Wednesday 22 February 2017

सफल शिक्षक शिक्षिका बनने के ग्रह योग

शिक्षक का हमारे समाज में महत्वपूर्ण स्थान होता है। किसी भी छात्र को योग्य बनाने व उसको शारीरिक व मानसिक तौर पर सक्षम बनाने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। जैसा कि हमारे शास्त्रों में विदित है माता-पिता के पश्चात वह गुरु ही है जो छात्र का मार्गदर्शन करके उसको भविष्य के लिए तैयार करता है जिससे वह भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सके व उसे सफलता प्राप्त हो सके। अतः गुरु का स्थान देवता से पूर्व कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र में अध्यापन क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिये कुंडली में गुरु तथा बुध का बली होना आवश्यक है। गुरु ज्ञान के कारक माने जाते हैं तथा बुध बुद्धि के कारक होते हैं। कुंडली में इन दोनों ग्रहों की शुभ स्थिति तथा इनका लग्न, धन, विद्या, रोग व सेवा, कर्म, लाभ स्थान से किसी भी प्रकार युति, दृष्टि संबंध स्थापित होने पर व्यक्ति को अध्यापन क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। यदि इस योग में ‘गुरु’ विशेष रूप से बली हैं तो व्यक्ति समाज में विशेष स्थान प्राप्त करता है। यदि लग्न कुंडली के अतिरिक्त नवमांश, दशमांश, चतुर्विंशांश कुंडली में भी गुरु तथा बुध का युति व दृष्टि संबंध बने तो व्यक्ति अध्यापन क्षेत्र में समृद्धि, संपत्ति अर्जित करता है। धन स्थान, सेवा स्थान, कर्म स्थान को अर्थ स्थान की संज्ञा दी गयी है। इन स्थानों व इनके स्वामियों का संबंध गुरु से बनने पर व्यक्ति अध्यापन क्षेत्र द्वारा धन अर्जित करता है। यदि इस योग में गुरु का संबंध सूर्य से बने तो व्यक्ति सरकारी सेवा से लाभ अर्जित करता है। अध्यापन में सफलता प्रप्त करने के योग - यदि कुंडली में हंस योग, भद्र योग उपस्थित हो तो व्यक्ति अध्यापन क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। - गुरु तथा बुध के मध्य स्थान परिवर्तन योग बनने पर सफलता प्राप्त होती है। यह योग धन, पंचम, दशम व लाभ भाव के मध्य बनने पर अच्छी सफलता प्राप्त होती है और व्यक्ति संपत्ति व समृद्धि अर्जित करता है। - गुरु व बुध की केंद्र में स्थिति, दोनों का एक दूसरे से युति व दृष्टि संबंध इस क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है। - लग्न तथा चंद्र कुंडली से लग्नेश, पंचमेश, दशमेश का संबंध गुरु तथा बुध से बनने पर अध्यापन क्षेत्र द्वारा जीविका अर्जन होती है। - फलदीपिका के अनुसार यदि दशमेश के नवमांश का अधिपति गुरु हो तो व्यक्ति गुरु के क्षेत्र (शिक्षा क्षेत्र) द्वारा जीविका प्राप्त करता है। - यदि कुंडली में गजकेसरी योग उपस्थित हो तथा उसका संबंध धन, पंचम, दशम स्थान से बन रहा हो। - लग्न कुंडली, नवमांश कुंडली, दशमांश कुंडली में गुरु व बुध का दृष्टि व युति संबंध बनने पर अध्यापन क्षेत्र में अच्छी सफलता मिलती है। - सूर्य का धन स्थान, पंचम, सेवा, कर्म में गुरु व बुध से संबंध सरकारी सेवा प्राप्त करने में सफलता प्रदान करता है।

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