स्वास्थ्य कल्याण को महत्व देने की वजह से आप चिंतित रहेंगे। वजह यह है कि आपके छठे भाव में राहु है। कुछ लोगों को नेत्र व पैरों में दर्द व अनिद्रा से जुड़ी तकलीफें सता सकती हैं। लेकिन चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं, क्योंकि यह समस्या बहुत कम समय के लिए रहेगी। अगर हो सके तो रोमांचक जगहों पर आपको किसी प्रकार की चोटों से बचना चाहिए। काम के बोझ के कारण आपको सुस्ती और अशक्ति की फरियाद हो सकती है। आपकी फिटनेस बरक़रार रहने से आप कामकाज में थकान का अनुभव नहीं करेंगे। आप अपने पसंदीदा पकवानों का स्वाद चखेंगे। घर में किसी शुभ प्रसंग के कारण आपकी मानसिक प्रसन्नता में वृद्धि होगी।

कुम्भ मई 2017 मासिक राशिफल

 अपने कार्यक्षेत्र में आप जमकर मेहनत करेंगे। आपको अनेक स्रोतों से आर्थिक लाभ मिलने की सम्भावना रहेगी। आपकी कार्यक्षमता काफी अच्छी रहेगी और आप सरलता से अनेक कार्यों को निपटा सकेंगे।  नए बिज़नेस में हाथ डालने से पहले उसके अच्छे-बुरे पहलू पर विचार कर लेना आपके लिए सही होगा।आर्थिक लाभ कमाने के लिए आप कोई बड़ी यात्रा भी कर सकते हैं। दाम्पत्य जीवन नीरस व उलझन भरा हो सकता है। आप वाणी के प्रभाव से विपरीत लिंग वाले व्यक्तियों को बढ़िया ढंग से आकर्षित कर सकेंगे। प्रेम संबंधों पर अधिक ध्यान देंगे। विद्यार्थी जातकों के लिए भी शुरू के दिन अनुकूल रहेंगे। सामाजिक और दांपत्य जीवन में अपनी वाणी और व्यवहार पर संयम रखें, क्योंकि किसी भी व्यक्ति के साथ वैचारिक मतभेद की संभावना बढ़ रही है। सरकारी कामकाज में सफलता का योग बनेगा। स्वास्थ्य के मामले में विचार करें तो पेटदर्द, सिरदर्द और शारीरिक दर्द रहेगा। संतान संबंधी चिंता बनी रहेगी। कोर्ट-कचहरी में कोई केस चल रहा हो तो पीछे हटना पड़ सकता है, इसलिए अपना ध्यान रखें। महीने के मध्य में बिजनेस में कोई नया सौदा होगा जिसके कारण आपको आर्थिक लाभ होगा। कोई सरकारी अथवा राजकीय व्यक्ति के साथ मुलाकात होगी। परिवार के सदस्यों के साथ किसी मामले में मतभेद होने की आशंका है। इस समय जमीन-संपत्ति से संबंधित अनेक विवाद उत्पन्न होंगे। भौतिक सुखों व यात्रा-प्रवास में मुश्किलें आएगी। वैवाहिक सुख में अवरोध खड़े होंगे। मानहानि होने की संभावना बन रही है। महीने के अंतिम चरण में आपको विशेष रूप से दांपत्य संबंधों में संभलना होगा। किसी भी समय आपके पारस्परिक विश्वास की परीक्षा हो सकती है।
अच्छी सेहत के लिए भी यह गोचर मददगार रहेगा।  सामाजिक व परोपकार के कार्यों में आप लिप्त रहेंगे। ख़र्चे अधिक रहेंगे मगर आर्थिक लाभ भी होता रहेगा। माता की सेहत काफी अच्छी रहेगी। पारिवारिक सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी संभव है। कोई भी बड़ा निवेश आपको सोच समझकर करना चाहिए।सेहत के प्रति आपको सतर्कता बरतनी होगी।   पिता का स्वास्थ्य अति उत्तम रहेगा। साथ ही उनसे आपको आर्थिक मदद भी प्राप्त हो सकती है। मित्रों या भाई-बहनों की सहायता से व्यापार में आपकी प्रगति होगी।

आर्थिक मुद्दे- आर्थिक मामलों के लिए यह समय मिलाजुला रहेगा। जहाँ एक ओर आपके ख़र्चों में अधिकता रहेगी वहीं दूसरी और धन कमाने के अनेक अवसर आपके हाथ लगेंगे।  इस महीने व्यवसायीगण अपने कामकाज का स्टेटस बनाए रखते हुए मार्केट में टिके रहने का प्रयास करेंगे।आप धन कमाने के लिए अपने प्रयासों को तेज करेंगे जो आपको आर्थिक लाभ कमाने में सहायक रहेगा। पैसों को लेकर की गई यात्राएं आपके लिए फ़ायदेमंद रहेंगी।  छिपे शत्रु, भागीदार आपके मार्ग में अड़चनें नहीं खड़े करने पाए इसके लिए सतर्कता बरतें। कृषि, रियल एस्टेट, मशीनरी, लाल रंग की चीजों, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक साधनों इत्यादि से जुड़े जातकों को थोड़ी अनुकूलता रहेगी। पहले पखवाड़े में आप कोई नया साहस करने के लिए प्रेरित रहेंगे।


स्वास्थ्य - सेहत के लिहाज से यह समय थोड़ा सतर्क रहना वाला होगा। प्रथम भाव में विराजमान केतु आपकी आध्यात्मिकता में वृद्धि के साथ-साथ आपके चिड़चिड़ेपन को भी बढ़ाएगा।आपको अधिक क्रोध करने से बचना चाहिए।  गर्मी से पैदा होने वाले रोगों से बचने के लिए आपको नियमित रूप से स्वच्छ भोजन और शारीरिक आराम की सलाह देते हैं। अधिक पानी पीकर शरीर में तरावट रखिए। महीने के पूर्वार्ध में आप अपने परिवार के साथ किसी लघु यात्रा पर जाकर मन को फिर से फ्रेश कर सकते हैं। आप अपने स्वभाव में थोड़ी व्यग्रता महसूस करेंगे।


 


मकर मई 2017 मासिक राशिफल

इस समय आप व्यावसायिक जीवन में काफी व्यस्त रहेंगे और पारिवारिक जीवन पर अधिक ध्यान नहीं दे पाएंगे। विद्यार्थियों का मन अधिक चंचल रहने से वे पढ़ाई में एकाग्रतापूर्वक ध्यान नहीं दे सकेंगे और इसके कारण उनको मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। उनको पठन में भी कम रुचि जागृत होगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा। अपनी नौकरी में थोड़ा असंतोष जैसा महसूस करेंगे। पैसा के मामले में आपको असंतोष महसूस होगा।आपको लगेगा की पार्टनरशिप से जुड़ा बिज़नेस आपको लाभ नहीं दे रहा, लेकिन इसे छोड़िए मत। आर्थिक सफलता के लिए किया गया उतावलापन घातक हो सकता है।नौकरीपेशा वाले समय और अवसर का लाभ उठाने में सफल रहेंगे। नई नौकरी के लिए यदि आप प्रयासरत हैं तो सफलता मिलने की पूरी सम्भावना रहेगी। सरकारी सेक्टर के कामकाज में प्रगति दिखाई दे रही है। महीने के उत्तरार्ध में बिजनेस हेतु किसी भी नये कामकाज की शुरूआत नहीं करें। बाहरी खाद्य वस्तुओं से परहेज करें। काफी गर्मी के वातावरण में घूमना टालें, अन्यथा बुखार, पेट के रोग, पाइल्स जैसे रोग होने का अंदेशा है। इस समय आपको बोलने में ध्यान रखना है। आपके किसी धार्मिक या समाज-सेवा के काम से जुड़ने के संकेत भी हैं। आप किसी धार्मिक यात्रा पर निकल सकते हैं।
व्यवसाय एवं करियर- महीने की शुरुआत ख़र्चों से भरी रहेगी। कुछ ख़र्चे बेवजह हो सकते हैं, तो कुछ ख़र्चे मौज-मस्ती के लिए भी हो सकते हैं। माह का मध्य भाग मिलाजुला रहेगा। इस अवधि में पैसों के लेन-देन को लेकर आपको सतर्कता बरतनी होगी। नौकरी वर्ग को निरंतर परिश्रम की जरूरत होगी। आपको अपने शत्रुओं और अॉफिस की राजनीति से चौकन्ने रहने की जरूरत रहेगी। किसी भी नए बिज़नेस में निवेश करने से पहले सलाहकारों की राय लेना आपके लिए फ़ायदेमंद रहेगा। नौकरीपेशा वालों के लिए पदोन्नति के द्वारा आर्थिक लाभ मिलने के संकेत हैं। आर्थिक प्रगति के लिए आप अपनी क्षमता से बाहर जाकर प्रयास करने की सोचेंगे। विदेश सम्बंधित कार्यों से जुड़े जातकों के लिए समय काफी अनुकूल नज़र आ रहा है। आप महसूस करेंगे कि भाग्य का आपको पूरा साथ मिल रहा है। कृषि, रियल स्टेट जैसे क्षेत्रों में कमाई के अच्छे योग बन रहे हैं।
स्वास्थ्य- आपका शरीर अच्छा रहेगा। किसी भी काम में फालतू शीघ्रता करने की जरूरत नहीं है। कुछ लोगों को नेत्र, अनिद्रा व मुख से सम्बंधित रोग होने की सम्भावना रहेगी। वैसे आप जोश व उत्साह से भरे रहेंगे। रोजमर्रा के कार्यों से छुट्टी लेकर आप कहीं घूमने-फिरने का मन बना सकते हैं। महीने का उत्तरार्ध आपके लिए थोड़ा अच्छा लग रहा है। शरीर का वजन बढ़ने से रोकने के लिए खाने-पीने पर अंकुश रखने का परामर्श है। आमोद-प्रमोद के साधनों में आप रुचि लेंगे। और मानसिक राहत पाने के लिए योग व ध्यान का सहारा भी ले सकते हैं। संतान की नौकरी या विवाहादि कार्यों का निराकरण होने से आपकी मानसिक प्रसन्नता बढ़ेगी।

