Wednesday 7 September 2016

संतान हेतु करें सूर्य की पूजा -

वास्तव में योग्य संतान, ऐसी विभूति है जिसपर ईश्वर का आभार व्यक्त करना चाहिए। योग्य संतान, अच्छे प्रशिक्षण के बिना संभव नहीं है। बच्चे वास्तव में ईश्वर की अनुकंपा हैं। वे वास्तव में एक ऐसे सांचे की भांति है जिसे आप जिस रूप में चाहें परिवर्तित कर सकते हैं। बच्चे अच्छे संस्कावार बनें, बुराइयों से दूर रहें तथा कर्मक्षेत्र में सफल होते हैं इसके लिए मां-बाप या प्रशिक्षण करने वालों का दायित्व बनता है कि वे उनका उचित प्रशिक्षण करके उन्हें बुराई से दूर रखें। अतः संस्कारवान तथा आज्ञाकारी संतान के लिए व्यक्ति को अपनी कुंडली का विश्लेषण कराकर देखना चाहिए कि किसी जातक का पंचम भाव व पंचमेश किस स्थिति में है। यदि पंचम स्थान का स्वामी सौम्य ग्रह है और उस पर किसी भी कू्रर ग्रह की दृष्टि नहीं है तो संतान से संबंधित सुख प्राप्त होता है वहीं क्रूर ग्रह हो अथवा पंचमेश छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाए तो संतान से संबंधित कष्ट बना रहता है। यदि कोई जातक लगातार संतान से संबंधित चिंतित है तो पंचम तथा पंचमेश की शांति करानी चाहिए उसके साथ पंचम भाव का कारक सूर्य से संबंधित मंत्रजाप, दान करने से भी संतान से संबंधित सुख प्राप्त होता है। 

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