Wednesday 15 March 2017

कुशल प्रबंधन में सहायक ग्रह

जितनी सूक्ष्मता प्रबंधन विषय में आवश्यकता होती है, उससे कहीं अधिक बारीकियों और सूक्ष्म गणनाओं का विषय है- कुंडली विवेचन। कुशल प्रबंधन मानवीय श्रम के बेहतरीन संयोजन और कुशलतम व्यवस्थापन का नाम है। इसी प्रकार कुंडली की विवेचना भी सूक्ष्मतम गणनाओं और व्यापक अनुभव का फलितार्थ है। इन दोनों का तालमेल और सामंजस्य कुल मिलाकर एक ऐसे संस्थान की रचना करने के लिए पर्याप्त है जो अपने क्षेत्र में बेरोकटोक निरंतर शीर्ष की ओर अग्रसर हो सकते हैं। शून्य का जन्मदाता कहलाने वाला भारत वैदिक गणित और ज्योतिष विद्या में भी काफी पुराने समय से अग्रणी रहा है। वैदिक गणित को अमेरिका की सर्वोच्च स्पेस एजेंसी नासा ने भी अपनी पूरी-पूरी मान्यता प्रदान की है एवं कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में इसकी विशेष कक्षाएं लग रही हैं। ठीक इसी प्रकार भारतीय ज्योतिष विद्या और कुंडली विवेचना को भी पाश्चात्य जगत्‌ में शनैः-शनैः मान्यता मिलती जा रही है। व्यक्ति विशेष के भूत, वर्तमान और भविष्य को एक एकीकृत रूप से खुली पुस्तक के रूप में सामने रख देने वाले शास्त्र को भारतीय ज्योतिष कहा गया है। इन ज्योतिष शास्त्रों में व्यक्ति विशेष की जन्मकुंडली का सबसे बड़ा महत्व है, क्योंकि इसी से इसका सम्पूर्ण जीवन चरित्र छुपा होता है। यदि उस व्यक्ति विशेष के संपूर्ण गुण व दोषों से प्रबंधन कर्ता समय के पूर्व वाकिफ हो जाएं तो वह उसे सर्वोपयुक्त स्थान पर नियुक्त करते हुए संस्थान को अधिकतम लाभ दिला सकता है। प्रबंधन का प्रथम सूत्र ही यही है कि सक्षम व्यक्ति संस्थान के भविष्य को उज्ज्वल बनाते हैं और ज्योतिष शास्त्र यह बताने में सक्षम है कि कौन-सा व्यक्ति संस्थान के लिए लाभदायक रहेगा। उसके गुण-दोषों की विवेचना के साथ ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों का भी अध्ययन सकारात्मक कहा जा सकता है। प्रथम बुध क्योंकि बुध विचारशीलता की अभिव्यक्ति प्रदान करता है तो गणित से संबंधित भी इस ग्रह की विशेषता होती है। मंगल-मंगल उत्साहवर्धक, साहस महत्वाकांक्षा एवं उच्च मनोबल की अभिव्यक्ति देती है। गुरु-गुरु ज्ञान, अनुभव प्रथक्करण व निरीक्षण के साथ तत्व ज्ञान की अभिव्यक्ति करने वाला होता है। शनि-शनि कुशल प्रशासन व सत्ता में महत्व बढ़ाने वाला होता है। एक उत्तम प्रबंधक में उपरोक्त ग्रहों के गुणों का समावेश होना चाहिए।

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