धनु मई 2017 मासिक राशिफल

महीने के पूर्वार्ध में घर में किसी कारण से लड़ाई अथवा झगड़ा होने की संभावना बन रही है। विद्यार्थियों का मन अधिक चंचल रहने से वे पढ़ाई में एकाग्रतापूर्वक ध्यान नहीं दे सकेंगे और इसके कारण उनको मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। उनको पठन में भी कम रुचि जागृत होगी। काम के साथ-साथ परिवार के लिए भी समय निकाज सकेंगे। मित्रों का सहयोग मिलेगा। पैसा के मामले में आपको असंतोष महसूस होगा। सरकारी सेक्टर के कामकाज में प्रगति दिखाई दे रही है। महीने के उत्तरार्ध में बिजनेस हेतु किसी भी नये कामकाज की शुरूआत नहीं करें। काफी गर्मी के वातावरण में घूमना टालें, अन्यथा बुखार, पेट के रोग, पाइल्स जैसे रोग होने का अंदेशा है। इस समय आपको बोलने में ध्यान रखना है। अपने कार्यक्षेत्र में आप जमकर मेहनत करेंगे। किसी मित्र की मदद से आपको आर्थिक लाभ मिल सकता है। आपकी कार्यक्षमता में इजाफा होगा। भाई-बहनों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना होगा। नौकरी में पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान व प्रमोशन मिलने का संकेत कर रही है। पारिवारिक जीवन के बहुत ही ख़ुशहाल रहने की सम्भावना है। माता के स्वभाव में जबरदस्त आध्यात्मिकता की बढ़ोतरी संभव है। इस दौरान उनका स्वास्थ्य और आपके उनसे सम्बन्ध काफी अच्छे रहेंगे। आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। संतान की शिक्षा में प्रगति होगी। नौकरी में आपके बुलंदियों पर पहुँचने के संकेत हैं।
आर्थिक मुद्दे- आर्थिक मुद्दों के लिए यह समय काफी प्रगतिकारक रहेगा। व्यापार-वाणिज्य से जुड़े जातकों की अपार सफलता मिलने की सम्भावनाएं रहेंगी। आप किसी नए व्यापार में निवेश करने के लिए गम्भीरता से सोचेंगे। खास कर कि मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत जातक अथवा दूर या विदेश में काम कर रहे जातकों को अधिक मुश्किलें हो सकती है। नौकरी वर्ग को निरंतर परिश्रम की जरूरत होगी। आपको अपने शत्रुओं और अॉफिस की राजनीति से चौकन्ने रहने की जरूरत रहेगी। व्यापार-वाणिज्य से जुड़े जातकों की अपार सफलता मिलने की सम्भावनाएं रहेंगी। आप किसी नए व्यापार में निवेश करने के लिए गम्भीरता से सोचेंगे।
स्वास्थ्य-स्वास्थ्य सम्बन्धी मामलों में आपको थोड़ी सावधानी रखनी होगी। शारीरिक तौर पर आप कुछ थकान महसूस कर सकते हैं। यदि आप कार्य के साथ आराम को भी महत्व देते हैं तो अधिक मुश्किल नहीं आएगी। मोटापे, डायबिटीज, कूल्हे और जांघों की पीड़ा में सावधानी रखनी जरूरी है। मानसिक डर, व्यग्रता, बेचैनी में इजाफा होगा। महीने का उत्तरार्ध आपके लिए थोड़ा अच्छा लग रहा है। शरीर का वजन बढ़ने से रोकने के लिए खाने-पीने पर अंकुश रखने का परामर्श है। बाहर के खाने-पीने के कारण आपकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े, इस बात का आपको ध्यान रखना होगा। इस अवधि में आकस्मिक चोट लगने की सम्भावनाएं अधिक रहेंगी। पिता का ख़राब स्वास्थ्य आपकी चिंता का कारण बन सकता है। प्राणायाम, दौड़ व व्यायाम से आप अपने आपको फिट रख सकते हैं।

Importance of "Astrology" in life



ASTROLOGY—AN OCCULT SCIENCE
Astrology is a noble science. It is as old as the ages of the Vedas. It depends on the position of the planets ascertained astronomically. It explains the celestial phenomena and the corresponding terrestrial events. The true meaning of astrology is the 'Message of the Stars. " By using the salient principles of Astrology depending on the position- of the planets ascertained astronomically one can forecast events for the benefit of all and as such, it is a useful science for interpreting nature.
Astronomy is excellent; but it must come Up into life to have its full value Ana not remain there as Globes and Spaces "
—Emerson.
The whole world is run according to a well-defined plan. Nothing happens by chance. Astrology does not permit one to elassify anything as an accident, as it explains the cause and effect of events. The divine plan is well arranged. It is timed with amazing precision.
Some say that astrology is an art. Some others reject it as an idle dream or an illusion. Still others may speak of astrology as though it were an altogether contemptible superstition. They contemplate with pity those who believe in it. Some of those who have no disappointment or other difficulties in life take pride in saying that they have no faith in astrology and ridicule both the astrologer and the science. Probably they may fear that they may lose their self-importance if they were to recognize astrology. A few others say, under wrong impression or with prejudiced ideas, that astrology is not a science. These people would not have mastered the data on which correct predictions are based. This science explains clearly that such opponents of astrology will have in their horoscopes evil aspect between Mars and Uranus or between Mars and Mercury. These planets, when afflicted, do not give quick grasp of this science, good memory and reproductive ability, I and produce people who are either ignorant, arrogant, envious or are always inclined to find fault with what they are not able to understand. Pretending to know everything, they display their ignorance. The antagonists often quote the opinions of such learned men, who do not want to admit that it is a useful science. Learning is mechanical acquirement of facts and gaining knowledge in any subject. But wisdom is not 60. Astrology can be correctly interpreted only by a person endowed with divine grace and none can call himself learned without knowing astrology.
A great theosophist, Mr. Ceidambaram Iyer, says that nothing can be more funny than to find young men, especially, taking .up astrology, as their first subject of attack in their public utterances.; It is a subject to which they pay little or no attention except for purposes of ridicule. In my experience, I find a few elderly 1 members behave worse than such youngsters. I submit that astrology is a science and that it can render very useful service to one and all and create faith even in the sceptic, if one studies this text book.
A knowledge about the history of astrology and the illustrious and eminent sages and savants who practised astrology would give a better appreciation of the science itself.

Astrology Sitare Hamare On 13 May 2017

Friday 12 May 2017

What happens in Ketu Mahadasha!!!!!!

