Monday 19 September 2016

अजा एकादशी व्रत

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा और रात्रि जागरण करते हुए भगवान का ध्यान करने से सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है. शास्त्रों के अनुसार आज ही के दिन राजा हरिश्चंद्र को यह व्रत करने उनका खोया हुआ परिवार और साम्राज्य वापस मिला था.
कैसे करे पूजन और व्रत-विधि...
- अजा एकादशी व्रत को जो व्यक्ति इस व्रत को रखना चाहते हैं उन्हें दशमी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए ताकि व्रत के दौरान मन शुद्ध रहे.
- एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय के समय स्नान ध्यान करके भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाकर, फलों तथा फूलों से भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए.
- भगवान की पूजा के बाद विष्णु सहस्रनाम या फिर गीता का पाठ करना चाहिए.
- व्रती के लिए दिन में निराहार एवं निर्जल रहने का विधान है लेकिन शास्त्र यह भी कहता है कि बीमार और बच्चे फलाहार कर सकते हैं.
- सामान्य स्थिति में रात्रि में भगवान की पूजा के बाद जल और फल ग्रहण करना चाहिए. इस व्रत में रात्रि जागरण करने का बड़ा महत्व है.
- द्वादशी तिथि के दिन प्रातः ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए. यह ध्यान रखें कि द्वादशी के दिन बैंगन नहीं खाएं.
अजा एकादशी का फल
पुराणों में बताया गया है कि जो व्यक्ति श्रृद्धा पूर्वक अजा एकादशी का व्रत रखता है उसके पूर्व जन्म के पाप कट जाते हैं और इस जन्म में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. अजा एकादशी के व्रत से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है और मृत्यु के पश्चात व्यक्ति उत्तम लोक में स्थान प्राप्त करता है.

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