हिंदू दर्शन के अनुसार, मनुष्य के जन्म के पीछे उस वंश का अंश होता है अतः यदि किसी बच्चे में जन्म से या तत्काल बाद से कोई गंभीर बीमारी दिखाई दे या स्वास्थ्यगत कष्ट हो तो दिखाए कि उसकी कुंडली में प्रमुख ग्रह कहीं राहु से पापाक्रांत तो नहीं हैं। क्योंकि गंभीर बीमारी की स्थिति कुंडली में स्पष्ट दिखाई देती है तथा उस बीमारी की शुरूआत का समय भी कुंडली में गोचर होता है। क्योंकि राहु अनुवाशिंक दोष का वाहक होता है अतः प्रमुख ग्रह एवं उस स्थान का ग्रह राहु से आक्रांत हो तो जिस स्थान तथा ग्रह को राहु आक्रांत करता है, उस स्थान तथा ग्रह से संबंधित बीमारी होती है। नवजात बच्चे को ज्यादातर पीलिया दिखाई देता है, यदि पीलिया ज्यादा परेशानी का सबब बने तो देखें कि कहीं बच्चे के लग्न, दूसरे, तीसरे, एकादश स्थान पर शनि और उसपर क्रूर ग्रह की दृष्टि तो नहीं है। इसके अलावा भी बच्चे को यदि कोई बीमारी दिखाई दे तो चिकित्सकीय सलाह के साथ कुंडली का परीक्षण कराया जाना चाहिए। साथ ही संबंधित ग्रह की शांति के साथ पितृशांति भी कराया जाना विशेषलाभकारी होता है।
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