Ketu's mahadasha which lasts for 7 years in the native's life brings about detachment form material world. Ketu originally represents detachment, spirituality, enlightenment, letting go of things we desire, interest in occult knowledge, isolation, psychic, and asharams. In this period life will give the person only what is needed and will take away everything that is not. Also, any success during this dasha usually ends when the dasha itself does. During the mahadasha of Ketu one experiences sudden fall from their relationships, material wealth, loss of status and reputation, unless the depositor aspects or sits with Ketu. Most people have always experienced some sort of hardship regarding the house where Ketu was placed in. They suddenly feel no interest towards the things where Ketu resides. They want to get to the truth of life and existence. This is why many seek astrological knowledge, occult knowledge and tarot knowledge during Ketu's mahasasha or antra dasha because of the occult aspect. If Ketu is forming a Raj yoga by being placed in Kendra or trikona then there could be great gains in such times. Ketu doesn't always gives all the things we talked about but that's what it represents. People usually take foreign journeys to holy palaces have sudden interest in monks and monetary or isolated places event through they might be getting gains in such time period.If Ketu is weakly placed it indicates possible health problems such as wounds, injuries, diseases of the spine and nervous system, ulcers, inflammations, fevers, intestinal diseases, low blood pressure, mental instability and skin diseases. The effects of Ketu can be harsh and cruel when taking things away - generally it tends to strip away materialism and force a more spiritual perspective and a simpler existence.
Ketu in different houses
If the native's Ketu is in the 7th house then there could be sudden separation, detachment or lack of interest in marriage, partnership, business or career in general since 7th house is 10th from the 10th. Ketu in 5th house can suddenly show separation from children having lack of interest in raising children and creative purists. If Ketu is in the 6th, 8th or 12th house then sign placement and it's depositor's position is very critical because that will determine if the native will have good experience through such houses, usually malefic planets do well in dushtana houses, however, there are sensitive placements that can go either way. If the depositor is in kendra and strong by sign placement then Ketu dasha will bring victory over the things related to such negative houses, if Upachaya house then it will improve over time, especially if Ketu dasha comes in 40's it will give far better results due to depositor being in a upachya house. Ketu is that one planet that is most sensitive to its depositor's placement. Usually all planets can handle themselves even if the house foundation is weak, but Ketu who already wants to let go of material things, wealth and relationships needs a tight grip on his leash to keep our material world under control because we living in a 3 dimensional plain where we have to pay bills, raise kids, go to work and find shelter. Ketu is blind to such things and doesn't care except to find the truth about the source energy.

Astrology Sitare Hamare On 12 May 2017

Sunday 7 May 2017

वृश्चिक मई 2017 मासिक राशिफल

महीने के प्रारंभ में तीन ग्रह अर्थात् शनि, गुरु और बुध वक्री है। शनि धन में, शुक्र मीन में, बुध और सूर्य मेष में, मंगल वृषभ में और गुरु कन्या में है। शुरूआत की इस अवधि के दौरान जोड़ों की समस्या, अनिद्रा अथवा अशक्ति का अहसास होगा। विद्यार्थियों के लिए प्रारंभिक सप्ताह का समय कठिनाईभरा और संघर्षपूर्ण साबित होगा। यदि आप व्यापार या धंधे से जुड़े हैं तो बड़े आर्थिक निवेश के मामले में सावधानी रखें। पिछले पखवाड़े में सूर्य और मंगल आपकी राशि से सप्तम भाव में से भ्रमण करेंगे। इस समय आपको बहुत सावधान रहना होगा। इस समय आपको अपने सार्वजनिकजीवन में तकलीफें रहेंगी, संघर्ष होंगे तथा किसी के साथ वाद-विवाद होगा। अचानक तनाव आने की संभावना है। पत्नी, भागीदार के साथ या भागीदारी में कोई समस्या होगी। इस समय आपको हर विषय में बहुत शांति से निर्णय लेने चाहिए। सोच-समझकर कर धैर्यपूर्वक काम करें। जल्दबाजी में निर्णय लेने से नुकसान होगा। बेकार के उद्यम मत करें। कोर्ट कचहरी के मामलों में बहुत विवाद और संघर्ष के बाद विजय प्राप्ति होगी। शेयर बाजार, सट्टे, जुए, और वायदे में पैसे का निवेश मत करें। महीने के अंतिम सप्ताह में शुक्र आपके पंचम स्थान में रहेगा जिसके कारण प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए यह समय बेहतर रहेगा। कम्युनिकेशन से संबंधित क्षेत्र में नौकरी अथवा फुटकर काम करने वाले जातक उत्तम प्रगति कर सकेंगे। महीने के अंतिम दिनों में विशेष रूप से मौसमी और जलजनित बीमारी होने की संभावना है।
व्यवसाय एवं करियर- व्यवसायिक प्रगति के लिए आपको काफी मेहनत करनी होगी। विरोधी लोग आपको हानि पहुंचाने की नीयत से घात लगाकर बैठे हो सकते हैं। समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत आपकी निश्चित रूप से प्रगति होगी। पर आपको अपने काम व प्रोडक्ट की गुणवत्ता को लेकर किसी प्रकार के भ्रम में नहीं रहना चाहिए। सरकारी नौकरी में तारीख15 तक कोई शुभ समाचार या मौका मिल सकता है। नौकरी में विपरीत लिंगी जातक आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
धन एवं वित्त-धन का प्रवाह रूक-रूक कर होगा। आपके धन स्थान का मालिक इस समय लाभ स्थान में होने से आपके प्रयासों के सफल रहने पर भी धन स्थान में शनि के कारण अपेक्षा से कम धन मिलने से आपमें निराशा आ सकती है। नौकरी कर रहे लोगों को सरकारी कामकाज,बौद्धिक प्रतिभा के कार्यों, शिक्षण और एकाउंट्स वगैरह में अनुकूलता रहेगी। तारीख 15 के बाद भागीदारी से जुड़े निर्णय लेने में संयम बरतें।
स्वास्थ्य-इस महीने आपका स्वास्थ्य नरम-गरम रहेगा। महीने के शुरू में आपको पेट से जुड़ी पीड़ा, सांस फूंलने, रक्त विकार, वायु विकार, लीवर से जुड़ी समस्या और चेतनातंत्र से जुड़ी फरियादें हो सकता हैं। इसके अलावा, चोट लगने की भी आशंका रहेगी। जीवन साथी का ढीला स्वास्थ्य भी आपको चिंतित रखेंगा। काम के अति भार का असर आपकी सेहत पर भी दिखाई देने की आशंका है।

Wednesday 3 May 2017

सिंह मई 2017 मासिक राशिफल

महीने के पूर्वार्ध में मित्रों से मिलने जाएंगे। यदि कोई उधारी का पैसा रुका हुआ हो तो वह मिलेगा। इससे आपकी पैसे की तंगी दूर होती महसूस होगी। यदि मन में कोई इच्छा है तो वह भी पूरी होगी। हो सके वहां तक बाहर का खाना खाने से बचें। मन बैचेनी का अनुभव करेगा। गलतफहमियों के कारण अविश्वास पैदा होगा और इसके कारण पति-पत्नी अथवा परिवार के सदस्यों के बीच विवाद होने की संभावना है। हालांकि, उसके बाद के समय में यदि परिवारजनों अथवा जीवनसाथी के साथ कोई मनमुटाव हो तो वह भी दूर होने की संभावना बन रही है। परिवार में सद्भाव लौटने से आपका मन अधिक प्रफुल्लित रहेगा। वसीयत से जुड़े मामलों में भी लाभ होगा। छोटी यात्रा हो सकती है। इस समय विशेष रूप से छाती में दर्द इसके अलावा बीमारी होने की संभावना बनने से स्वास्थ्य की खूब संभाल रखनी पड़ेगी। महीने के उत्तरार्ध में प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ मेल-मिलाप के प्रसंग बनेंगे। सामाजिक रूप से आप अधिक सक्रिय बनेंगे। पाचनशक्ति में तकलीफ होगी जिसके कारण बीमार होने की संभावना रहेगी। परिवारजनों के साथ अथवा जीवनसाथी अथवा नौकरी में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वाद-विवाद होगा। सरकारी कार्यवाही में विंलब होगा। पिता के साथ व्यर्थ वाद-विवाद से बचें।
व्यवसाय एवं करियर- व्यवसायिक मोर्चे पर शुरू-शुरू में सामान्य स्थिति रहेग। पर तारीख 15 के बाद प्रगति दिखाई देगी। सरकारी कार्यों, सरकारी नौकरी, रियल एस्टेट, कृषि, समुंदर पार के कामकाज, इलेक्ट्रॉनिक चीजों और वाहन की खरीद-फरोख्त में सिद्धि हासिल कर सकेंगे। भागादारी के कार्यों में भारी परिवर्तन की संभावना है। नयी भागीदारी या करार करते समय जरा-सी भी असावधानी नहीं बरतने की सलाह है।
धन एवं वित्त- आप अपनी वाणी के प्रभाव से धन की वसूली करेंगे। रुपयों की वसूली को लेकर प्रवास के लिए सही समय है। भाग्य आपके साथ रहेगा। व्यवसायिक खर्च की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। उत्तरार्ध का समय बेहतर रहेगा। इस समय के दौरान पारिवारिक खर्च अधिक रहने की संभावना है। ससुराल पक्ष और जीवनसाथी के नाम किए हुए निवेश से लाभ होने की संभावना है।
स्वास्थ्य-आपके स्वास्थ्य में किसी प्रकार की बड़ी समस्या नजर नहीं आती। पर मानसिक रूप से सकारात्मक बने रहे अन्यथा बुरे विचार आपके शरीर पर अपना प्रतिकूल असर दिखा सकते हैं। इस समय गुप्त भागों की समस्या और त्वचा की बीमारी आपकी चिंता बढ़ा सकते हैं।संतान प्राप्ति के मामलों के इस समय हल होने की संभावना कम है। महीने के अंतिम सप्ताह में गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।

