संसार में समय को सबसे अमूल्य वस्तु माना गया है। धन - सम्पति खो जाने पर उन्हें परिश्रम करके दोबारा प्राप्त किया जा सकता है पर समय खो जाने पर पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत - कह कर समय के महत्व को समझाया गया हैं। समय का सदुपयोग करने का महत्व बताया गया है। हमें सावधान भी किया गया है कि यदि समय पर कर्म करने से चूक जाएंगे, समय का सदुपयोग नही करेंगे तो बाद में यह अभिशाप बन जाएगा। समय का पंछी एक बार हाथ से छूट जाने के बाद दुबारा कभी भी पकड़ में नहीं आता। समय का सदुपयोग ही सफलता का प्रतीक हैं। समझदार व्यक्ति समय का एक पल भी बेकार नहीं करते। कभी यह भी नही सोचते कि कल करेंगे। समय ही वास्तव में जीवन और उसका कर्म हैं। किंतु युवा होते बच्चें सालभर बिना अध्ययन किए बिता देते हैं और अब जब परीक्षा का समय शुरू होने वाला है तो परेशान होते हैं कि तैयारी पूरी नहीं हुई। अगर ऐसा आपके साथ ही हो रहा हो तो अब पछताए हो क्या कहावत चरितार्थ नहीं होना चाहिए बल्कि समय रहते पछताने से बचने का उपाय करना चाहिए। इसके लिए किसी विद्वान ज्योतिषीय से कुंडली की ग्रह दषा जानें तथा पता लगायें कि शुक्र, राहु, सप्तमेष, पंचमेष की दषा तो नहीं चल रही है और इनमें से कोई ग्रह विपरीत स्थिति में या नीच का होकर तो नहीं बैठा है। अगर ऐसी कोई स्थिति दिखाई दे तो उपयुक्त उपाय तथा थोड़े से अनुषासन से भटकाव पर काबू पाते हुए उसके लक्ष्य के प्रति एकाग्रता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। और पछताने से बचना चाहिए।
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