वैदिक ज्योतिष के अनुसार माणिक्य रत्न, सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है! इस रत्न पर सूर्य का स्वामित्व है! यह लाल या हलके गुलाबी रंग का होता है! यह एक मुल्वान रत्न होता है, यदि जातक की कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव में होता है तो माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए, इसके धारण करने से धारण करता को अच्छे स्वास्थ्य के साथ साथ पद-प्रतिष्ठा, अधिकारीयों से लाभ प्राप्त होता है! शत्रु से सुरक्षा, ऋण मुक्ति, एवं आत्म स्वतंत्रता प्रदान होती है! माणिक्य एक भहुमुल्य रत्न है और यह उच्च कोटि का मान-सम्मान एवम पद की प्राप्ति करवाता है! सत्ता और राजनीती से जुड़े लोगो को माणिक्य अवश्य धारण करना चाहिए क्योकि यह रत्न सत्ता धारियों को एक उचे पद तक पहुचाने में बहुत सहायता कर सकता है!
माणिक रत्न धारण करने की विधि
यदि आप माणिक्य धारण करना चाहते है तो 5 से 7 कैरेट का लाल या हलके गुलाबी रंग का पारदर्शी माणिक्य ताम्बे की या स्वर्ण अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्लपक्ष के प्रथम रविवार के दिन सूर्य उदय के पश्चात् अपने दाये हाथ की अनामिका में धारण करे! अंगूठी के शुधिकरण और प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए सबसे पहले अंगूठी को दूध, गंगाजल, शहद, और शक्कर के घोल में डुबो कर रखे, फिर पांच अगरबत्ती सूर्य देव के नाम जलाए और प्रार्थना करे की हे सूर्य देव मै आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न धारण कर रहा हूँ! मुझे आशीर्वाद प्रदान करे ! तत्पश्चात अंगूठी को जल से निकालकर ॐ घ्रणिः सूर्याय नम: मन्त्र का जाप 108 बारी करते हुए अंगूठी को अगरबती के ऊपर से घुमाये और 108 बार मंत्र जाप के बाद अंगूठी को विष्णु या सूर्य देव के चरणों से स्पर्श करवा कर अनामिका में धारण करे! माणिक्य धारण तिथि से बारह दिन में प्रभाव देना प्रारंभ करता है और लगभग चार वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है फिर निषक्रिय हो जाता है! अच्छे प्रभाव के लिए बन्कोक का पारदर्शी माणिक्य 5 से 7 कैरेट वजन में धारण करे |
क्या माणिक को दुसरे रत्नों के साथ पहन सकते है
माणिक को मोती के साथ पहन सकते हैं और पुखराज के साथ भी पहन सकते हैं। मोती के साथ पहनने से पूर्णिमा नाम का योग बनता है। जबकि माणिक व पुखराज प्रशासनिक क्षेत्र में उत्तम सफलता का कारक होता है। माणिक व मूंगा भी पहन सकते हैं, ऐसा जातक प्रभावशाली व कोई प्रशासनिक क्षेत्र में सफलता पाता है।
इसे पुखराज, मूंगा के साथ भी पहना जा सकता है। पन्ना व माणिक भी पहन सकते है, इसके पहनने से बुधादित्य योग बनता है। जो पहनने वाले को दिमागी कार्यों में सफल बनाता है।
माणिक, पुखराज व पन्ना भी साथ पहन सकते हैं। माणिक के साथ नीलम व गोमेद नहीं पहना जा सकता है। सिंह लग्न में जब सूर्य पंचम या नवम भाव में हो तब माणिक पहनना शुभ रहता है। वृषभ लग्न में सूर्य केंद्र से चतुर्थ का स्वामी होता है अत: सूर्य की स्थितिनुसार इस लग्न के जातक भी माणिक पहन सकते हैं।
इसे पुखराज, मूंगा के साथ भी पहना जा सकता है। पन्ना व माणिक भी पहन सकते है, इसके पहनने से बुधादित्य योग बनता है। जो पहनने वाले को दिमागी कार्यों में सफल बनाता है।
माणिक, पुखराज व पन्ना भी साथ पहन सकते हैं। माणिक के साथ नीलम व गोमेद नहीं पहना जा सकता है। सिंह लग्न में जब सूर्य पंचम या नवम भाव में हो तब माणिक पहनना शुभ रहता है। वृषभ लग्न में सूर्य केंद्र से चतुर्थ का स्वामी होता है अत: सूर्य की स्थितिनुसार इस लग्न के जातक भी माणिक पहन सकते हैं।
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