कर्क मई 2017 मासिक राशिफल

इस महीने के प्रारंभिक दो दिनों में आपमें मानसिक बैचेनी रहेगी। हांलाकि, उसके बाद स्थिति में उल्लेखनीय सकारात्मकता आएगी। बिजनेस से जुड़े व्यक्तियों को यात्रा करनी पड़े ऐसी संभावना है। दूसरे सप्ताह में विशेषकर मशीनरी में कामकाज, वाहन चलाने सहित किसी भी कामकाज में चोट लगने की संभावना होने से सावधानी रखें। नौकरीपेशा लोग का स्थानांतरण अथवा किसी भी प्रकार का परिवर्तन का योग बन सकता है। आपको नए अवसर भी मिल सकते हैं। प्रणय संबंधों में आगे बढ़ने के लिए दूसरे सप्ताह का समय कुल मिलाकर अनुकूल रहेगा। महीने के उत्तरार्ध में सूर्य आपकी राशि से ग्यारहवें स्थान में मंगल के साथ आएगा। इस समय किसी लाभदायी काम की शुरूआत होगी। जन्मभूमि से दूर अथवा विदेश में आपके संपर्क अधिक मजबूत बनेंगे। बुध आपके कार्यक्षेत्र में चल रहा होने से कामकाज में फेरबदल होगा अथवा किसी नई दिशा में आपके आगे बढ़ने की संभावना है। विद्यार्थी जातकों को महीने के उत्तरार्ध में अध्ययन में अधिक सावधानी रखनी पड़ेगी। विवाह के इच्छुक जातकों की तारीख 17 के बाद योग्य व्यक्ति के साथ मुलाकात की संभावना है। महीने के अंतिम दिनों में आपको आकस्मिक चोट से बचने के लिए सावधानी रखने की आवश्यकता है। विशेषकर दूसरों के साथ व्यवहार में गुस्से पर नियंत्रण रखना पड़ेगा।
व्यवसाय एवं करियर- आपके कर्म स्थान में विद्यमान सूर्य, बुध की युति से व्यवसायिक प्रगति अच्छी रहेगी। उसका फल शायद आपको शीघ्र न मिल पाए तो भी आपके लिए परिस्थिति काफी अनुकूल रहेगी। तारीख15 के बाद आयात-निर्यात के कार्यों में, मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छा फायदा मिलेगा। कम्युनिकेशन से संबंधित कार्यों में पहले सप्ताह सचेत रहना होगा। परंतु, उसके बाद का समय बढ़िया रहेगा।
धन एवं वित्त-आपके धन स्थान में ही राहु होने से अवरोधों की आशंका अधिक रहेगी। वसूली के कार्यों में भी विलंब होगा। हालांकि, आपके धन स्थान का मालिक सूर्य पहले पखवाड़े में कर्मस्थान में रहेगा। इस कारण से आपको मेहनत के बल पर थोड़ी कमाई कर सकेंगे। पूर्व के पखवाड़े में आपको बाहरी जगहों से कुछ हद तक कमाई हो सकती है। इस अवधि में आपको शेयर बाजार या सट्टे की प्रवृत्तियों में अविचारपूर्ण निर्णय लेने से भारी नुकसान का सामना होने की संभावना है।
स्वास्थ्य -स्वास्थ्य कल्याण की दृष्टि से मध्यम स्थिति कही जाएगी। कमर में दुखाव हो सकता है। महीने के अंतिम सप्ताह में आकस्मिक चोट की संभावना रहेगी। हाल में रोग का उचित समाधान नहीं मिलने से आप योग्य उपचार से वंचित हो सकते हैं। जो लोग किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं अथवा हड्डियों की कमजोर, गठिया, फेफड़ों से संबंधित रोग से परेशान हैं उनको इस समय अधिक ध्यान रखने का परामर्श है। टीवी व त्वचा की बीमारियों में भी सही दवा लेने में चूक मत करें।

Astrology Sitare Hamare On 03 May 2017

Tuesday 2 May 2017

वृषभ मई 2017 मासिक राशिफल

इस समय के दौरान आपका चंद्र ग्यारहवें भाव से भ्रमण करेगा। इसके अलावा व्यय स्थान में बुध और सूर्य की युति है। सप्ताह के मध्य में चंद्रमा तृतीय स्थान से भ्रमण करेगा। छोटी यात्रा का योग बन रहा है। मित्रों के साथ मुलाकात की संभावना बढ़ेगी। पड़ोसी के साथ आपके संबंध बढ़िया रहेंगे। इस समय के दौरान आप अपने शत्रु पर दबाव ला सकेंगे। नयी वस्तु खरीदी कर सकते हैं। व्यापार में आर्डर अधिक मिल सकेंगे, परंतु आपको मात्रा से अधिक ध्यान गुणवत्ता पर देना होगा। मुनाफे का प्रतिशत कम रखें। आप अपना कामकाज सावधानीपूर्वक करते हुए आगे बढ़ेंगे। आप किसी नये क्षेत्र में हाथ आजमाएंगे और सफलता प्राप्त कर सकेंगे। इस सप्ताह के दौरान कामकाज – खरीदी आदि में व्यस्त रहेंगे। हांलाकि, संतान कैरियर में प्रगति करेगी जिससे आपका मन प्रफुल्लित होगा। सगे-संबंधी मित्रमंडली में भेंट-उपहार का आदान-प्रदान होगा। पुराने संबंध ताजा होंगे। इस समय विशेषकर कोर्ट-कचहरी और सरकारी विषयों में अवरोध की संभावना रहेगी। सरकारी नौकरी में रुचि रखने वाले जातकों को भी थोड़ा संभलना पड़ेगा। आप कामकाज में खूब उत्साह और जोशपूर्वक काम करेंगे। दांपत्य संबंधों में गुस्से पर नियंत्रण रखेंगे तो संबंधों का आनंद उठा सकेंगे। कुल मिलाकर, शुभ सप्ताह रहेगा।
व्यवसाय एवं करियर- व्यवसाय में आपको लोगों की कुटिल नीयत का शिकार होने से बचना होगा। व्यवसाय में सरकारी या कानूनी कार्यों के प्रथम पखवाड़े में खर्च बढ़ेंगा। उसमें सफलता नहीं मिलेगी। हालांकि, 15 तारीख के बाद स्थिति सुधरेगी। रियल एस्टेट, कृषि, इलेक्ट्रोनिक चीजों वगैरह के कार्यों में 15 तारीख के बाद तेजी दिखाई देगी। हालांकि, भागीदारी के कार्यों में आपको अपने व्यवहार पर अंकुश रखना पड़ेगा।
धन वित्त-इस महीने आपकी आमदनी की तुलना में खर्च का प्रमाण अधिक रहेगा। कानूनी और सरकारी मामलों के पीछे खर्च अधिक रहेगा। वसीयत संबंधी मिल्कीयत के प्रश्नों के हल होने की संभावना कम है। निवेश के मामले में आपके द्वारा गलत निर्णय लिए जाने की संभावना में वृद्धि होगी। इस समय आप वाहन और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की खरीद और मेंटेनेंस के पीछे खर्च की संभावनाओं में वृद्धि होगी।
स्वास्थ्य- इस महीने के शुरू के पखवाड़े में आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होगा। जिनको ब्लडप्रेशर,माथे में दुखाव, वाणी या कंठ से संबंधित समस्या, त्वचा रोग और गुप्त भागों में पीड़ा हो उनको उपचार में विशेष ध्यान रखना चाहिए। महीने के उत्तरार्ध में बिजली के करंट, आकस्मिक चोट, रक्त परिभ्रमण से संबंधित समस्या, अस्थि भंग का खतरा होने से निरर्थक उतावली करने की बेवकूफी नहीं करें।

मेष मई 2017 मासिक राशिफल

महीने के प्रारंभ में सूर्य मेष राशि में होने से आर्थिक विषयों तथा संतान के लिए शुभ परिणाम प्रदान करेगा। यदि संतान पढ़ाई करती होगी तो किसी भी विषय में गहन अध्ययन करने के लिए प्रेरित होगी। वृषभ राशि में होने से आपकी शारीरिक तथा मानसिक स्थिति मजबूत रहेगी। आर्थिक मोर्चे पर विशेषकर थोड़ी चिंता हो सकती है जिसमें मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक चीजों, खेती, औजारों, वाहन आदि में किसी भी कारण से खर्च बढ़ने से आपकी आर्थिक योजना डाँवाँडोल हो सकती है। सेल्स और मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों से जुड़े जातकों को विशेषकर वाणी में उग्रता पर नियंत्रण करना होगा। बुध मेष राशि में होने से फिलहाल प्रोफेशनल मोर्चे पर आपकी प्रगति मध्यम रहेगी। छठे स्थान में स्थित गुरु के कारण भाग्यवृद्धि में अवरोध के साथ प्रगति होगी। इस समय जिन्हें मोटापा, डायाबिटीज, पाचन संबंधीं तकलीफें हों, उन्हें स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। मीन राशि में स्थित उच्च के शुक्र के कारण विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति आकर्षण अधिक रहेगा और विपरीत लिंग वाले व्यक्तियों के ऊपर आप आवश्यकता से अधिक खर्च करेंगे। फिलहाल, अनैतिक संबंधों की संभावना अधिक रहेगी। महीने के उत्तरार्ध में सूर्य राशि बदलकर वृषभ में जाएगा और मंगल के साथ युति करेगा। आर्थिक विवादों में अधिक जटिल स्थिति बन सकती है। इस समय आपकी बचत खर्च हो जाने की संभावना रहेगी। विद्यार्थी जातकों की बौद्धिकता अभी बढ़िया रहेगी, इससे हर विषय को बढ़िया तरीके से समझ सकेंगे। महीने के अंतिम सप्ताह में मंगल आपके पराक्रम भाव में आएगा जो नये उद्यम करने के लिए प्रेरित करेगा। स्पोर्ट्स से जुड़े जातकों का परफॉरमेंस बेहतर होगा।
व्यवसाय एवं करियर- महीने के पहले पखवाड़े में विद्वानों व उच्चपदस्थ अधिकारियों या प्रभावशाली लोगों के साथ मुलाकात और उनके साथ बने संबंध आपको व्यवसायिक मोर्चे पर भी लाभ दिला सकते हैं। हालांकि, शेयर बाजार और सट्टे की प्रवृत्तियों से पूरी तरह से दूर रहिए। बौद्धिक प्रतिभा के कार्यों में आपको प्रथम सप्ताह में आपको पीछे हटना पड़ सकता है। सृजनात्मक क्षेत्रों में आपकी कल्पनाशक्ति आपका कम साथ देती महसूस होगी।
धन एवं वित्त-इस महीने में खासकर कि वस्त्र, आभूषण और सौंदर्य प्रसाधन की खरीदी, मौजमस्ती और भोग-विलास और मनोरंजन के पीछे खर्च अधिक रहेंगे। वहीं आपकी इनकम फिक्स रहेगी। दिनांक 15 तक आप अपने प्रियजनों के लिए उपहार इत्यादि में धन खर्च कर सकते हैं। प्रथम पखवाड़े में ऊपरी वर्ग अथवा वसीयत की संपत्तियों द्वारा लाभ होने की संभावना है। लोन या वसूली के कार्यों में आपकी आवेशपूर्ण वाणी मुश्किलें पैदा कर सकती है।
स्वास्थ्य- इस महीने के शुरू के चरणों में आपको अपने स्वास्थ्य की विशेष सावधानी रखनी होगी। वजह यह है कि आपके रोग स्थान में वक्री गुरू, व्यय स्थान में शुक्र और लग्न स्थान में वक्री बुध है। खासकर कि त्वचा की समस्या, डायबिटीज और मोटापे से जुड़े प्रश्न,कूल्हे के भागों में दुखाव वगैरह की प्रबल संभावना है। संतान के स्वास्थ्य की चिंता भी आपको परेशान रखेंगी। संतान संतति से संबंधित मामलों के इस दौरान हल होने की संभावनाए उतनी नहीं है।

Astrology Sitare Hamare On 02 May 2017

Wednesday 26 April 2017

जन्म दशा से जुड़ा पंचम, नवम व द्वादश भावों का संबंध

हिंदू ज्योतिष कर्म तथा पुनर्जन्म के सिद्धांत पर आधारित है। यह तथ्य प्रायः सभी ज्योतिषी तथा ज्ञानीजन अच्छी तरह से जानते हैं। मनुष्य जन्म लेते ही पूर्व जन्म के परिणामों को भोगने लगता है। जैसे फल फूल बिना किसी प्रेरणा के अपने आप बढ़ते हैं उसी तरह पूर्वजन्म के हमारे कर्मफल हमें मिलते रहते हैं। हर मनुष्य का जीवन पूर्वजन्म के कर्मों के भोग की कहानी है, इनसे कोई भी बच नहीं सकता। जन्म लेते ही हमारे कर्म हमें उसी तरह से ढूंढने लगते हैं, जैसे बछड़ा झुंड में अपनी मां को ढूढ़ निकालता है। पिछले कर्म किस तरह से हमारी जन्मकालीन दशाओं से जुड़ जाते हैं, यह किसी भी व्यक्ति की कुंडली में आसानी से देखा जा सकता है। कुंडली के प्रथम, पंचम और नवम भाव हमारे पूर्वजन्म, वर्तमान तथा भविष्य के सूचक हैं। इसलिए जन्म के समय हमें मिलने वाली महादशा/ अंतर्दशा/ प्रत्यंतर्दशा का संबंध इन तीन भावों में से किसी एक या दो के साथ अवश्य जुड़ा होता है। यह भावों का संबंध जन्म दशा के किसी भी रूप से होता है - चाहे वह महादशा हो या अंतर्दशा हो अथवा प्रत्यंतर्दशा। दशा तथा भावों के संबंध के इस रहस्य को जानने की कोशिश करते हैं पंचम भाव से। पंचम भाव, पूर्व जन्म को दर्शाता है। यही भाव हमारे धर्म, विद्या, बुद्धि तथा ब्रह्म ज्ञान का भी है। नवम भाव, पंचम से पंचम है अतः यह भी पूर्व जन्म का धर्म स्थान और इस जन्म में हमारा भाग्य स्थान है। इस तरह से पिछले जन्म का धर्म तथा इस जन्म का भाग्य दोनों गहरे रूप से नवम भाव से जुड़ जाते हैं। यही भाव हमें आत्मा के विकास तथा अगले जन्म की तैयारी को भी दर्शाता है। जिस कुंडली में लग्न, पंचम तथा नवम भाव अच्छे अर्थात मजबूत होते हैं वह अच्छी होती है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण के अनुसार ”धर्म की सदा विजय होती है“। द्वादश भाव हमारी कुंडली का व्यय भाव है। अतः यह लग्न का भी व्यय है। यही मोक्ष स्थान है। यही भाव पंचम से अष्टम होने के कारण पूर्वजन्म का मृत्यु भाव भी है। मरणोपरांत गति का विचार भी फलदीपिका के अनुसार इसी भाव से किया जाता है। दशाओं के रूप में कालचक्र निर्बाध गति से चलता रहता है। ”पद्मपुराण“ के अनुसार ”जो भी कर्म मानव ने अपने पिछले जन्मों में किए होते हैं उसका परिणाम उसे भोगना ही पड़ेगा“। कोई भी ग्रह कभी खराब नहीं होता, ये हमारे पूर्व जन्म के बुरे कर्म होते हैं जिनका दंड हमें उस ग्रह की स्थिति, युति या दशा के अनुसार मिलता है। इसलिए हमारे सभी धर्मों ने जन्म मरण के जंजाल से मुक्ति की कामना की है। जन्म के समय पंचम, नवम और द्वादश भावों की दशाओं का मिलना निश्चित होता है।

Astrology Sitare Hamare On 26 April 2017

Saturday 22 April 2017

आजीविका में गुरू का प्रभाव

गुरू को सत्वगुणी ग्रह  माना जाता है. यह ज्ञान व भाग्य का प्राकृति स्वामी ग्रह माना जाता है. ज्योतिषशास्त्र में इसे धन का कारक भी कहा गया है. आजीविका का सम्बन्ध धन व आय से होता है. इस लिहाज से गुरू का सम्बन्ध आजीविका स्थान यानी दसवें घर से होने पर शुभ फलदायी माना जाता है.
गुरू से सम्बन्धित आजीविका के क्षेत्र

गुरू ग्रह से सम्बन्धित आजीविका के क्षेत्रों में शिक्षण और शिक्षण संस्थानों से सम्बन्धित कार्यों को रखा गया है. इसका कारण यह है कि गुरू ज्ञान और विद्वता का स्वामी होता है. इनके अलावा फाईनेंस से जुड़े क्षेत्र जैसे बैंक, शेयर का काम, धन लेन-देन का काम भी गुरू के प्रभाव में आता है. आजीविका के विषय में गुरू की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि दसवें घर में अगर यह शुभ होकर बैठा है तो उच्चाधिकारी बनाता है. अगर आपकी कुण्डली में गुरू उच्च राशि में, मित्र राशि में अथवा स्वराशि में बैठा है तो आप जहां भी कार्य करेंगे अपने विभाग में उच्च पद तक जा सकते हैं. विदेशों मामलों के अधिकारी, राजदूत, वकील और जज का पेशा भी गुरू की स्थिति के अनुसार सफलता देने वाले होते हैं.
गुरू एवं अन्य ग्रहों के सम्बन्ध से आजीविका

आजीविका स्थान में गुरू के साथ अन्य ग्रह होने पर यह बात ज्यादा खुलकर सामने आती है कि आपको आजीविका हेतु किस क्षेत्र में प्रयास करना चाहिए. आपकी कुण्डली में गुरू किस ग्रह के साथ बैठा है अथवा उनका सम्बन्ध किन ग्रहों से बन रहा है इस बात को ध्यान में रखते हुए अगर अपनी आजीविका का चयन करेंगे तो संभव है कि आप जल्दी और आसानी से कामयाबी की तरफ आगे बढ़ेंगे. इस आधार पर आप देख सकते हैं कि आपकी कुण्डली में अगर-

गुरू व सूर्य का सम्बन्ध
गुरू व सूर्य का सम्बन्ध है तो आपको सरकारी क्षेत्र में उच्च पद प्राप्ति हेतु प्रयास करना चाहिए. अगर आप कानून विषय में शिक्षा ग्रहण करेंगे तो जज अथवा सरकारी वकील बन सकते हैं. राजदूत, जिलाधिकारी एवं सरकार से सम्बन्धित सभी उच्च पद पर आप विराजमान हो सकते हैं. राजनीति में रूचि होने पर आप मेयर, मुखिया एवं मंत्री पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं.

गुरू व चन्द्र का सम्बन्ध
दसवें घर में स्थित गुरू का सम्बन्ध अगर आजीविका स्थान से है तो व्यावसियक क्षेत्रों में आपको आपको अच्छी सफलता मिल सकती है. मिठाईयों का कारोबार एवं दूध व दूध से बने पदार्थों का कारोबार आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. आपके लिए खेती से सम्बन्धित कार्य भी लाभकारी रह सकता है. अगर आप व्यवसाय की बजाय नौकरी करना पसंद करते हैं तो सरकारी नौकरी पाने के लिए आपको प्रयास करना चाहिए. अगर लगन पूर्वक प्रयास करेंगे तो इसमें सफलता मिलने की संभावना प्रबल रहेगी. इन दोनों ग्रहों का सम्बन्ध गीत-संगीत में भी सफलता दिलाने वाला होता है अत: आप चाहें तो संगीतकार बन सकते हैं. अगर मैरिज ब्यूरो का काम करेंगे तो उसमें भी आप सफल होंगे

गुरू व मंगल का सम्बन्ध (Relationship of Jupiter and Mars)
दसम भाव में गुरू व मंगल का सम्बन्ध ज्ञान के साथ ही साथ उर्जा व शक्ति भी देता है जिससे आप सेनाधिकारी बन सकते हैं. पुलिस कप्तान, रेलवे अधिकारी एवं अग्नि शमन विभाग में कार्य कर सकते हैं. धातु की मूर्तियों का काम एवं ज्वेलरी का व्यवसाय आपके लिए फायदेमंद हो सकता है.

गुरू व बुध का सम्बन्ध
कुण्डली में अगर गुरू के साथ बुध का सम्बन्ध बन रहा है तो कला के किसी क्षेत्र में अपनी आजीविका की तलाश कर सकते हैं. लेखन के अलावे प्रिंटिग व प्रेस का काम को कामयाबी दिला सकता है. आप चाहें तो प्रोफेशनल फोटोग्राफर बनकर ख्याति और धन कमा सकते हैं. नौकरी के लिहाज से आपके लिए इंश्योरेंश, बैंक की नौकरी एवं अकाउंटेंट का काम उत्तम रह सकता है.

गुरू व शुक्र का सम्बन्ध
गुरू और शुक्र यूं तो शत्रु ग्रह हैं परंतु दोनों ही नैसर्गिक शुभ ग्रह हैं. अगर दसवें घर में दोनों ग्रहों के बीच युति सम्बन्ध बन रहा हो तो कला जगत यानी फिल्म, स्टेज एवं टेलीविजन की दुनियां में नाम कमा सकते हैं. इन से सम्बन्धित क्षेत्रों में आप नौकरी भी कर सकते हैं. रेडियो जॉकी बनने हेतु भी आप कोशिश कर सकते हैं. व्यवसाय की दृष्टि से रेशमी वस्त्रों का कारोबार, फूलों का कारोबार एवं पर्फ्युम  का कारोबार फायदेमंद रहेगा.

गुरू व शनि का सम्बन्ध
आजीविका स्थान में गुरू व शनि के मध्य सम्बन्ध होने से आजीविका की दृष्टि से खेती से जुड़ा कार्य फायदेमंद होता है. पशुपालन भी लाभदायक रहता है. किराना दुकान एवं गेहूं के व्यापार में दिनानुदिन तरक्की होती है. शिक्षण के क्षेत्र में भी आप सफल हो सकते हैं.

गुरू व राहु का सम्बन्ध
नवीन तकनीकों से जुड़ा कार्य एवं आटो मोबाईल का काम इन दोनों ग्रहों का दसम भाव से सम्बन्ध होने पर लाभकारी होता है. आजीविका की दृष्टि से मुद्रा परिवर्तन एवं ज्योतिषी का काम भी फायदेमंद रहता है.

गुरू व केतु का सम्बन्ध
कुण्डली के दसवें घर में गुरू बैठा हो और साथ में केतु भी हो तो आजीविका के तौर पर कॉस्मैटिक्स का कारोबार करना लाभप्रद होता है. दवाईयों का कारोबार एवं रसायन से सम्बन्धित काम भी उन्नति देता है. धर्मिक संस्थानों के नेता के रूप में आजीविका अच्छी रहती है. अगर आपकी कुण्डली में इन दोनों ग्रहों की युति है तो आप गुप्तचर भी बन सकते हैं.

कुंडली में रुचक योग

मंगल अपनी उच्च राशि, मूल त्रिकोण अथवा स्वराशि में होने पर रूचक योग का निर्माण करता है.ज्योतिषशास्त्र में पंच महापुरूष नामक योग के अन्तर्गत इस योग का उल्लेख किया गया है.
मेष लग्न में रूचक योग -
मेष लग्न का स्वामी मंगल कुण्डली में दशम भाव में उच्च राशि मकर में स्थित होता है तो रूचक योग बनता है.यह योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है उसमें आत्मबल और आत्मविश्वास होता है.इन्हें रक्षा विभाग, अस्त्र शास्त्र के कारोबार, सेना, पुलिस एवं कांच के व्यापार में उत्तमता प्राप्त होती है.इस योग के कारण माता एवं पत्नी को कष्ट का सामना करना होता है. कर्क लग्न की कुण्डली में सप्तम एवं दशम भाव में यह योग बनता है.इस लग्न वालों की कुण्डली में यह उत्तम राज योग का निर्माण करता है.इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को राजनीति एवं कारोबार में अच्छी सफलता मिलती है.इस योग के प्रभाव से उत्तम संतान सुख प्राप्त होता है.
सिंह लग्न में रूचक योग - ...............
सिंह लग्न की कुण्डली में मंगल चतुर्थ भाव में वृश्चिक राशि में स्थित होकर रूचक योग का निर्माण करता है.इस लग्न में मंगल योग कारक होता है.इस योग के निर्मित होने से यह भाग्य को प्रबल बनता है.व्यक्ति को यश और मान सम्मान प्रदान करता है.व्यक्ति भूमि और भवन का स्वामी होता है.गृहस्थ जीवन में जीवनसाथी से मतभेद होता है.
कुम्भ लग्न में रूचक योग -
कुम्भ लग्न की कुण्डली में मंगल दशमेश होता है.इस लग्न में मंगल स्वगृही होने पर इस योग का निर्माण करता है.इस योग के प्रभाव से व्यक्ति परिश्रमी और स्वनिर्मित धनी होता है.भाईयों से इन्हें विशेष सहयोग नहीं मिलता है.व्यवसाय में इन्हें विशेष सफलता मिलती हैं.इनमें नेतृत्व का विशेष गुण होता है.
वृष लग्न में रूचक योग -
मंगल वृष लग्न की कुण्डली में सप्तम भाव में रूचक योग का निर्माण करता है.इस योग के कारण व्यक्ति अत्यधिक साहसी और आत्मविश्वासी होता है.अपने साहस और परक्रम के कारण दूसरों पर वर्चस्व बनाये रखने की कोशिश करता है.मंगल सप्तम में स्थित होने से मंगलिक दोष भी बनता है जिसके कारण वैवाहिक जीवन का सुख प्रभावित होता है.जीवनसाथी से वैमनस्य होता है.यह जीवनसाथी को रोग और कष्ट देता है.यह योग सेना एवं पुलिस विभाग में उन्नति प्रदान करता है.
तुला लग्न में रूचक योग -
मंगल तुला लग्न की कुण्डली में चतुर्थ अथवा सप्तम भाव में स्थित होकर रूचक योग बनाता है.इस लग्न में रूचक योग होने पर व्यक्ति परिश्रमी एवं कर्मठ होता है.अपनी मेहनत से भूमि, भवन एवं वाहन सुख प्राप्त करता है.इस योग के शुभ प्रभाव से धन की स्थिति अच्छी रहती है.इस लग्न में रूचक योग मंगलिक दोष भी निर्मित करता है जिससे विवाह में विलम्ब होने की संभावन रहती है.जीवनसाथी से मनमुटाव रहता है.
वृश्चिक लग्न में रूचक योग -
वृश्चिक लग्न की कुण्डली में लग्न में रूचक योग निर्मित होता है.इसके प्रभाव से व्यक्ति साहसी, मेहनती और शारीरिक तौर पर हृष्ट पुष्ट होता है.इन्हें रक्त सम्बन्धी दोष की संभावना रहती है.जीवनसाथी को कष्ट और रोग की संभावना रहती है.लग्नस्थ मंगल वैवाहिक जीवन के सुख में न्यूनता लता है.साहसिक कार्यों में सफलता प्रदान करता है.स्वर्ण से सम्बन्धित कारोबार विशेष लाभप्रद होता है.
मकर लग्न में रूचक योग -
मकर लग्न की कुण्डली में मंगल लग्न अथवा चतुर्थ भाव में इस योग का निर्माण करता है.दोनों ही स्थिति में मंगलिक दोष बनता है.कुण्डली में यह योग उपस्थित होने से भौतिक सुख प्राप्त होता है.भूमि एवं वाहन का स्वामित्व प्राप्त होता है.माता से लाभ मिलता है.

कुंडली में शनि राहु का संबंध

राहु का नाम केतु के साथ लिया जाता है परंतु इन दोनों ग्रहों में जितना विभेद है उतनी ही समानता राहु एवं शनि में है. शनि और राहु इन दोनों ग्रहों को पाप ग्रह के रूप में माना जाता है. ज्योतिषशास्त्र में शनि और राहु को एक विचार एवं गुणों वाला भी माना गया है. आमतौर पर इन दोनों ही ग्रहों को दु:ख एवं कष्ट का कारक समझा जाता है. लेकिन, ये दोनों ही ग्रह कुण्डली में बलवान हों तो राजयोग के समान फल देते हैं | राहु केतु में कुछ समानता हैं तो कुछ विभिन्नताएं भी हैं फिर भी ज्योतिषशास्त्र के बहुत से विद्वानों की सामान्य धारण है कि शनि एवं राहु एक समान ग्रह हैं. दोनों ही ग्रह एक समान फल देते हैं.
शनि राहु में समानता
शनि एवं राहु दोनों ही कार्मिक ग्रह माने जाते है . कर्मिक का अर्थ होता है कर्म के अनुरूप फल देने वाला. नवग्रहों में शनि देव को दण्डनायक का पद प्राप्त है जो व्यक्ति को उनके पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार सजा भी देते हैं और पुरष्कार भी. राहु का फल भी शनि की भांति पूर्व जन्म के अनुसार मिलता है. राहु व्यक्ति के पूर्व जन्म के गुणों एवं विशेषताओं को लेकर आता है.
शनि एवं राहु दोनों ही ग्रह दु:ख, कष्ट, रोग एवं आर्थिक परेशानी देने वाले होते हैं. परंतु, जन्मपत्री में ये दोनों अगर शुभ स्थिति में हों तो बड़े से बड़ा राजयोग भी इनके समान फल नहीं दे सकता. यह व्यक्ति को प्रखर बुद्धि, चतुराई, तकनीकी योग्यता प्रदान कर धन-दौलत से परिपूर्ण बना सकते हैं. ऊँचा पद, मान-सम्मान एवं पद प्रतिष्ठा सब कुछ इन्हें प्राप्त होता है.
शनि राहु में भेद
शनि राहु में कुछ समानताएं हैं तो इनमें अंतर भी हैं. शनि का भौतिक अस्तित्व है अर्थात यह पिण्ड के रूप में मौजूद हैं जबकि राहु एक आभाषीय बिन्दु है इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है. मकर एवं कुम्भ इन दोनों राशियों का स्वामित्व शनि को प्राप्त है जबकि राहु की अपनी कोई राशि नहीं है. राहु जिस राशि में बैठता है उसे अपने अधिकार में कर लेता है. शनि देव की गति मंद होने के कारण शनि का फल विलम्ब से अथवा धीरे-धीरे प्राप्त होता है जबकि राहु जल्दी फल देने वाला ग्रह है . यह एक पल में अमीर बना देता है तो दूसरे ही पल कंगाल बनाने की भी योग्यता रखता है. शनि देव का गुण है कि यह व्यक्ति को ईमानदारी एवं मेहनत से आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं तो राहु चतुराई एवं आसान तरीकों से सफलता पाने का विचार उत्पन्न करता है.
शनि राहु में विभेद के साथ समानता
शनि एवं राहु में एक बहुत ही रोचक विभेद एवं समनता है. राहु वृष राशि में उच्च का होता है और वृश्चिक में नीच का तो शनि तुला में उच्च होते हैं एवं मेष में नीच होते हैं. इस तरह दोनों ही शुक्र की एक राशि में उच्च के होते हैं और मंगल की एक राशि में नीच के हो जाते हैं.

विदेश में नौकरी एवं आजीविका का साधन


विदेश में नौकरी एवं आजीविका की चाहत आज के युवाओं की पहली पसंद बन गई है. ऊँची डिग्रियां लेने के बाद ख्वाहिश यही होती है कि वह विदेश जाकर खूब कमाएं. लेकिन, विदेश जाने का अवसर मिलेगा अथवा नहीं यह आपकी किस्मत पर निर्भर करता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली में ग्रहों की स्थिति एवं योग यह तय करते हैं कि वह विदेश जाएगा या नहीं. अगर विदेश यात्रा के योग बलशाली नहीं हैं तो व्यक्ति के विदेश जाने की संभावना कम रहती है. जिनकी कुण्डली में विदेश यात्रा के योग कमज़ोर होते हैं उन्हें विदेश में वह सफलता नहीं मिलती है जिनकी ख्वाहिश वह रखते हैं.

विदेश में जाकर धन कमाने के योग
ज्योतिषशास्त्र में विदेश यात्रा या यूं कहिए विदेश जाकर धन कमाने के लिए कुछ ग्रह स्थितियों का उल्लेख किया गया है. कुण्डली में ग्रह स्थितियों की जांच करके यह पता किया जा सकता है कि आपको विदेश जाने का मौका मिलेगा या नहीं हैं. ज्योतिष के नियम के मुताबिक दूसरे भाव का स्वामी विदेश भाव यानी बारहवें घर में होने पर व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपनी प्रतिभा से कामयाबी प्राप्त करता है यही स्थिति तब भी बनती है जब तीसरे घर का मालिक अर्थात तृतीयेश द्वादश स्थान में होता है.
कुण्डली के बारहवें घर में पाचवें घर का स्वामी बैठा है तो इसे भी विदेश यात्रा का योग बनता है. पंचम भाव में तृतीयेश अथवा द्वादशेश बैठा हो एवं बारहवें भाव में पंचमेश विराजमान है या फिर बारहवें या पांचवें भाव में इन ग्रहों की युति बन रही हो तो विदेश में धन कमाने की अच्छी संभावना रहती है. भग्य भाव का स्वामी जन्म कुण्डली में बारहवें घर में हो एवं दूसरे शुभ ग्रह नवम भाव को देख रहे हों तो जन्म स्थान की अपेक्षा विदेश में आजीविका की संभावना को बल मिलता है. चतुर्थ अथवा बारहवें भाव में से किसी में चर राशि हो और चन्द्रमा से दशवें घर में सूर्य एवं शनि की युति हो तो विदेश जाकर धन कमाने के लिए यह योग भी काफी अच्छा माना जाता है. आपका जन्म मकर लग्न में हुआ है और लग्नेश शनि छठे भाव में बैठा है तो विदेश में जाकर धन कमा सकते हैं अथवा विदेशी स्रोतों से धन का लाभ हो सकता है. इसी प्रकार का फल उन मेष लग्न वालों को मिलता है जिनकी कुण्डली में लग्नेश मंगल छठे घर में विराजमान होता है. विदेश जाकर धन कमाने के लिए एक सुन्दर योग यह है कि शुक्र दूसरे घर में मेष, वृश्चिक, मकर, कुम्भ अथवा सिंह राशि में हो तथा बारहवें घर का स्वामी शुक्र के साथ युति अथवा दृष्टि सम्बन्ध बनाये. इनमें से कोई भी योग आपकी कुण्डली में बनता है तो विदेश जाने का आपको मौका मिल सकता है तथा विदेश में आप धन कमा सकते हैं.

विदेश यात्रा योग का फल
कुण्डली में विदेश यात्रा के योग होने पर भी जरूरी नहीं कि आपको विदेश जाने का अवसर मिलेगा. इस विषय में ज्योतिषीयों का मत है कि योग अगर कमज़ोर हैं तो विदेश में आजीविका की संभावना कम रहती है इस स्थिति में हो सकता है कि व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपने ही देश में नौकरी अथवा कोई व्यवसाय करे.

क्या आपकी सफलता में सहायक होगा अच्छे गुरू का साथ -


किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा ग्रहण करने से लेकर जीवन में सफलता प्राप्त करने तक एक गुरू का होना आवष्यक है। मार्गदर्षन हेतु गुरू का साथ महत्वपूर्ण होता है। कहा जाता है कि प्रथम गुरू माता होती है जोकि संसार से परिचित कराती है उसी प्रकार जीवन में यष व उन्नति प्राप्ति हेतु गुरू का साथ जीवन संघर्ष को कम करता है। कई बार व्यक्ति को कोई अच्छा मार्गदर्षन प्राप्त नहीं होता परंतु वह व्यक्ति फिर भी सफलता प्राप्त करने में सफल होता है। किसी व्यक्ति को जीवन में सफलता हेतु गुरू का साथ मिलेगा या उसका गुरू कौन होगा, कब प्राप्त होगा तथा किस सीमा तक सफलता प्राप्ति में सहायक होगा इसका पता व्यक्ति की कुंडली से जाना जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पिति ग्रह को गुरू भी कहा जाता है वहीं जीवन में अध्यापकों, दार्षनिकों, लेखकों आदि को गुरू कहा जाता है। वेद में गुरू को समस्त देवताओं तथा ग्रहों का गुरू माना जाता है। किसी व्यक्ति की सफलता में गुरू का अहम हिस्सा होता है। सामान्यतः जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरू केंद्र या त्रिकोण का स्वामी होता है। विषेषतः मेष, कर्क और वृष्चिक लग्न की कुंडली में गुरू शुभ भावों में स्थित हो तो व्यक्ति को अच्छे गुरू का मार्गदर्षन अवष्य प्राप्त होगा। यदि गुरू पंचम या नवम में स्थित हो तो गुरू की कृपा से भाग्योदय होता है। यदि गुरू चतुर्थ या दषम भाव में हो तो क्रमषः माता-पिता ही गुरू रूप में मार्गदर्षन व सहायता देते हैं। गुरू यदि 6, 8 या 12 भाव में हो तो गुरू कृपा से प्रायः वंचित ही रहना पड़ता है।
यदि गुरू लग्न में अनुकूल हो तो व्यक्ति को स्वयं ही ज्ञान व आध्यात्म के रास्ते पर जाने को प्रेरित करता है। यदि गुरू पर पाप प्रभाव न हो तो व्यक्ति स्व-परिश्रम तथा स्व-प्रेरणा से ज्ञानार्जन करता है। दूसरों को भी मार्गदर्षन देने में सक्षम होता है। अच्छे सलाहकार भी बनने में सफल होता है। यदि गुरू का संबंध तीसरे स्थान या बुध के साथ बनें तो व्यक्ति वाणी के द्वारा मार्गदर्षन में सफल होता है वहीं यदि गुरू का संबंध मंगल के साथ बने तो व्यक्ति कौषल द्वारा मार्गदर्षक बनता है शुक्र के साथ अनुकूल संबंध बनने पर कला या आर्ट के माध्यम से मार्गदर्षक बनता है चंद्रमा के साथ संबंध बनने पर लेखन द्वारा मार्गदर्षन बनता है। अतः गुरू का उत्तम स्थिति में होना अच्छे मार्गदर्षक की प्राप्ति या मार्गदर्षन में सफलता का द्योतक होता है।

Astrology Sitare Hamare On 22 April 2017

Wednesday 19 April 2017

Pisces monthly horoscope for April 2017




It is a long haul for you in April, dear Pisces. There is toil and tasks written for a good part of the month. Saturn posited in the Tenth House will make you realize that there is no substitute for hard work and labor if you wish to be in the forefront. Luckily, influence of Mars will provide necessary energy to work tirelessly for extensive hours. In the next one week, there will be three planets turning retrograde: Venus, Saturn and Mercury. These planetary kaleidoscopes play an important role in every life; these astral configurations carry mystic messages and force that dictate the events unfolding in our day to day existence and should not be glossed over. The retrogression of three planets, in close proximity, also have their purpose in life. This is to give you an opportunity to pause, take two steps behind and reevaluate how you need to progress. Businessmen will need to negotiate aggressively to clinch big deals. However, exercise patience as it may take time to fructify satisfactorily. In the third week, Moon gets posited in your Sign along with exulted Venus, followed by a flurry of cosmic movements. Here you might search for intuition to guide you. The best thing about intuition or sixth sense is that it alerts us to the path, people and circumstances that we may find fulfilling. Now, let’s see what cosmic changes are there, around the month end. Mighty Sun leaves its Sign of exaltation fiery Aries to enter Taurus, in the 3rd House from your Sign. Mercury also re-enters fiery Aries in retrograde mode. Mars enters Gemini, signaling a time of hectic activity. With two major planets, Jupiter and Saturn, along with Mercury in retrogression, time does not seem great. Use this time to examine chinks in your armor, and looks for ways to fill in gaps. Remain disciplined.
Career and Business-A systematic approach to work and planning will bring better growth opportunities for business persons. This month business will be slow-moving. Be prepared for any delay in your deals getting finalized as your planets do not favor this now. You will feel anxious because of this sluggish period. Utilize for making better strategies. Employed one will be motivated to excel in work and give a better output. In spite of extended hours and scheduled deadlines, you will perform with consistency, albeit with difficulties. Be careful about any omissions.
Money and Finance- The month will begin on a pleasant note as you stand to gain handsome monetary benefits. Your financial condition will improve with time and you will be in a cheerful mood. There will be an increase in household expenditure which will be unavoidable. You must not make any plans for major investments as it can leave you high and dry. Towards the mid-month end, there are possibilities of financial crunch as there will be less monetary gains. You must be careful and save some money. The month end will, however, cheer you up with some money coming up your way.
Health issues-No major threat to your physical well-being is portended this month. You will enjoy sound health of the mind and the body. You will feel sprightly and energetic the whole month. This will be seen on your work. Your stars are very favorable to you. Continue with the healthy food habits and the vigorous exercises you have been following. Diabetic patients will have to have a regular check up to keep a tab on fluctuations in blood sugar levels. However, be very vigilant if you are prone issues related to the respiratory system.

Aquarius monthly horoscope for April 2017


Challenges and adversities will dot April, but there will be good times too. Isn’t life always like that! At the beginning of April, your road to progress may seem strewn with stumbling blocks and impediments. This could be a trying time for you. Around Tuesday, dear Venus reenters its Sign of exaltation, dual natured watery Sign Pisces, in retrograde mode. Now Venus exchanges Sign with Jupiter posited in Libra. This change will work well in improving your financial position to some extent. Around midweek, ruler of your Sign Saturn turns retrograde. Mercury follows close on heels. Now it is good time to take a break, reevaluate and reexamine your past deeds and actions and draw up strategies for the way ahead. It is recommended that you need to work in a systematic and methodical manner to achieve desired results. Here, influence of Mars will keep you busy and preoccupied with the job in hand. In the third week, Sun enters a fix natured happy-go-lucky Taurus and gets posited in the Fourth House. The next day Mercury reenters action oriented fiery Sign Aries in retrograde mode. Retrograde Mercury does not support progressive forces. Mars enters Gemini, the 5th House from your Sign. Time for some creative energy! Towards the month end, you may get embarrassingly slow and clumsy. But, exalted Venus helps you come out of this soon, and also boosts you financially. However, while fortunes build up, your relationships slide down. Mars and Saturn posited opposite each other can create pit-holes in a close and meaningful relationship. You might have a challenging time remaining level headed. A peaceful negotiation always goes a long way in building relationships.

Career and Business-Those in employment will be inclined to look for a change of job. Your planets will support your stand. Be careful of any omissions and oversight before submitting your work. Those seeking job for the first time will be lucky. For business person, towering over adversity and moving on the road to progress will prove to be a taxing task at the beginning. But you have to struggle past the hurdles and move. If you feel stuck in your growth, then look back at your past strategies and see where you can improve. Proper communication with staff can give you an edge.

Money and Finances-Financially a very fortunate time has been forecasted as Venus exchanges sign with Jupiter posited in Libra. You will be able to improve your finances through the appropriate strategies. Monetary gains will come your way and you will be able to plan expenses. Do not go overboard, as your gains may not meet your high expectations. This is because crafty Mercury turns retrograde. Towards mid-month, you may experience bouts of anxiety. With proper planning and tightening your purse strings, you will be able to tide over the financial crunch. When Venus enters your sign, you’ll have a huge gain.

Health issues-If you are prone to respiratory troubles, you will have to be careful this month. Watch for any signs indicative of the disease. Avoid exposing yourself to polluted places or dust. Even those prone to stomach disorders need to be watchful for any digestive related issue. Avoid spicy and junk food. You are likely to be affected by a sore throat. Drinking warm water will soothe the throat. An old health issue may crop up. Consult a physician as soon as you notice any symptoms. For others, you will enjoy a good general health.